किशनगंज बना सियासत का केंद्र – AIMIM की यात्रा से बढ़ी हलचल
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,24 सितंबर 2025 – भारत की राजनीति में क्षेत्रीय यात्राओं और जनसंपर्क अभियानों का हमेशा एक अहम स्थान रहा है.यही कारण है कि आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने सीमांचल क्षेत्र में अपनी “सीमांचल न्याय यात्रा” की शुरुआत की है. इस यात्रा का नेतृत्व पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कर रहे हैं.AIMIM ने अपने आधिकारिक X (Twitter) हैंडल से इस यात्रा की तस्वीरें और संदेश साझा किया है, जिनमें स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी अब बिहार के सीमांचल इलाके में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है.

सीमांचल न्याय यात्रा का उद्देश्य
सीमांचल क्षेत्र बिहार का एक संवेदनशील इलाका है, जहाँ लंबे समय से सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ापन देखने को मिलता है.AIMIM ने अपनी यात्रा का नाम “सीमांचल न्याय यात्रा” रखकर यह स्पष्ट किया है कि उनकी राजनीति सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि वह क्षेत्र की समस्याओं को राष्ट्रीय विमर्श में लाने का इरादा रखते हैं.

इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है
सीमांचल के विकास से जुड़े मुद्दों को सामने रखना.
स्थानीय जनता से सीधा संवाद स्थापित करना.
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी ढांचे से जुड़ी समस्याओं को उजागर करना.
राजनीतिक मुख्यधारा में सीमांचल की आवाज को बुलंद करना.
किशनगंज विधानसभा क्षेत्र से शुरुआत
AIMIM ने इस यात्रा की शुरुआत किशनगंज विधानसभा क्षेत्र से किया है. यह इलाका सीमांचल की राजनीति में बेहद अहम माना जाता है क्योंकि यहाँ मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा है. AIMIM की पोस्ट में उल्लेख किया गया कि “सीमांचल को मिलाना है,” यानी पार्टी इस क्षेत्र को अपनी राजनीतिक रणनीति का मुख्य आधार बनाने जा रही है.

असदुद्दीन ओवैसी का संदेश
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पोस्ट के जरिए साफ किया कि यह यात्रा महज चुनावी कवायद नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक जागरण की शुरुआत है. उनके मुताबिक, सीमांचल की अनदेखी लंबे समय से होती आई है और अब बदलाव की आवश्यकता है. ओवैसी ने कहा कि “बदलाव की शुरुआत हो चुकी है, जो बताता है कि AIMIM इस क्षेत्र में बड़े राजनीतिक दांव की तैयारी में है.
सीमांचल की चुनौतियाँ
सीमांचल न्याय यात्रा के दौरान AIMIM ने जिन मुद्दों पर ज़ोर दिया, वे इस क्षेत्र की वास्तविकता को दर्शाते हैं.
शिक्षा की कमी – यहाँ शिक्षा का स्तर अन्य जिलों की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है.
स्वास्थ्य सुविधाओं की दयनीय स्थिति – प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों की कमी से लोग परेशान रहते हैं.
बेरोज़गारी – युवाओं के पास रोजगार के अवसर बेहद सीमित हैं.
बुनियादी ढांचा – सड़क, बिजली और पानी जैसी सुविधाओं का अभाव.
बार-बार आने वाली बाढ़ – सीमांचल क्षेत्र में बाढ़ एक स्थायी समस्या बन चुकी है.
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AIMIM की राजनीतिक रणनीति
AIMIM का फोकस यह दिखाता है कि पार्टी सीमांचल की समस्याओं को एक राजनीतिक एजेंडा बनाकर आगे बढ़ा रही है. हाल के वर्षों में AIMIM ने बिहार विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था और सीमांचल से कुछ सीटें भी जीती थीं. अब इस न्याय यात्रा के जरिए AIMIM उस सफलता को और व्यापक करने की कोशिश कर रही है.
सोशल मीडिया और जनसंपर्क
AIMIM ने अपने X (Twitter) हैंडल से लगातार इस यात्रा की तस्वीरें और अपडेट साझा किए हैं. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रियता से यह साफ होता है कि पार्टी सोशल मीडिया का इस्तेमाल जनसंपर्क और अपनी नीतियों को प्रचारित करने के लिए पूरी तरह कर रही है.ओवैसी के पोस्ट को बार-बार रीशेयर और रीपोस्ट किया जा रहा है, जिससे यात्रा को एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय बनाया जा रहा है.
बदलाव की आहट
ओवैसी का यह बयान कि “बदलाव की शुरुआत हो चुकी है. महज एक नारा नहीं बल्कि AIMIM की भविष्य की राजनीतिक दिशा का संकेत है. सीमांचल न्याय यात्रा के जरिये AIMIM न सिर्फ सीमांचल के लोगों को जोड़ना चाहती है, बल्कि उन्हें यह एहसास भी कराना चाहती है कि उनकी आवाज़ राष्ट्रीय राजनीति में भी गूंज सकती है.
निष्कर्ष
सीमांचल न्याय यात्रा केवल AIMIM का एक राजनीतिक अभियान नहीं बल्कि यह सीमांचल के पिछड़ेपन और अनदेखी के खिलाफ एक आंदोलन का स्वरूप ले रही है. असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई में यह यात्रा सीमांचल की समस्याओं को राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बना रही है. किशनगंज से शुरू हुई इस पहल ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले चुनावों में AIMIM सीमांचल में एक बड़ा और निर्णायक खिलाड़ी बनने की रणनीति बना चुकी है.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















