भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ 29 सक्रिय स्क्वाड्रन
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 29 जुलाई:ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक अहम मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है. ओवैसी ने आज अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट करते हुए कहा कि भारत के पास कुल 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृति है. लेकिन केवल 29 स्क्वाड्रन ही सक्रिय रूप से काम कर रहा हैं.
ओवैसी ने पोस्ट के जरिये उन्होंने सवाल उठाया कि BJP सरकार 11 वर्षों से सत्ता में रहते हुए आखिर क्या कर रही है? उनका इशारा भारतीय वायुसेना की घटती ताकत और सरकार की रक्षा नीति को लेकर चिंता की ओर था.
रक्षा क्षेत्र में तैयारियों पर उठे सवाल
भारतीय वायुसेना की ताकत का एक अहम हिस्सा लड़ाकू स्क्वाड्रन होता हैं.एक स्क्वाड्रन में औसतन 18 से 20 लड़ाकू विमान होता हैं.ऐसे में 13 स्क्वाड्रन का कम होना रणनीतिक दृष्टि से बड़ा सवाल बन सकता है. खासकर जब भारत दो मोर्चों पाकिस्तान और चीन पर सुरक्षा को लेकर लगातार सतर्क रहता है.
ओवैसी के आरोप कितने गंभीर?
ओवैसी ने अपने ट्वीट के ज़रिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार के नीतियों पर सवाल उठाया है.उनका कहना है कि बीजेपी 11 साल से सत्ता में है.लेकिन इतने लंबे कार्यकाल के बावजूद वायुसेना की इस महत्वपूर्ण ज़रूरत को पूरा नहीं किया जा सका है.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की बात कर रहा है.
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क्या है स्क्वाड्रन की अहमियत?
भारतीय वायुसेना की क्षमता का आधार उसके स्क्वाड्रन होते हैं.एक स्क्वाड्रन में लगभग 18–20 लड़ाकू विमान होता हैं. इस समय भारत के पास 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृति है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के अनुसार केवल 29 स्क्वाड्रन ही सक्रिय रूप से कार्यरत हैं.
यह आंकड़ा सुरक्षा रणनीति के लिहाज़ से चिंता का विषय है. खासकर जब भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ सीमाओं पर हमेशा सतर्क रहना पड़ता है.
एक्सपर्ट्स भी जता चुके हैं चिंता
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को कम से कम 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तैयार रहा जा सके.हालांकि हाल के वर्षों में कुछ नए फाइटर जेट्स जैसे राफेल शामिल किया गया है.लेकिन पुराने मिग-21 जैसे विमानों की रिटायरमेंट के बाद संख्यात्मक गिरावट आया है.
निष्कर्ष
ओवैसी के इस बयान ने रक्षा नीति और सैन्य तैयारियों पर फिर से बहस छेड़ दिया है. सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आया है.लेकिन आने वाले समय में संसद और पब्लिक डिबेट्स में यह विषय चर्चा में रह सकता है.

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