बिहार की राजनीति में नया विवाद
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,29 सितम्बर बिहार की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला कभी थमता नहीं है. हर चुनाव से पहले और हर बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान नेता एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधते हैं.हाल ही में बिहार की राजनीति में चर्चा का बड़ा विषय बने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) पर भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने तीखा हमला बोला है. उन्होंने न सिर्फ प्रशांत किशोर को “बहेलिया” और “राजनीतिक नटवरलाल” कहा, बल्कि यह भी दावा किया कि वे बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा फ्रॉड हैं.
इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दिया है. और विपक्षी दलों के साथ-साथ जनता के बीच भी इस पर बहस छिड़ गई है.आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और यह विवाद किस ओर इशारा करता है.
कुंतल कृष्ण का बयान
भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि प्रशांत किशोर हर उस नेता या पार्टी को निशाने पर लेते हैं जो लालू प्रसाद यादव के “जंगलराज” के खिलाफ खड़ा है.उन्होंने आरोप लगाया कि पीके का असली मकसद महागठबंधन (राजद और कांग्रेस) को मजबूत करना है.
कुंतल कृष्ण ने कहा:
प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा फ्रॉड हैं.
वे जानबूझकर झूठे आरोप लगाकर जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं.
असल में उनका प्रयास महागठबंधन को सत्ता में लाने का है.
इस बयान के बाद भाजपा और जन सुराज के बीच तीखी राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है.
प्रशांत किशोर और बिहार की राजनीति
प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीतिकार के रूप में देशभर में पहचान मिली है. उन्होंने कई बड़े नेताओं और पार्टियों के चुनावी अभियान को सफल बनाया है. लेकिन जब उन्होंने बिहार में जन सुराज नामक संगठन की नींव रखी और राजनीति में सीधे तौर पर उतरने का एलान किया, तभी से उन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.
बिहार की राजनीति में पीके की एंट्री ने नई समीकरणों को जन्म दिया है. कुछ लोगों का मानना है कि वे जनता के बीच एक विकल्प के रूप में उभर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर कई नेताओं को लगता है कि उनकी राजनीति सिर्फ “बयानों और रणनीति” तक सीमित है.
आरोपों की राजनीति
कुंतल कृष्ण ने सिर्फ बयानबाजी नहीं की बल्कि सीधे तौर पर प्रशांत किशोर से सवाल किया कि जन सुराज पार्टी को मिले चंदे की रकम उनके निजी खाते में कैसे पहुंची? यह गंभीर आरोप है और इसका जवाब अभी तक पीके की ओर से स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है.
बिहार में पहले से ही भ्रष्टाचार, घोटाले और अपराध के मुद्दे गहराई से जुड़े हुए हैं. ऐसे में अगर जन सुराज पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगते हैं, तो यह उनकी राजनीतिक साख को कमजोर कर सकता है.
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भाजपा बनाम जन सुराज
भाजपा और जन सुराज के बीच यह टकराव नया नहीं है.प्रशांत किशोर कई बार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और उनकी नीतियों की आलोचना कर चुके हैं.वहीं भाजपा नेताओं का मानना है कि पीके की राजनीति “दोहरेपन” से भरी हुई है.
भाजपा का आरोप है कि प्रशांत किशोर जनता को बहकाने का काम कर रहे हैं.
जबकि पीके का कहना है कि वे जनता के असली मुद्दों को उठाने के लिए राजनीति में आए हैं.
अब दोनों तरफ से बयानबाजी तेज हो गई है, जिससे आने वाले चुनाव में यह टकराव और गहराएगा.
जनता की नजर से
बिहार की जनता इस पूरे विवाद को उत्सुकता से देख रही है. लोग यह समझना चाहते हैं कि आखिर प्रशांत किशोर का असली मकसद क्या है? क्या वे वास्तव में राज्य में एक “साफ-सुथरी राजनीति” की शुरुआत करेंगे या फिर यह सिर्फ सत्ता पाने का नया तरीका है?
जनता यह भी जानना चाहती है कि भाजपा नेता कुंतल कृष्ण द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई क्या है.अगर वास्तव में वित्तीय गड़बड़ी हुई है, तो इसका खुलासा होना जरूरी है.
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर का नाम हमेशा सुर्खियों में रहता है.भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण द्वारा उन्हें “राजनीतिक नटवरलाल” और “सबसे बड़ा फ्रॉड” कहना निश्चित रूप से बड़ा हमला है. यह बयान आने वाले समय में राजनीतिक बहस को और तेज करेगा.
बिहार की राजनीति पहले से ही जटिल है, और इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप चुनावी समीकरणों को और उलझा सकते हैं.अब देखना होगा कि प्रशांत किशोर इन आरोपों का क्या जवाब देते हैं और जनता किसे सही मानती है.

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