राहुल गांधी का संसद में पीएम मोदी से सवाल

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Ajit Kumar

भारत
राहुल गांधी का संसद में पीएम मोदी से सवाल ट्रम्प के भारत-पाक मध्यस्थता दावे पर चुप्पी क्यों?

ट्रम्प के भारत-पाक मध्यस्थता दावे पर चुप्पी क्यों?

तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 07 अगस्त 2025 – संसद के मानसून सत्र के दौरान एक तीखी बहस उस समय छिड़ गया जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विवादास्पद दावे पर सीधे और स्पष्ट जवाब की मांग किया.ट्रम्प ने हाल ही में एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव को शांत करने में अहम भूमिका निभाया था.और इस दौरान कथित रूप से पांच जेट मार गिराए गये!.

राहुल गांधी का तीखा सवाल

राहुल गांधी ने संसद में कहा कि, अगर ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं तो प्रधानमंत्री खुद संसद में आकर इसे खारिज क्यों नहीं करते? उन्होंने सवाल किया कि जब बात देश की संप्रभुता और सुरक्षा की हो. तब प्रधानमंत्री की चुप्पी क्या यह संकेत देता है कि कुछ छिपाया जा रहा है?

गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह से यह सैन्य कार्रवाई केवल 22 मिनट में समाप्त हो गया.और फिर पाकिस्तान को सूचित किया गया कि भारत उनके सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाएगा.यह सब कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति का संकेत है.

इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए दी चुनौती

राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री और अपनी दादी इंदिरा गांधी की साहसिक नेतृत्व शैली की याद दिलाई और प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि,अगर आप उनमें से आधा भी साहस दिखाएं तो देश जान पाएगा कि नेतृत्व क्या होता है. उन्होंने कहा कि आज की परिस्थिति में देश को सच्चाई जानने का हक है.खासकर पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद की कार्रवाई के संदर्भ में.

सरकार का पक्ष

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में यह जरूर स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत पर कोई बाहरी दबाव नहीं था. लेकिन उन्होंने ट्रम्प के नाम का कोई उल्लेख नहीं किया और न ही उनके दावे का प्रत्यक्ष खंडन किया.इससे राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि आखिर पीएम मोदी ट्रम्प के बयान को लेकर चुप क्यों हैं.

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कांग्रेस नेताओं का समर्थन

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी राहुल गांधी के सवाल का समर्थन किया और कहा कि प्रधानमंत्री को देश के सामने ट्रम्प के दावों को लेकर साफ स्थिति रखनी चाहिए.उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत की विदेश नीति अब इतना नरम हो चुका है कि एक अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों पर भी प्रतिक्रिया देने से परहेज किया जा रहा है?

विदेश नीति पर उठे सवाल

यह पूरी बहस भारत की विदेश नीति, अमेरिका के साथ संबंधों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के प्रति भारत के रुख को लेकर गंभीर सवाल उठा रहा है. ट्रम्प की भारत के खिलाफ की गई टैरिफ धमकियों और उनकी टिप्पणी कि भारत कठिन व्यापार भागीदार है.पहले ही विवाद पैदा कर चुका हैं.

निष्कर्ष

देश की निगाहें अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिका हैं.जो इस पूरे प्रकरण पर आखिरकार क्या रुख अपनाते हैं.क्या वे ट्रम्प के दावों का सीधे खंडन करेंगे या फिर यह मुद्दा यूं ही राजनीतिक चर्चाओं में उलझा रहेगा – यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा.

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