अगस्त में पटना बनेगा आंदोलन का केंद्र, NMOPS ने दी OPS महारैली की चेतावनी
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 23 जुलाई :बिहार में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली और नई पेंशन योजना (NPS) तथा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को रद्द करने की मांग को लेकर दो दिवसीय विरोध दिवस का समापन आज राज्यभर में जोश और संकल्प के साथ हुआ. NMOPS (नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम), बिहार इकाई के नेतृत्व में आयोजित इस आंदोलन ने एक बार फिर राज्य सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को मुखर रूप से रखा.

हर विभाग के कर्मचारी मैदान में
22 और 23 जुलाई को आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, अंचल अधिकारी, नर्स, लिपिक, कार्यालय परिचारी, से लेकर प्रशासनिक व तकनीकी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी तक, सभी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.राज्य के लगभग सभी सरकारी कार्यालयों,सचिवालय, समाहरणालय, अनुमंडल, प्रखंड, अंचल, अस्पताल, विद्यालय में NPS-UPS रद्द करो, OPS बहाल करो की पट्टियों के साथ कार्य किया गया.
कर्मचारियों का आक्रोश चरम पर
NMOPS बिहार का कहना है कि NPS के तहत सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी वित्तीय रूप से बेहद कठिनाई में जीवन बिता रहे हैं. इस योजना में गारंटीड पेंशन न होने के कारण कर्मचारियों की भविष्य की सुरक्षा अधर में है.संगठन ने यह स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने जल्द ही OPS बहाल करने की घोषणा नहीं किया तो अगस्त में राज्यव्यापी OPS महारैली का आयोजन होगा.
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संगठनों की एकजुटता
इस आंदोलन में NMOPS बिहार के साथ-साथ गोप गुट महासंघ, स्टेट फोरम अगेंस्ट NPS, बिहार स्टेट टीचर एसोसिएशन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संघ, रेलवे कर्मचारी संगठन, पुलिस एवं न्यायालय कर्मचारी यूनियन, इलेक्ट्रिसिटी वर्क्स यूनियन, सिंचाई, भवन, राजस्व व पशुपालन विभाग के कर्मचारी संघ सहित लगभग सभी प्रमुख कर्मचारी संगठनों ने भी अपनी भागीदारी निभाई.

प्रमुख सहयोगी नेताओं में मनोज कुमार यादव, शशि भूषण आर्या, गोपाल पासवान, डॉ. अविनाश सद्गुरु, अरविंद तिवारी, आनंद कुमार, श्रीमन नारायण शर्मा, संजय कुमार, राजेश भगत, मनीष मिश्रा, झुन्नू कुमार, मृगांशु शेखर, धर्म कुमार राम, फकरुद्दीन अली अहमद, राजेश्वर तिवारी, राकेश अंबष्ट और जयप्रकाश कुमार जैसे नाम शामिल हैं.
जिला स्तर पर नेतृत्व
राज्यभर के ज़िलों में विरोध कार्यक्रम का नेतृत्व स्थानीय प्रतिनिधियों ने किया। पटना में वरुण पांडे और संजीव तिवारी, गया में जिज्ञासु कश्यप, सारण में प्रेमचंद सिन्हा और सैयद मोहम्मद नजमी, आरा में उमेश सुमन, सिवान में भारत यादव और सुनील कुमार, बक्सर में दीपक रजक, जमुई में धर्म चंदन रजक, पूर्वी चंपारण में धर्मवीर चौधरी और अनुराग कुमार, पश्चिम चंपारण में सुनील चौधरी, अररिया में कुमार आशुतोष, भागलपुर में सुनील गुप्ता, रोहतास में उमेश शर्मा, सीतामढ़ी में रिजवान उल्लाह, सुपौल में विनोद कुमार, जहानाबाद, समस्तीपुर, मुंगेर, नवादा, लखीसराय, पूर्णिया, वैशाली, दरभंगा, कैमूर, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, शिवहर, गोपालगंज और शेखपुरा जैसे जिलों में भी संघीय प्रतिनिधियों ने कार्यकर्ताओं का नेतृत्व किया.
आगे की रणनीति
NMOPS बिहार ने सरकार को कड़ा संदेश दिया है,यदि OPS बहाली को लेकर ठोस घोषणा नहीं किया गया तो अगस्त में हजारों कर्मचारियों के साथ पटना में ऐतिहासिक OPS महारैली किया जायेगा जो राज्य की सियासत को हिला सकता है.
निष्कर्ष:
बिहार में NPS और UPS के खिलाफ उठती यह लहर अब आंदोलन का रूप ले चुका है.कर्मचारियों की एकजुटता, विभिन्न संगठनों की सहभागिता और मजबूत नेतृत्व ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. OPS की बहाली अब केवल मांग नहीं.बल्कि आंदोलन की धार बन चुका है.

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