न्याय की पुकार, राजनीति से ऊपर इंसानियत की आवाज
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2025 —कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर जनता के बीच न्याय और संवेदनशीलता की मिसाल पेश करते हुए हरिओम वाल्मीकि जी के परिवार से मुलाकात किये. कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक X (Twitter) हैंडल @INCIndia ने इस मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा,
राहुल गांधी जी आज हमसे मिलने आए.वे हमारे लिए मसीहा हैं, हम चाहते हैं कि वे हमें न्याय दिलाये.
– हरिओम वाल्मीकि जी का परिवार
यह बयान न केवल राहुल गांधी के प्रति परिवार के विश्वास को दर्शाता है, बल्कि उस सामाजिक न्याय की मांग को भी उजागर करता है जो आज देश में कई परिवारों की आवाज बन चुका है.
BJP सरकार पर गंभीर आरोप: धमकी और दबाव का खेल
कांग्रेस के अनुसार, हरिओम वाल्मीकि जी के परिवार ने बताया कि आज सुबह बीजेपी सरकार के कुछ लोगों ने उन्हें धमकाया और जबरन एक वीडियो रिकॉर्ड करवाया गया जिसमें कहा गया कि वे राहुल गांधी से नहीं मिलना चाहते.
अगर यह आरोप सही साबित होता हैं, तो यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. पीड़ित परिवारों को आवाज उठाने से रोकना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अस्वीकार्य है.
कांग्रेस ने इस घटना को,राजनीति की ओछी हरकत बताते हुए कहा है कि सरकार को पीड़ितों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव नहीं करना चाहिये.
राहुल गांधी की संवेदना बनाम सत्ता की सख्ती
राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि संवेदना की राजनीति का प्रतीक माना जा रहा है.जब राजनीतिक दल सत्ता के समीकरणों में उलझे हुये हैं, राहुल गांधी लगातार पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर मानवीय मुद्दों को केंद्र में लाने की कोशिश कर रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने अन्याय के शिकार परिवारों से मुलाकात किया हो. इससे पहले भी वे मणिपुर, लखीमपुर खीरी, हाथरस और अन्य जगहों पर पीड़ितों से मिल चुके हैं. हर बार उनका एक ही संदेश रहा है,
न्याय से बड़ा कोई धर्म नहीं, और पीड़ितों की आवाज़ सुनना ही असली राजनीति है.
कांग्रेस का सीधा सवाल — सरकार चुप क्यों है?
कांग्रेस पार्टी ने अपने बयान में कहा कि अगर एक परिवार, जिसने न्याय की मांग की है, उसे धमकाया जा रहा है, तो यह लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करता है.
कांग्रेस ने यह भी कहा कि सरकार को ओछी राजनीति छोड़कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिये.
इस बयान का सीधा अर्थ है कि कांग्रेस अब इस मामले को सिर्फ ट्वीट तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि सड़क से संसद तक इसे उठाने की तैयारी में है.
जनता की प्रतिक्रिया — न्याय बनाम राजनीति
सोशल मीडिया पर कांग्रेस के इस पोस्ट के बाद जनता की प्रतिक्रियाएं दो हिस्सों में बंटा दिखाई दिया.
एक वर्ग ने राहुल गांधी के इस कदम को, संवेदनशील नेता की पहचान बताया है.
जबकि दूसरा वर्ग इसे राजनीतिक सहानुभूति बटोरने की कोशिश कह रहा है.
फिर भी, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब एक परिवार डर और दबाव में जी रहा हो, तब एक राष्ट्रीय नेता का उनसे मिलना उम्मीद की किरण बन सकता है.
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विश्लेषण: जब न्याय राजनीतिक एजेंडा बन जाता है
भारत जैसे लोकतंत्र में न्याय केवल अदालतों में नहीं मिलता, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक प्रतिबद्धता से भी जुड़ा होता है. हरिओम वाल्मीकि का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद में नेताओं की ओर देखता है.
राहुल गांधी की मुलाकात इस सवाल को केंद्र में लाता है कि,
क्या न्याय की मांग करने वाले परिवारों को धमकाना राजनीति का हिस्सा बन चुका है?
क्या सत्ता इतनी असहज है कि एक मुलाकात भी उसे खटकती है?
निष्कर्ष: न्याय की राह कठिन, पर जरूरी
हरिओम वाल्मीकि जी के परिवार की यह अपील केवल एक परिवार की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे समाज की आवाज है.
राहुल गांधी की यह पहल बताती है कि संवेदना और न्याय आज भी राजनीति से ऊपर है.
सरकार को चाहिए कि वह आरोपों की निष्पक्ष जांच कराए, दोषियों पर कार्रवाई करे, और यह संदेश दे कि भारत में किसी भी पीड़ित को डर या दबाव में नहीं रहना पड़ेगा.
जैसा कि राहुल गांधी ने कई बार कहा है कि,
अगर सत्ता में बैठी सरकार जनता की पीड़ा नहीं सुन सकता है , तो फिर वह सत्ता जनता का नहीं रह जाता है.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















