बिहार की राजनीति में जुबानी जंग तेज RJD ने सोशल मीडिया पर ली चुटकी
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,1अगस्त बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गया है.विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में बड़ा तंज कसा है.आरजेडी ने सवाल उठाया है कि क्या 2005 से पहले बिहार में कुछ भी नहीं था? यह पोस्ट साफ तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस रवैये पर निशाना है. जिसमें वे अक्सर राज्य के विकास की शुरुआत 2005 से जोड़ते हैं.
क्या कहा RJD ने अपने ट्वीट में?
राष्ट्रीय जनता दल ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल @RJDforIndia पर पोस्ट किया:
“पूरी दुनिया की रचना 2005 में हुई!
रचयिता हैं नीतीश कुमार!!
‘2005 से पहले कुछ था जी???’”
इस व्यंग्यपूर्ण पोस्ट के ज़रिए आरजेडी ने नीतीश कुमार के कार्यकाल को सर्वोपरि” बताने की प्रवृत्ति पर चुटकी लिया है. यह बयान उन बयानों की आलोचना के तौर पर देखा जा रहा है जिनमें नीतीश कुमार या उनकी पार्टी जदयू, बिहार के विकास को सिर्फ अपने शासन से जोड़ते रहे हैं.
2005 से पहले क्या सच में कुछ नहीं था?
RJD का यह टिप्पणी कई पुराने राजनैतिक और सामाजिक संदर्भों की ओर इशारा करता है. बिहार का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान आज़ादी से पहले से रहा है. यहाँ तक कि राज्य की राजनीतिक जागरूकता, आंदोलन, और शिक्षा में भी एक मजबूत पृष्ठभूमि रहा है.
लालू प्रसाद यादव, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, बिंदेश्वरी दुबे जैसे कई नेताओं के नेतृत्व में बिहार ने विभिन्न चरणों में शासन देखा है.RJD यही बताना चाहता है कि विकास की यात्रा अकेले 2005 में शुरू नहीं हुआ था.
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राजनीति में इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयान अक्सर चुनावी रणनीति के तहत आता हैं. जब कोई सत्तारूढ़ दल बार-बार यह दोहराता है कि हमारे आने के बाद ही विकास शुरू हुआ है तो विपक्ष इस पर सवाल खड़ा करता है.
राजनितिक विशेषज्ञयो ,विश्लेषकों ,चिंतको का मानना है कि.यह पोस्ट सिर्फ एक व्यंग्य नहीं है बल्कि एक गंभीर राजनीतिक संदेश है.इतिहास को नज़रअंदाज़ करने का विरोध.
2025 के चुनाव की तैयारी शुरू?
RJD का यह ट्वीट संकेत देता है कि पार्टी 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट चुका है. इस तरह के सोशल मीडिया पोस्ट अब पार्टी प्रचार का हिस्सा बनते जा रहा हैं. इनमें कटाक्ष, व्यंग्य और इतिहास के पुनर्पाठ के ज़रिए मतदाताओं के भावनात्मक पक्ष को छूने की कोशिश होता है.
निष्कर्ष: क्या यह सिर्फ एक ट्वीट है या राजनीति की गहरी चाल?
RJD द्वारा किया गया यह पोस्ट एक साधारण कटाक्ष नहीं है. यह बिहार की राजनीति में विकास के ठेकेदार की छवि गढ़ने वालों पर एक करारा जवाब है.सोशल मीडिया अब सिर्फ विचार साझा करने का माध्यम नहीं बल्कि चुनावी हथियार बन चुका है.और RJD ने इसका उपयोग बखूबी किया है.

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