नेताओं ने दी चेतावनी:मताधिकार से छेड़छाड़ नहीं सहेगा मज़दूर वर्ग”
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,19 जुलाई :चेन्नई के अम्बत्तूर इंडस्ट्रियल एस्टेट में आज एक अनोखी हलचल देखने को मिला. जहां बिहार और अन्य राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों के बीच AICCTU और LTUC ने एक संयुक्त जागरूकता अभियान चलाया और इस अभियान का उद्देश्य था.प्रवासी मजदूरों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार, विशेषकर मताधिकार, से वंचित किए जाने के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना और उन्हें मतदान प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करना.
चुनावी अधिकारों पर संकट
कार्यकर्ताओं ने बताया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भारी संख्या में प्रवासी मजदूर विशेषकर दक्षिण भारत के औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक, अपने मताधिकार से वंचित रह सकता हैं. इसके पीछे मुख्य कारण है चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए पंजीकरण तंत्र की जटिलता जिसे ज़्यादातर प्रवासी मजदूरों तक प्रभावी रूप से नहीं पहुँचाया गया है.
सभा में वक्ताओं ने मोदी–नीतीश गठबंधन पर आरोप लगाया कि वे योजनाबद्ध तरीके से प्रवासी मजदूरों को मताधिकार से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं.

“मताधिकार की रक्षा करो”— सभा में उठा नारा
इस अवसर पर आयोजित सभा में कई महत्वपूर्ण नेताओं और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
का. एस. कुमारस्वामी (सलाहकार, AICCTU–LTUC) ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मताधिकार केवल एक अधिकार नहीं बल्कि एक मज़दूर की आवाज़ है जिसे दबाया जा रहा है.
का. अपूर्वा (दिल्ली), AICCTU की राष्ट्रीय परिषद सदस्य ने कहा कि हमारे मजदूर भाई-बहन जिन्हें हमने दिल्ली की सड़कों पर पैदल चलते देखा था.अब अपने ही राज्य में वोट डालने के अधिकार से वंचित किए जा रहे हैं यह अस्वीकार्य है.
सभा में का. गोविंदराज (अध्यक्ष, कम्युनिस्ट पार्टी), का. मुनुसामी, का. मोहन, का. जेपी, का. हीरा पासवान, और का. सुरेंद्र (LTUC राज्य सचिव) समेत कई वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति रहा. डेमोक्रेटिक लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के का. शक्ति वेल ने भी इस मुद्दे पर युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया.
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प्रवासी मजदूरों के लिए स्पष्ट संदेश
सभा में यह ज़ोर देकर कहा गया कि सभी प्रवासी मजदूरों को चुनाव आयोग के वेबसाइट पर जाकर स्वयं को पंजीकृत कराना चाहिए. ताकि वे अपने वोट का इस्तेमाल कर सकें. इसके लिए संगठन स्थानीय स्तर पर सहायता केंद्र भी स्थापित करने पर विचार कर रहा है.
सभा का समापन एक संकल्प के साथ हुआ. “हर मजदूर का वोट, हर वोट का सम्मान”. वक्ताओं ने प्रवासी मजदूरों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हों और हर स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें.
निष्कर्ष
भारत में लोकतंत्र की नींव जनभागीदारी है. जब लाखों प्रवासी मजदूर अपने घरों से दूर रहकर देश की अर्थव्यवस्था को चला रहे हैं. तब उन्हें उनके मताधिकार से वंचित करना न केवल असंवैधानिक है. बल्कि अमानवीय भी है. ऐसे अभियानों से उम्मीद बनता है कि लोकतंत्र में सबसे कमजोर आवाज़ को भी सुना जायेगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.