समतामूलक संग्राम दल के नेतृत्व में 23 जुलाई को पटना में ऐतिहासिक प्रदर्शन की तैयारी

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Ajit Kumar

बिहार
समतामूलक संग्राम दल के नेतृत्व में 23 जुलाई को पटना में ऐतिहासिक प्रदर्शन की तैयारी

पटना बनेगा क्रांति की धरती: ज़मीन और न्याय के लिए जनता करेगी विधानसभा का घेराव

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 21 जुलाई :बिहार की राजनीति में एक बार फिर सामाजिक न्याय और भूमिहीनों के अधिकारों को लेकर हलचल तेज़ हो गया है. समतामूलक संग्राम दल के नेतृत्व में आगामी 23 जुलाई 2025 को एक बड़े जनांदोलन की घोषणा किया गया है.जिसका उद्देश्य है. भूमिहीनों, श्रमिकों, छात्रों, महिलाओं और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के अधिकारों को सुनिश्चित कराना.

यह आंदोलन भूमि अधिकार महाआंदोलन के नाम से आयोजित किया जा रहा है. जो सिपारा पुल से शुरू होकर गर्दनीबाग होते हुए बिहार विधानसभा तक मार्च करेगा. समय निर्धारित किया गया है सुबह 11 बजे.

आंदोलन का नारा: "जो ज़मीन सरकारी है, वो ज़मीन हमारी है"

आंदोलन का नारा: “जो ज़मीन सरकारी है, वो ज़मीन हमारी है”

    इस आंदोलन के तहत सरकार से 14 प्रमुख मांगों को लेकर दबाव बनाया जायेगा. इन मांगों में भूमि अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आरक्षण और महिला सशक्तिकरण जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं.

    आंदोलन की प्रमुख मांगें — विस्तार से:

    • भूमिहीनों को ज़मीन का अधिकार
      आंदोलनकारियों की मांग है कि हर गरीब और भूमिहीन परिवार को घर बनाने हेतु 5-5 डिसमिल ज़मीन और खेती के लिए 1-1 एकड़ भूमि दिया जाये. उनका कहना है कि “सरकारी ज़मीन जनता की है” और इसका उपयोग वंचित तबकों के पुनर्वास के लिए किया जाना चाहिये.
    • छात्रों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता
      गरीब और वंचित तबके के छात्रों को हर महीने ₹1500 से ₹5000 तक की छात्रवृत्ति दिया जायें .जिससे वे पढ़ाई जारी रख सकें और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें.
    • शिक्षित बेरोज़गारों को भत्ता
      हर शिक्षित बेरोज़गार युवा को ₹10,000 प्रतिमाह बेरोज़गारी भत्ता देने की मांग किया जा रहा है. जिससे वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और अवसरों का इंतज़ार करते हुए आर्थिक रूप से सक्षम बने रहें.
    • प्रमोशन में SC/ST को आरक्षण
      समाज में पिछड़े वर्गों को वास्तविक न्याय देने के लिए SC/ST समुदाय को प्रमोशन में आरक्षण देने की पुरजोर माँग किया जा रहा है .
    • BTMC एक्ट को निरस्त करने की मांग
      आंदोलनकारी BTMC (Bihar Temple Management Committee) एक्ट को धार्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए इसे तत्काल निरस्त करने की माँग कर रहा है .
    • श्रमिकों को सरकारी मान्यता और रोजगार सुरक्षा
      राजमिस्त्री और निर्माण श्रमिकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाये .
    • सभी विभागों में ठेका पर बहाल श्रमिकों को स्थायी नियुक्ति दी जाये.
    • फुटपाथी, रिक्शा, टेम्पो चालकों से रंगदारी बंद हो
      सरकार और स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाया गया है कि रिक्शा, टेम्पो चालकों और फुटपाथ विक्रेताओं से अवैध वसूली की जाती है, जिसे तुरंत बंद किया जाये .
    • मुफ़्त बिजली और आवास
      हर गरीब और वंचित परिवार को मुफ़्त बिजली देने की मांग किया गया है.
    • अम्बेडकर आवास योजना के तहत ₹7 लाख की आर्थिक सहायता दी जाए जिससे हर गरीब को अपना पक्का घर मिल सके.
    • स्वास्थ्य सेवा में न्याय
      गरीबों को मुफ़्त इलाज की सुविधा मिले.
    • इलाज के दौरान ₹500 प्रतिदिन की सहायता राशि भी दी जाए ताकि रोज़मर्रा के खर्चों का निर्वहन किया जा सके.
    • महिलाओं के लोन माफ किए जाये
      गरीब और वंचित वर्ग की महिलाओं द्वारा लिए गए सभी प्रकार के लोन माफ करने की मांग रखा गया है. आंदोलनकारी इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम मानते हैं.
    • वृद्ध एवं विधवा पेंशन
      वृद्धों और विधवाओं को हर महीने ₹3000 पेंशन देने की मांग की गई है जिससे वे आत्मनिर्भर जीवन जी सकें.
    • निजी क्षेत्र और न्यायपालिका में आरक्षण
      आंदोलन में यह विशेष मांग भी शामिल है कि निजी क्षेत्र और न्यायपालिका में SC/ST/OBC वर्गों को आरक्षण दिया जाए जिससे उन्हें भी अवसरों में समान भागीदारी मिल सके.

    आंदोलनकारियों की चेतावनी

    समतामूलक संग्राम दल के संयोजकों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा, लेकिन यदि मांगें नहीं मानी गईं तो इसे प्रदेशव्यापी जनांदोलन में बदला जाएगा.

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    आयोजन विवरण

    तारीख: 23 जुलाई 2025

    समय: सुबह 11 बजे

    स्थान: सिपारा पुल से गर्दनीबाग होते हुए बिहार विधानसभा घेराव

    निष्कर्ष

    यह आंदोलन केवल ज़मीन का सवाल नहीं है. यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय की माँग का एक समग्र प्रयास है.जिन आवाज़ों को वर्षों से अनसुना किया गया.अब पटना की सड़कों पर गूंजने को तैयार हैं.
    क्या सरकार इन आवाज़ों को सुनेगी या फिर संघर्ष की नई इबारत लिखी जाएगी इसका जवाब आने वाला समय देगा.

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