CJI पर हमला लोकतंत्र पर हमला: संजय सिंह बोले – BJP रूपी नफ़रती साँप को कुचलना होगा

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Ajit Kumar

भारत
CJI पर हमला लोकतंत्र पर हमला: संजय सिंह बोले – BJP रूपी नफ़रती साँप को कुचलना होगा

इस तरह कि घटना भारत के लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार

तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 8 अक्टूबर 2025 — भारत के लोकतंत्र की रीढ़ उसकी न्यायपालिका और संविधान हैं। लेकिन हाल ही में सामने आए घटनाक्रम ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है.आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अपने आधिकारिक X (Twitter) अकाउंट से एक गंभीर बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा कि —

अगर भारत को बचाना है तो BJP रूपी नफ़रती साँप को कुचलना होगा.

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत के संविधान और न्याय व्यवस्था की आत्मा पर हमला है.

मुख्य न्यायाधीश पर हमला – गहरी साज़िश या सुनियोजित प्रोपेगैंडा?

संजय सिंह का कहना है कि CJI पर की गई गालियाँ, धमकियाँ और अपमानजनक वीडियो किसी एक व्यक्ति की हरकत नहीं, बल्कि एक गहरी साज़िश का हिस्सा हैं.उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम के पीछे मोदी सरकार, BJP और RSS की मिलीभगत का आरोप लगाया.

उनके अनुसार —

CJI को गाली देने वाले, मारने की धमकी देने वाले, गले में हाण्डी बाँधकर अपमानजनक वीडियो बनाने वाले, सब BJP की नफरती फ़ौज हैं, और इन पर कोई कार्यवाही नहीं होगी.

यह बयान लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक मर्यादा पर हो रहे प्रहार की ओर इशारा करता है.

10 अक्टूबर को यूपी में प्रदर्शन: संविधान की रक्षा का आह्वान

AAP नेता ने घोषणा की है कि 10 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हर ज़िले में इस पूरे प्रकरण के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन किया जाएगा.
यह प्रदर्शन न केवल CJI पर हुए अपमानजनक हमले के विरोध में होगा, बल्कि संविधान, न्यायपालिका और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का प्रतीक भी बनेगा.

संजय सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं और जनता से आह्वान किया है कि वे इस दिन संविधान और न्याय के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलंद करें.

CJI पर हमला संविधान की आत्मा पर हमला है.मोदी भारत को छूआछूत युग में वापस ले जाना चाहते हैं, जहाँ दलितों के गले में हाण्डी बाँधी जायेगी.

छूआछूत युग का संदर्भ – एक प्रतीकात्मक चेतावनी

संजय सिंह का छूआछूत युग वाला बयान सिर्फ ऐतिहासिक संकेत नहीं है, बल्कि सामाजिक असमानता के बढ़ते माहौल पर उनकी तीखी टिप्पणी है.उन्होंने कहा कि आज देश में एक ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है जहाँ नफ़रत और विभाजन की राजनीति हावी होती जा रही है.
वह चेतावनी देते हैं कि अगर संविधान की रक्षा नहीं की गई, तो भारत दोबारा उस दौर में पहुँच जाएगा जहाँ जाति, धर्म और ऊँच-नीच के नाम पर इंसानियत कुचली जाती थी.

राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनता की भूमिका

संजय सिंह का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है.
कई लोग इसे लोकतंत्र की रक्षा का आह्वान मान रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक इसे राजनीतिक नाटक कह रहे हैं.
लेकिन एक बात स्पष्ट है — न्यायपालिका और संविधान की गरिमा पर कोई भी हमला, चाहे प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है.

AAP नेताओं का कहना है कि यह लड़ाई किसी दल या व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारत की आत्मा — संविधान और न्याय की रक्षा की लड़ाई है.

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संविधान बनाम सत्ता: कौन जीतेगा यह संघर्ष?

भारत के इतिहास में ऐसे कई मोड़ आए हैं जब सत्ता और संविधान के बीच टकराव हुआ.
आज एक बार फिर वैसा ही माहौल बनता दिख रहा है — जहाँ सत्ता में बैठे लोग न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठा रहे हैं और जनता का विश्वास डगमगा रहा है.

संजय सिंह जैसे नेताओं की आवाज़ लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकती है.
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि —

यह सिर्फ AAP की लड़ाई नहीं, बल्कि हर उस भारतीय की लड़ाई है जो संविधान को मानता है, न्यायपालिका का सम्मान करता है और नफ़रत की राजनीति के खिलाफ खड़ा होना चाहता है.

निष्कर्ष: नफ़रत नहीं, न्याय चाहिए

भारत का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय की गारंटी देता है. लेकिन अगर देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था के प्रमुख पर ही हमला हो, तो यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र का अपमान है.

संजय सिंह का यह बयान इस बात की याद दिलाता है कि लोकतंत्र सिर्फ चुनावों से नहीं, बल्कि न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों से चलता है.
आज ज़रूरत है कि हर नागरिक नफ़रत की राजनीति से ऊपर उठकर संविधान की रक्षा के लिए एकजुट हो.

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