ये तजुर्बा बिहार को नहीं चाहिए: प्रियंका भारती का मोदी और नीतीश पर तीखा हमला

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Ajit Kumar

बिहार
ये तजुर्बा बिहार को नहीं चाहिए: प्रियंका भारती का मोदी और नीतीश पर तीखा हमला

आरक्षण पर रोक, पीड़िता को बेड नहीं! प्रियंका भारती ने गिनाए मोदी-नीतीश के ‘तजुर्बे’

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,20 जुलाई :बिहार की राजनीति में बयानबाज़ी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन जहां अपने तजुर्बे और विकास कार्यों की बात कर रहा है. वहीं विपक्ष और समाजसेवी अब इन्हीं अनुभवों को कटघरे में खड़ा कर रही है.

इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर सक्रिय और समाजिक मुद्दों पर मुखर रहने वाली प्रियंका भारती (@priyanka2bharti) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि :

हैं न तजुर्बा!
दंगा करवाने का तजुर्बा
वंचितों का अधिकार खाने का तजुर्बा
तेजस्वी जी के द्वारा बढ़ाए आरक्षण को रुकवाने का तजुर्बा
बलात्कार पीड़िता बिटिया को अस्पताल में बेड नहीं देने का तजुर्बा
ये तजुर्बा बिहार को नहीं चाहिए।”

सामाजिक न्याय बनाम सत्ता का अनुभव

प्रियंका भारती का यह बयान सीधे तौर पर उस नैरेटिव के खिलाफ है जो प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर दोहराते हैं.कि उनके पास ‘विकास का तजुर्बा’ है. लेकिन प्रियंका का कहना है कि यह अनुभव सिर्फ वंचितों को कुचलने, आरक्षण पर ब्रेक लगाने और जनहित की अनदेखी करने का तजुर्बा है.

वह दावा करती हैं कि तेजस्वी यादव द्वारा लिए गए आरक्षण-विस्तार के फैसलों को केंद्र सरकार ने रोक दिया.जो कि पिछड़े और दलित समुदायों के साथ सीधा अन्याय है.

महिला सुरक्षा पर भी उठाए सवाल

प्रियंका भारती ने पोस्ट में बलात्कार पीड़ित बेटियों के साथ हो रहे व्यवहार पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पतालों में ऐसे मामलों में पीड़ितों को उचित इलाज और सुविधा नहीं दिया जाता है. जो कि प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है.

चुनावी माहौल में उठे सवाल

यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ तेज़ हो चुका हैं. सत्ताधारी एनडीए अपने रिपोर्ट कार्ड के दम पर चुनाव में उतरने की तैयारी में है. वहीं विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता ‘समाजिक न्याय’, ‘आरक्षण’, और ‘महिला सुरक्षा’ जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहा है .

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रियंका भारती की पोस्ट एक वर्ग विशेष की आवाज़ को राजनीतिक विमर्श में ला रही है और यह संकेत है कि चुनावी मुद्दे अब जातीय गणित से निकलकर सामाजिक और मानवीय अधिकारों की ओर बढ़ रहा है .

भाजपा और जदयू की प्रतिक्रिया?

अब तक बीजेपी या जेडीयू की ओर से इस पोस्ट पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन माना जा रहा है कि विपक्ष इस बयान को आगामी जनसभाओं और डिबेट में ज़रूर उठाएगा.

निष्कर्ष

प्रियंका भारती का यह बयान सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट नहीं है.बल्कि आने वाले समय में एक राजनीतिक मुद्दा बन सकता है. उनकी बातों से यह साफ है कि बिहार की जनता सिर्फ विकास की बातें नहीं.सामाजिक न्याय की गारंटी भी चाहती है। अब देखना यह होगा कि इस बयान का बिहार की चुनावी राजनीति पर कितना असर पड़ता है.

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