न्याय का दिया भरोसा — महिला सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल
तीसरा पक्ष ब्यूरो मुंबई, 29 अक्टूबर 2025 — महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में महिला डॉक्टर संपदा मुंडे की आत्महत्या ने लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया है. बताया जा रहा है कि संपदा ने लगातार यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर अपनी जान दे दी है.यह घटना न केवल एक संवेदनशील महिला की दुखद कहानी कहती है, बल्कि हमारे समाज में महिला सुरक्षा, कार्यस्थल पर शोषण और न्याय प्रणाली की सुस्ती पर गहरे सवाल भी खड़ा करती है.
क्या है पूरा मामला?
संपदा मुंडे महाराष्ट्र के सतारा ज़िले की एक प्रतिष्ठित अस्पताल में कार्यरत थीं.पिछले कुछ महीनों से उन्होंने अपने सहकर्मी और वरिष्ठ डॉक्टर पर यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कई बार संबंधित विभाग में शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
जब मानसिक दबाव असहनीय हो गया, तो 27 अक्टूबर को उन्होंने अपने निवास स्थान पर आत्महत्या कर ली.उनके पीछे छोड़ा गया एक सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने अपने उत्पीड़कों और सिस्टम की उदासीनता का जिक्र किया गया है.
राहुल गांधी ने की परिवार से बात, न्याय का भरोसा
इस घटना के बाद लोगो में गुस्सा और दुख भी है.कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को महिला सुरक्षा और न्याय प्रणाली की असफलता से जोड़ते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
कांग्रेस के नेता विपक्ष राहुल गांधी ने संपदा मुंडे के परिवार से फोन पर बातचीत कर उन्हें हर संभव मदद और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है.
राहुल गांधी ने कहा कि —
संपदा मुंडे के साथ जो हुआ, वह एक महिला के सम्मान और सुरक्षा पर गहरा प्रहार है. हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता.यह केवल एक परिवार की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है.
इस बातचीत के दौरान महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्ष सापकाल और भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) अध्यक्ष उदय भानु सिंह भी मौजूद थे. दोनों नेताओं ने परिवार को आश्वासन दिया कि कांग्रेस न्याय के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी.
कांग्रेस का रुख: हर कीमत पर न्याय दिलाएंगे
कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक X (Twitter) हैंडल पर लिखा है कि.
संपदा मुंडे के साथ जो हुआ, वो समाज में महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है.हम संपदा जी के परिवार के साथ हैं — हर कीमत पर न्याय दिलाकर रहेंगे.
यह बयान उस समय आया जब महाराष्ट्र में महिला सुरक्षा को लेकर सरकार पर सवाल उठने लगा हैं. कई सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग किया है.
महिला सुरक्षा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न का बढ़ता खतरा
संपदा मुंडे का मामला केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है.यह उस सिस्टम की विफलता को उजागर करता है, जो महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने में असफल हो रहा है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 10,000 से अधिक महिलाएं कार्यस्थल पर उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराती हैं, जबकि कई मामले कभी सामने नहीं आते.
विशेषज्ञों का कहना है कि
महिला कर्मचारियों को अक्सर शिकायत दर्ज कराने में भय और सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है.
कई बार जांच समितियाँ निष्पक्षता से काम नहीं करतीं, जिससे पीड़ित महिलाएं न्याय से वंचित रह जाती हैं.
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राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनता की भावना
संपदा मुंडे की मौत ने महाराष्ट्र की राजनीति को भी हिला दिया है. विपक्ष ने राज्य सरकार पर लापरवाही और संवेदनहीनता का आरोप लगाया है.सोशल मीडिया पर जहां हजारों लोग न्याय की मांग कर रहे हैं.
एक यूजर ने लिखा कि,
अगर डॉक्टर जैसी पढ़ी-लिखी और आत्मनिर्भर महिला को भी सिस्टम न्याय नहीं दे पा रहा, तो आम महिला का क्या होगा?
यह सवाल केवल एक ट्वीट नहीं, बल्कि समाज के दर्द की सच्ची आवाज़ है.
अब आगे क्या?
परिवार और कांग्रेस नेताओं की मांग है कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए ताकि असली दोषी बेनकाब हों.
राज्य सरकार ने भी प्रारंभिक स्तर पर जांच का आदेश दिया है, लेकिन अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है.
राहुल गांधी की हस्तक्षेप से यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है.इससे उम्मीद है कि यह घटना महिला सुरक्षा कानूनों के सख्त पालन की दिशा में नई बहस शुरू करेगी.
निष्कर्ष: संपदा मुंडे की आत्मा को न्याय तभी मिलेगा जब सिस्टम बदलेगा
संपदा मुंडे का निधन केवल एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं, बल्कि समाज और सिस्टम की चुप्पी की हार है.
कांग्रेस का रुख स्पष्ट है — न्याय मिलेगा, चाहे जितना वक्त लगे.
लेकिन असली बदलाव तभी आएगा, जब महिला सुरक्षा कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए, और हर महिला बिना डर के अपनी बात रख सके.

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