पूर्णिया की सभा से निकला सियासी संदेश ,बिहार की सियासत में बढ़ता तापमान
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 8 नवंबर 2025 — बिहार चुनाव जैसे-जैसे निर्णायक दौर की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सियासी बयानबाजी अपने चरम पर पहुंच चुकी है.कांग्रेस महासचिव और सांसद श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्णिया की जनसभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री विकास, रोजगार और महिला सुरक्षा की बात नहीं करते, बल्कि कट्टा, दुनाली, गोली और खून की नदियों जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.
यह बयान न केवल राजनीतिक प्रतिरोध का प्रतीक है, बल्कि जनता को यह संदेश देने की कोशिश भी कि चुनाव अब विकास बनाम डर की राजनीति के बीच फंसा हुआ है.
प्रियंका गांधी का तीखा वार: जनता के मुद्दों से भटकाने की राजनीति पर सवाल
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि देश के प्रधानमंत्री को जनता के असली मुद्दों — जैसे रोजगार, महिला सुरक्षा, शिक्षा, किसान कल्याण और महंगाई — पर बात करनी चाहिए.
लेकिन दुर्भाग्य से, प्रधानमंत्री का पूरा फोकस उन शब्दों पर है जो समाज में भय और विभाजन का वातावरण बनाते हैं.
उन्होंने कहा कि,
जब जनता अपने बच्चों के लिए नौकरी मांगती है, जब महिलाएं सुरक्षा की मांग करती हैं, तब प्रधानमंत्री ‘कट्टा-दुनाली’ की भाषा बोलते हैं.क्या यह उस पद की गरिमा के अनुरूप है जिसे देश का सबसे ऊंचा constitutional post माना जाता है?
पूर्णिया से निकला कांग्रेस का बड़ा संदेश
पूर्णिया की यह सभा केवल एक जनसभा नहीं थी — बल्कि यह कांग्रेस के नए नैरेटिव की शुरुआत भी थी.
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण से स्पष्ट किया कि कांग्रेस आने वाले बिहार चुनाव में विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे जन-आधारित मुद्दों को केंद्र में रखेगी.
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने वास्तव में सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर काम किया होता, तो आज बिहार जैसे राज्य को देश की सबसे पिछड़ी श्रेणी में शामिल नहीं होना पड़ता.
प्रियंका ने कहा,
प्रधानमंत्री को बिहार की जनता को यह बताना चाहिए कि 10 साल में उन्होंने कितने युवाओं को रोजगार दिया, कितनी महिलाओं को सुरक्षा दी, कितने किसानों की आय दोगुनी हुई.
वोटरों से अपील: विकास की बात करने वालों को चुनिए
प्रियंका गांधी ने मंच से जनता से सीधी अपील करते हुए कहा कि इस बार बिहार की जनता को डर नहीं, विकास चुनना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने वर्षों तक संघर्ष किया है, और अब समय है कि वे अपने वोट से देश को यह संदेश दें कि राजनीति अब नफरत की नहीं, नयी दिशा की होनी चाहिए.
उनका यह भाषण कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने वाला रहा.
पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर और सीमांचल जैसे इलाकों में कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी का यह आक्रामक अभियान उसे जमीनी स्तर पर मजबूती देगा.
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राजनीतिक विश्लेषण: प्रियंका गांधी की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रियंका गांधी की यह रणनीति साफ है.
एक ओर वह जनता के असली मुद्दों को उठाकर मोरल हायर ग्राउंड ले रही हैं.
दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी की भाषा और बयानबाजी को नैतिक सवाल के दायरे में ला रही हैं.
बिहार में जहां जातीय समीकरण और गठबंधन राजनीति का बड़ा असर है, वहां प्रियंका गांधी का यह रुख कांग्रेस को संवेदनशील और जनहितकारी पार्टी के रूप में पेश कर सकता है.
निष्कर्ष: बिहार से उठी नई राजनीतिक बहस
प्रियंका गांधी का यह बयान केवल एक चुनावी हमला नहीं था, बल्कि यह आने वाले समय की राजनीति की दिशा तय करने वाला संदेश है.
बिहार की इस सभा से कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह सकारात्मक राजनीति की राह पर आगे बढ़ना चाहती है.
जहां एक ओर बीजेपी नेतृत्व कट्टर राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दों को हवा दे रहा है, वहीं कांग्रेस “विकास, रोजगार और न्याय” की राजनीति पर जनता को लामबंद करने की कोशिश कर रही है.
पूर्णिया की इस सभा ने यह दिखा दिया कि 2025 का बिहार चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि राजनीतिक सोच के परिवर्तन का भी संकेत बन सकता है.

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