RSS ही असली टुकड़े-टुकड़े गैंग: रागिनी नायक का तीखा बयान”
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,3 अक्टूबर 2025— कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. रागिनी नायक ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर तीखा प्रहार किया है.उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर एक पोस्ट के माध्यम से तंज कसते हुए कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की तिरंगे के साथ तस्वीर देखकर भाजपा और संघ के नेताओं को तकलीफ़ होती है, क्योंकि संघ अपने नेताओं — हेडगेवार, सावरकर या गोलवलकर — की ऐसी कोई तस्वीर तिरंगे के साथ दिखा ही नहीं सकता है.
डॉ. नायक ने अपने पोस्ट में आगे आरोप लगाया कि आरएसएस ही असली ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ है, जो अंग्रेज़ों की Divide and Rule नीति को आज भी लागू करता है.
कांग्रेस बनाम आरएसएस: विचारधारा का टकराव
भारतीय राजनीति में कांग्रेस और आरएसएस का टकराव कोई नया नहीं है.
कांग्रेस जहां आज़ादी के आंदोलन और तिरंगे की विरासत को अपने संघर्ष का प्रतीक मानती है,
वहीं आरएसएस पर आरोप लगाया जाता है कि उसने स्वतंत्रता संग्राम में प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं निभाई है .
कई मौकों पर कांग्रेस नेताओं ने संघ पर तिरंगे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर नकारात्मक रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
तिरंगे पर संघ की पुरानी छवि
इतिहासकारों और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, लंबे समय तक संघ के कार्यालयों में तिरंगा नहीं फहराया गया था. संघ ने अपने संगठनात्मक ध्वज — ‘भगवा ध्वज’ — को ही प्रतीक माना.
पहली बार 1947 के बाद भी संघ पर यह आरोप लगा कि उसने राष्ट्रध्वज को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई है.
आज़ादी के बाद भी कई सालों तक तिरंगा संघ कार्यालयों में नहीं लहराया जाता था, जो कांग्रेस सहित विपक्ष के निशाने पर रहा.
रागिनी नायक का बयान क्यों अहम है?
डॉ. रागिनी नायक का बयान महज़ व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि यह उस राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस और भाजपा/संघ हमेशा आमने-सामने रहता हैं.
कांग्रेस बार-बार यह दिखाना चाहती है कि उसके नेताओं ने आज़ादी और लोकतंत्र की नींव रखी है .
वहीं, भाजपा और आरएसएस खुद को राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के वाहक के रूप में प्रस्तुत करता हैं.
इस संदर्भ में नायक का यह बयान, आगामी राजनीतिक माहौल को देखते हुए, कांग्रेस समर्थकों के लिए प्रचार सामग्री की तरह काम कर सकता है.
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Divide and Rule का आरोप
डॉ. नायक ने अपने पोस्ट में ब्रिटिश हुकूमत की Divide and Rule नीति का जिक्र करते हुए आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाया है.
उनका कहना है कि RSS आज भी उसी नीति को आगे बढ़ाता है, जिसमें समाज को जाति, धर्म और संप्रदाय के आधार पर बांटकर राजनीति की जाती है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने इस नीति को ही देश में वास्तविक ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की पहचान बताया है.
यहां ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ शब्दावली विशेष महत्व रखती है, क्योंकि भाजपा अक्सर अपने विरोधियों, खासकर वामपंथी और कांग्रेस समर्थक समूहों पर इस आरोप का इस्तेमाल करते आया है.
राजनीतिक माहौल और बयानबाज़ी
भारत में चुनावी माहौल के दौरान इस तरह के बयान बेहद अहम हो जाते हैं.
कांग्रेस चाहती है कि जनता को याद दिलाया जाए कि नेहरू और कांग्रेस की भूमिका राष्ट्रनिर्माण में कितनी अहम थी.
दूसरी तरफ भाजपा और संघ यह दिखाना चाहते हैं कि कांग्रेस ने दशकों तक देश पर शासन करने के बावजूद कई क्षेत्रों में असफलताएँ दीं.
डॉ. नायक का यह बयान इस बहस को और गहराता है कि कौन-सा संगठन असली ‘राष्ट्रवादी’ है और किसने तिरंगे की गरिमा को हमेशा बनाए रखा.
सोशल मीडिया पर असर
आज की राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका किसी भी पारंपरिक मीडिया से कम नहीं है.
डॉ. रागिनी नायक जैसे प्रवक्ताओं के बयान ट्विटर (X) पर तुरंत वायरल हो जाते हैं.
भाजपा और कांग्रेस समर्थकों के बीच ट्वीट वॉर छिड़ना आम बात है.
यह बयान भी उसी सिलसिले का हिस्सा माना जा रहा है, जहां सोशल मीडिया पर इतिहास, विचारधारा और राष्ट्रवाद की नई परिभाषाएँ गढ़ी जाती हैं.
निष्कर्ष
डॉ. रागिनी नायक का बयान एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय राजनीति में तिरंगा केवल राष्ट्रध्वज नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतीक भी है.
कांग्रेस के लिए यह स्वतंत्रता संग्राम और लोकतांत्रिक परंपरा का प्रतीक है.
वहीं, भाजपा और संघ के लिए यह राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक गौरव की पहचान है.
आने वाले चुनावों में ऐसे बयानों का सिलसिला और तेज़ होने की संभावना है.
क्योंकि भारतीय राजनीति में इतिहास, राष्ट्रवाद और तिरंगे की व्याख्या ही वोट बैंक और जनमत को प्रभावित करने का सबसे सशक्त हथियार बन चुकी है.

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