राहुल गांधी का बिहार पर बड़ा हमला: 20 साल से BJP-JDU ने बिहार की आकांक्षाओं का गला घोंटा है!

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Kumar Ranjit

भारतबिहार
राहुल गांधी का बिहार पर बड़ा हमला: 20 साल से BJP-JDU ने बिहार की आकांक्षाओं का गला घोंटा है!

बिहार के युवाओं से राहुल गांधी की बातचीत — शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य पर खुला सच

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 28 अक्टूबर 2025 — कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर बिहार की नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है.X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए एक विस्तृत पोस्ट में राहुल गांधी ने बिहार के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मानव विकास सूचकांकों की बदहाल स्थिति को उजागर करते हुए कहा कि, पिछले 20 सालों में BJP-JDU की सरकार ने बिहार को हर पैमाने पर गर्त में धकेल दिया है.

राहुल गांधी ने हाल ही में बिहार के युवाओं से अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य के युवाओं में ऊर्जा, क्षमता और समझ की कमी नहीं है, लेकिन सरकार की नीतियों ने उन्हें बेरोज़गारी और निराशा के सिवा कुछ नहीं दिया है.

शिक्षा: बिहार पीछे क्यों रह गया?

शिक्षा: बिहार पीछे क्यों रह गया?

राहुल गांधी ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था की जर्जर हालत को रेखांकित करते हुए कई चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए है.

कक्षा 9–10 में ड्रॉपआउट दर: बिहार देशभर में 27वें स्थान पर है (29 राज्यों में) .
कक्षा 11–12 में नामांकन दर: 28वां स्थान।

महिला साक्षरता दर: 28वां स्थान, जो सामाजिक विकास की दिशा में गंभीर चिंता का विषय है.

इन आंकड़ों के जरिये राहुल गांधी ने यह सवाल उठाया कि आखिर क्यों बिहार के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समान अवसर नहीं मिल पा रहा हैं.उन्होंने कहा कि,शिक्षा ही विकास की नींव है, और जब नींव ही कमजोर हो, तो भवन कैसे खड़ा होगा?

रोज़गार का संकट: अवसर नहीं, निराशा

रोज़गार के मोर्चे पर भी बिहार की स्थिति चिंताजनक है. राहुल गांधी के अनुसार.

सेवा क्षेत्र में रोजगार: 21वां स्थान

उद्योग/उत्पादन क्षेत्र में रोजगार: 23वां स्थान

राहुल गांधी ने कहा कि बिहार के युवा देशभर में मेहनत और प्रतिभा के दम पर नाम कमा रहे हैं, लेकिन अपने ही राज्य में अवसरों की कमी ने उन्हें पलायन के लिए मजबूर कर दिया है.सरकार की प्राथमिकता अगर उद्योग, कौशल और निवेश होती, तो आज लाखों युवाओं को बाहर नहीं जाना पड़ता,उन्होंने लिखा.

स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा

राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में बिहार की स्वास्थ्य प्रणाली की कमजोरियों की ओर भी ध्यान दिलाया है.

शिशु मृत्यु दर: 27वां स्थान

बीमा योजना से स्वास्थ्य सुरक्षा: 29वां स्थान

घर में शौचालय की सुविधा: 29वां स्थान

उन्होंने कहा कि यह आंकड़े सिर्फ सरकारी रिपोर्ट नहीं, बल्कि उस rear-view mirror का आईना हैं जो दिखा रहा है कि डबल इंजन सरकार ने राज्य को कितनी दूर पीछे छोड़ दिया है.

राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि — जहां बच्चे मर रहे हों, महिलाएं असुरक्षित हों और गांवों में शौचालय तक न हों, वहां कौन-सी विकास की गाथा लिखी जा रही है?

मानव विकास सूचकांक और प्रति व्यक्ति आय पर चोट

राहुल गांधी ने कहा कि बिहार का मानव विकास सूचकांक (HDI) और प्रति व्यक्ति आय (NSDP) देश में सबसे नीचे हैं.

HDI में स्थान: 27वां

प्रति व्यक्ति आय में स्थान: 25वां

उन्होंने लिखा कि ये आंकड़े साबित करते हैं कि सरकार के तमाम दावे और विज्ञापन सिर्फ जुमलेबाज़ी हैं.असलियत में बिहार आज भी देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्यों में गिना जाता है.

डबल इंजन सरकार पर सीधा वार
डबल इंजन सरकार पर सीधा वार

कांग्रेस नेता ने डबल इंजन सरकार की अवधारणा को ही निशाने पर लिया हैऔर उन्होंने कहा कि बिहार में यह इंजन जनता की तरक्की नहीं, बल्कि ठहराव का प्रतीक बन गया है.

जितने भी बिहारी युवाओं से मिला हूं, सभी बेहद होनहार और काबिल हैं. लेकिन इस सरकार ने अवसरों की जगह उन्हें सिर्फ बेरोज़गारी, पलायन और निराशा दिया है.

राहुल गांधी ने कहा कि बिहार के लोग अब इस ठहराव से उबरना चाहते हैं.

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अब वक्त है बदलाव का — महागठबंधन का संदेश

अपने पोस्ट के अंत में राहुल गांधी ने कहा कि,
अब वक्त है बदलाव का — बिहार का स्वाभिमान फिर जगाने का. वक्त है महागठबंधन के न्याय संकल्प को दोहराने का.

राहुल गांधी का यह बयान 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. कांग्रेस, RJD और वाम दल मिलकर न्याय संकल्प के बैनर तले युवाओं, किसानों और श्रमिकों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषण: बिहार का स्वाभिमान बनाम विकास विमर्श

विशेषज्ञ मानते हैं कि राहुल गांधी का यह आक्रामक रुख बिहार के राजनीतिक विमर्श को नया मोड़ दे सकता है.जहां बीजेपी और जेडीयू विकास और स्थिरता की बात करते हैं, वहीं राहुल गांधी न्याय और‘स्वाभिमान को मुख्य मुद्दा बनाना चाहते हैं.

यह भी सच है कि बिहार में बेरोज़गारी, पलायन और शिक्षा की खराब स्थिति जैसे मुद्दे आज भी आम जनता के लिए सबसे बड़ी चिंता के बिषय बने हुए हैं.अगर कांग्रेस और महागठबंधन इन मुद्दों को जमीन पर प्रभावी ढंग से उठा पाते हैं, तो यह चुनावी समीकरण बदल सकता है.

निष्कर्ष

राहुल गांधी का यह पोस्ट न सिर्फ एक राजनीतिक बयान है, बल्कि बिहार की दशा-दिशा पर गंभीर सवाल भी खड़ा करता है.
बीते दो दशकों की नीतियों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अब समय जवाबदेही का है, न कि जुमलेबाज़ी का.

बिहार के युवा, जो देशभर में मेहनत और प्रतिभा के प्रतीक हैं, अब बदलाव की ओर देख रहा हैं — और शायद 2025 का चुनाव उसी आकांक्षा का आईना बने.

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