अब बिना अप्रूवल के शुरू कर सकेंगे MSME
तीसरा पक्ष ब्यूरो चंडीगढ़, 8 अगस्त :क्या आपको लगता है भारत में बिना सरकारी मंजूरी के करोड़ों का बिज़नेस शुरू हो सकता है?अगर नहीं, तो पंजाब सरकार ने आपको चौंकाने का इंतज़ाम कर दिया है. एक ऐसा फैसला जो उद्योग जगत में तहलका मचा रहा है.और सरकारी तंत्र की जड़ों को हिला देने वाला साबित हो सकता है.दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर दावा किया कि पंजाब अब देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है. जहाँ मात्र 45 दिन में ‘डीम्ड अप्रूवल’ के जरिये बिज़नेस शुरू किया जा सकता है. और वो भी बिना किसी सरकारी अप्रूवल के सीधे 125 करोड़ रुपये तक की MSME यूनिट. सुनने में क्रांतिकारी है – लेकिन क्या यह वाकई इतना ही आसान है? क्या यह बदलाव वास्तव में व्यापारियों और बेरोज़गार युवाओं के लिए राहत लाएगा या फिर यह भी किसी चुनावी घोषणा की तरह जल्द ही भूला दिया जाएगा?
चंडीगढ़,पंजाब में अब बिज़नेस शुरू करना और भी आसान हो गया है. राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुये घोषणा किया है कि अब 125 करोड़ रुपये तक की MSME यूनिट शुरू करने के लिए किसी भी प्रकार की पूर्व अनुमति (अप्रूवल) की आवश्यकता नहीं होगा.यह निर्णय देशभर के कारोबारियों और उद्यमियों के लिए राहत की खबर बनकर आया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले की जानकारी अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर साझा करते हुए कहा कि,
आज पंजाब ने वो कर दिखाया है जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं हुआ… अब यहां सिर्फ 45 दिन में बिज़नेस शुरू करने के लिए डीम्ड अप्रूवल्स मिल जाते हैं”
उन्होंने इसे एक जन-हितैषी और ईमानदार सरकार की सोच का परिणाम बताया और विश्वास जताया कि इससे पंजाब में व्यापार और रोजगार दोनों में वृद्धि होगी.
क्या है नया बदलाव?
125 करोड़ तक की MSME यूनिट शुरू करने के लिए अब किसी अप्रूवल की ज़रूरत नहीं होगा .डीम्ड अप्रूवल सिस्टम के तहत सभी जरूरी मंजूरियां सिर्फ 45 दिनों में स्वतः मान्य माना जायेगा.इससे उद्योगों को अनावश्यक लालफीताशाही से छुटकारा मिलेगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
इस फैसले के संभावित फायदे
बेरोज़गारी में गिरावट: नई इंडस्ट्रीज़ के आगमन से स्थानीय युवाओं को नौकरी के अवसर मिलेगा. जिससे प्रदेश में बेरोज़गारी की दर में उल्लेखनीय कमी आ सकता है.
निवेश में उछाल: सरल और तेज अप्रूवल प्रक्रिया निवेशकों के लिए पंजाब को एक आकर्षक गंतव्य बना सकता है. जिससे बड़े पैमाने पर पूंजी का प्रवाह संभव है.
राजस्व में बढ़ोतरी: जैसे-जैसे व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगा.वैसे-वैसे राज्य सरकार को टैक्स के रूप में अधिक आय होगा.जिससे आर्थिक ढांचे को मजबूती मिलेगा.
आइए, आगे जानते हैं इस पूरे फैसले का विस्तार से विश्लेषण, और उठाते हैं वो सवाल, जो शायद अब तक किसी ने आपसे नहीं पूछे…
पंजाब सरकार का बड़ा दावा – क्या 125 करोड़ तक का बिजनेस अब बच्चों का खेल बन गया है?
बिना अप्रूवल शुरू होगी MSME यूनिट, लेकिन क्या ज़मीन पर भी ऐसा ही आसान होगा?
अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में MSME सेक्टर के लिए नए नियमों का एलान करते हुए कहा कि अब 125 करोड़ तक के उद्योग बिना किसी सरकारी मंजूरी के शुरू किए जा सकता हैं. यह सुनने में जितना क्रांतिकारी लगता है.क्या वास्तव में यह ज़मीनी स्तर पर लागू हो पाएगा?
डीम्ड अप्रूवल का वादा है कि 45 दिन में अगर कोई विभाग जवाब नहीं देता है तो मान लिया जायेगा कि अनुमति मिल गया है. मगर सवाल यह है कि क्या अफसरशाही इतना जल्दी हार मानने वाला है?
कागज़ों पर क्रांति, जमीन पर हकीकत – क्या सच में खत्म हुई लालफीताशाही?
नौकरशाही के तंत्र में 45 दिन में अप्रूवल या फिर फाइलों की दौड़ का नया नाम?
हर साल भारत में हजारों युवा बिज़नेस शुरू करने का सपना देखता हैं.लेकिन सरकारी सिस्टम उनके इरादों को तोड़ देता है. पंजाब सरकार के इस कदम को लेकर सवाल उठता है कि – क्या यह व्यवस्था वाकई ईमानदार प्रशासन की शुरुआत है या फिर पुराने सिस्टम की नई पैकेजिंग?
जमीनी स्तर पर कई उद्यमी पहले ही बता चुका हैं कि ऑन पेपर क्लेम्स और ऑन ग्राउंड हकीकत में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है.
125 करोड़ की छूट, लेकिन क्या छोटे व्यापारी को मिलेगा इसका फायदा?
MSME की परिभाषा में बड़ा झोल – क्या लघु व्यवसायियों को किया जा रहा है नजरअंदाज?
सरकार ने जिन उद्योगों को 125 करोड़ तक की यूनिट कहकर छूट दिया है.वो दरअसल मध्यम वर्ग की कैटेगरी में आता हैं.सवाल यह है कि जो छोटे व्यापारी स्टार्टअप्स या घरेलू उद्योग हैं – क्या यह सुविधा उनके लिए है या फिर बड़े खिलाड़ियों को राहत देने की रणनीति?
पंजाब में अब रोजगार नहीं रुकेगा? या फिर एक और जुमला बन जाएगा यह वादा?
युवाओं को रोजगार का सपना दिखाकर कब तक चलेगी राजनीति?
अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि, अब पंजाब में न बिज़नेस रुकेगा न रोजगार.मगर पंजाब की धरती पिछले कुछ सालों से बेरोज़गारी, नशाखोरी और पलायन जैसे मुद्दों से जूझ रहा है. क्या यह योजना युवाओं को पंजाब में रोक पाएगा?
या फिर यह वादा भी उन योजनाओं की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा जो सिर्फ विज्ञापन में ज़िंदा रहता हैं?
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ईमानदार सरकार का दावा या चुनावी रणनीति?
क्या ये नीति 2027 की रणनीति की शुरुआत है?
अरविंद केजरीवाल के इस घोषणा को कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ 2027 के चुनावों की तैयारी मान रहे हैं.उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहता है.और इसके लिए अब उद्योगों को साथ लाना जरूरी हो गया है.
यह घोषणा एकदम चुनावी रंग में रंगी हुई नजर आता है – ईमानदार सरकार, रोजगार, बिज़नेस – यह वो शब्द हैं जो हर चुनावी भाषण में गूंजता हैं.
निष्कर्ष: क्या वाकई अब ‘बिना रोकटोक’ चलेगा बिज़नेस या फिर यह भी एक और प्रशासनिक भ्रम है?
पंजाब सरकार के इस फैसले को क्रांतिकारी कहा जा रहा है.मगर इसपर असली सवाल तब उठेगा जब कोई आम युवा या व्यवसायी इस योजना के तहत अपना कारोबार शुरू करने की कोशिश करेगा. यदि वाकई बिना किसी विभाग के चक्कर लगाए उद्योग शुरू हो जाये. तो यह देश के बाकी राज्यों के लिए मिसाल बन सकता है.
लेकिन अगर यह सिर्फ भाषण और सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित रहा तो यह भी एक और कागज़ी क्रांति बनकर रह जायेगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.