राज्य और केन्द्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 14 सितम्बर 2025 –राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजवादी नेता स्व डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की उपेक्षा का गंभीर आरोप राज्य और केन्द्र सरकार दोनों पर लगाया है.राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि जिस नेता ने पूरी जिंदगी समाज और गरीबों की सेवा में समर्पित कर दी, उनकी मृत्यु के बाद सरकारों द्वारा की गई घोषणाएँ केवल कागजों में सिमटकर रह गई हैं.
राजद प्रवक्ता ने दुख जताया कि 13 सितम्बर को रघुवंश बाबू की पुण्यतिथि पर सरकार ने न तो कोई सार्थक पहल की और न ही औपचारिक शिष्टाचार का पालन किया.उन्होंने कहा कि – यह केवल उपेक्षा नहीं, बल्कि बिहार की धरती के एक सच्चे सपूत के साथ अपमानजनक व्यवहार है.
सरकारों की अधूरी घोषणाएँ
डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि उनकी मांगों को प्राथमिकता दी जाएगी. वहीं प्रधानमंत्री ने भी भरोसा दिलाया था कि केंद्र सरकार हर संभव सहयोग करेगी. लेकिन, प्रवक्ता के अनुसार, बीते पाँच वर्षों में उनकी एक भी मांग पूरी नहीं हुई.
रघुवंश बाबू ने अपने अंतिम दिनों में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पत्र लिखे थे.उनमें प्रमुख मांगें थीं:
वैशाली गढ़ पर राष्ट्रीय स्तर का आयोजन – हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर वहां झंडोतोलन हो, जैसे पहले एकीकृत बिहार में पटना और रांची में होता था.
भगवान बुद्ध का भिक्षापात्र अफगानिस्तान से वैशाली लाने की पहल.
मनरेगा से किसानों को जोड़ने की व्यवस्था – ताकि मजदूरों को रोजगार और किसानों को सस्ती श्रमशक्ति उपलब्ध हो सके.
ये भी पढ़े :तेजस्वी यादव का वादा: डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को मिलेगी पूरी सुविधा
ये भी पढ़े :तेजस्वी यादव ने किया “वैचारिकी स्मारिका 2025” का विमोचन
विकास और विरासत से जुड़ी मांगें
सिर्फ यही नहीं, रघुवंश बाबू ने सिंचाई मंत्री को लिखे पत्र में कई स्थानीय विकास योजनाओं पर भी जोर दिया था.इनमें शामिल थीं –
समाजवादी साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी के घर की सुरक्षा के लिए कटौंझा धार को तटबंधों के बीच लाना.
मुजफ्फरपुर, साहेबगंज, मोतीपुर और वैशाली क्षेत्र में गंडक नहर पर छोटे पुलों का निर्माण.
वैशाली जिले के महनार प्रखंड में मलमला नहर के दाहिने बाँध को चौड़ा कर सड़क बनाना.
शाहपुर नहर में स्लूइस गेट लगाने की व्यवस्था.
प्रवक्ता ने कहा कि ये सभी मांगें बिहार की सांस्कृतिक धरोहर और आम जनता की जिंदगी से जुड़ी थीं.मगर सरकारों ने इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया.
राजनीति और साजिश के आरोप
चित्तरंजन गगन ने यह भी आरोप लगाया कि रघुवंश बाबू के निधन के बाद कुछ राजनीतिक तत्वों ने उनके नाम पर सस्ती राजनीति करने की कोशिश की.उन्होंने कहा – “जिन ताकतों के खिलाफ रघुवंश बाबू जीवनभर लड़ते रहे, वही लोग उनके अचेत होने के बाद सुनियोजित तरीके से उनके पत्रों की गलत व्याख्या कर राजनीतिक लाभ लेने की घटिया कोशिश करते रहे.
राजद की चेतावनी
राजद ने साफ किया है कि वह रघुवंश बाबू की उपेक्षा को केवल एक नेता का नहीं बल्कि बिहार की अस्मिता का अपमान मानती है.पार्टी ने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की है कि रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई हो.
राजद का यह बयान एक बार फिर इस बहस को हवा दे रहा है कि क्या नेताओं की विरासत और उनके संकल्प सिर्फ उन.के जीवित रहते तक ही सीमित रह जाते हैं? रघुवंश बाबू जैसे कद्दावर नेता की अनदेखी बिहार की राजनीति और समाज दोनों के लिए सवाल खड़ा कर रही है.

I am a blogger and social media influencer. I have about 5 years experience in digital media and news blogging.



















