संस्कृत दिवस समारोह में डॉ. दिलीप जायसवाल ने संस्कृत भाषा के महत्व को रेखांकित किया

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Ajit Kumar

बिहार
संस्कृत दिवस समारोह में डॉ. दिलीप जायसवाल ने संस्कृत भाषा के महत्व को रेखांकित किया

रवींद्र भवन में वेबसाइट और पोर्टल लॉन्च के साथ प्रधानाध्यापक कार्यशाला का आयोजन

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 12 अगस्त।: बिहार की राजधानी पटना स्थित रवींद्र भवन में आज संस्कृत भाषा के सम्मान और उत्थान को समर्पित एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया. अवसर था संस्कृत दिवस समारोह का जिसका आयोजन बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड द्वारा किया गया. इस मौके पर न सिर्फ बोर्ड की वेबसाइट और पोर्टल का शुभारंभ हुआ बल्कि संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के लिए एक विशेष कार्यशाला का भी आयोजन किया गया.

रवींद्र भवन में वेबसाइट और पोर्टल लॉन्च के साथ प्रधानाध्यापक कार्यशाला का आयोजन

मारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने संस्कृत भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कई अहम घोषणाएं किया.उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है. और यदि आवश्यक हुआ तो इसे आगामी चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाएगा.

संस्कृत दिवस समारोह में डॉ. दिलीप जायसवाल ने संस्कृत भाषा के महत्व को रेखांकित किया

डॉ. जायसवाल ने कहा कि,संस्कृत भाषा हमारे सनातन धर्म की आत्मा है. पूजा-पाठ, मंत्रोच्चारण और वैदिक परंपराएं संस्कृत के बिना अधूरी हैं. इस भाषा को उचित सम्मान मिलना ही चाहिएये. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार सरकार संस्कृत विद्यालयों की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है.

रवींद्र भवन में वेबसाइट और पोर्टल लॉन्च के साथ प्रधानाध्यापक कार्यशाला का आयोजन

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय झा को लेकर भी डॉ. जायसवाल ने संतोष प्रकट किया और कहा कि वे इस जिम्मेदारी के लिए पूर्णतः योग्य हैं और बहुत कम समय में ही उन्होंने बोर्ड के कार्यों में गति लाई है.

रवींद्र भवन में वेबसाइट और पोर्टल लॉन्च के साथ प्रधानाध्यापक कार्यशाला का आयोजन

इस मौके पर संस्कृत शिक्षा के प्रति सरकारी प्रतिबद्धता और नीतिगत प्रयासों की झलक साफ दिखा. समारोह में कई गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे जिनमें मंगल पांडेय, एस सिद्धार्थ, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. लक्ष्मी निवास पांडेय, दुर्गेश कुमार राय, चंद्रकिशोर कुमार, धनेश्वर कुशवाहा, अनुरंजन झा, निवेदिता, रामप्रीत पासवान और चन्द्रांशु मिश्रा प्रमुख रूप से शामिल थे.

इस समारोह ने स्पष्ट संकेत दिया कि आने वाले समय में बिहार में संस्कृत भाषा और शिक्षा को लेकर सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता हैं. जहां एक ओर राजनीतिक इच्छाशक्ति दिख रहा है.वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक स्तर पर भी सक्रिय प्रयास किया जा रहा हैं.

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