विपक्ष का बड़ा आरोप, तेजस्वी बोले यह लोकतंत्र खत्म करने की साजिश है
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 23 जुलाई :नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज पटना स्थित अपने आवास 01 पोलो रोड पर महागठबंधन के प्रमुख नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में राज्य और केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया को एक साजिश बताते हुए कहा कि इसके ज़रिए न सिर्फ नागरिकों के अस्तित्व को संकट में डाला जा रहा है.बल्कि सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं तक उनकी पहुँच भी रोका जा सकता है.

विधान सभा में सत्ता पक्ष का व्यवहार अमर्यादित: तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने बताया कि एसआईआर के मुद्दे को लेकर वे खुद विधान सभा अध्यक्ष से मिले थे और चर्चा की अनुमति मिलने के बाद उन्होंने सदन में अपनी बात रखना शुरू हि किया था लेकिन जैसे ही उन्होंने चुनाव आयोग और एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाये उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और अन्य मंत्रियों द्वारा कथित रूप से अभद्र और हल्की भाषा का प्रयोग किया गया.
उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा गिराने का काम खुद उपमुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के मंत्रियों ने किया है. ऐसा प्रतीत होता है कि ये लोग मुद्दों से ध्यान भटकाकर सिर्फ खबरों में बना रहना चाहते हैं.
एसआईआर के ज़रिए नागरिकता पर हमला
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज लोकतंत्र में सरकार को जनता चुनती है. लेकिन सरकार खुद यह तय कर रहा है कि कौन वोटर रहेगा और कौन नहीं रहेंगा. उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने का मतलब होगा, राशन, पेंशन, स्कॉलरशिप और तमाम जनहित योजनाओं से लोगों को वंचित कर देना.
उन्होंने यह भी पूछा कि जब 2005 से अब तक राज्य में एनडीए सरकार रही है और केंद्र में 2014 से भाजपा की सरकार है. तो एसआईआर जैसे मुद्दों पर आज सवाल क्यों खड़ेा हो रहा हैं? अगर घुसपैठ के दावे सही हैं. तो जिम्मेदार कौन है?” तेजस्वी ने सवाल दागा.
क्या है एसआईआर और क्यों बना विवाद का कारण?
एसआईआर एक ऐसी प्रक्रिया है. जिसमें मतदाता सूची में मौजूद ऐसे नामों को चिह्नित किया जाता है जिन्हें ‘संदिग्ध’ या ‘अमान्य’ माना जाता है. जैसे दो जगह नाम होना, बिना दस्तावेज के नाम दर्ज होना या मृत व्यक्ति के नाम.
विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका दुरुपयोग खासतौर पर गरीब, अल्पसंख्यक और वंचित वर्गों को मतदाता सूची से बाहर करने के लिए किया जा रहा है.
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विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी जताई चिंता
इस संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआई और सीपीएम के प्रमुख नेता शामिल रहे, जिन्होंने एक स्वर में एसआईआर प्रक्रिया को लोकतंत्र विरोधी बताया.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि “सदन का उद्देश्य चर्चा है. लेकिन सत्ता पक्ष चर्चा से भाग रहा है.ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दे को भटकाने के लिए एक नाटकीय माहौल बनाया गया.
भाकपा माले के नेता महबूब आलम ने पूछा कि अगर यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू नहीं है. तो बिहार को ही क्यों चुना गया. जब तीन महीने बाद ही चुनाव हैं?उन्होंने एसआईआर को एनआरसी की तरह करार दिया. जो नागरिकता पर सीधा हमला है.
सीपीएम विधायक कॉमरेड अजय कुमार ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता से रहित है. और इसे गृह मंत्रालय और न्यायिक प्रक्रिया से अलग कर वोटर लिस्ट को प्रभावित करने की कोशिश किया किया जा है.
सीपीआई विधायक सूर्यकान्त पासवान ने स्पष्ट किया कि वे वोट देने और बोलने के अधिकार को कुचलने की किसी भी साजिश का विरोध सड़क से लेकर सदन तक करेंगे.
विधानसभा चुनाव और बढ़ता राजनीतिक तापमान
बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों से महज कुछ महीने पहले यह विवाद भड़कना संकेत देता है कि एसआईआर और वोटर लिस्ट से जुड़ा मुद्दा चुनावी राजनीति का मुख्य बिंदु बनने जा रहा है. विपक्ष इसे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों से जोड़ रहा है.जबकि सत्ता पक्ष अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट सफाई देने से बच रहा
निष्कर्ष: लोकतंत्र पर संकट या विपक्ष का आरोप?
महागठबंधन ने एक सुर में एसआईआर को भाजपा और केंद्र सरकार की ओर से वोटर लिस्ट हाईजैक की योजना बताया है.वहीं सत्ता पक्ष के व्यवहार को लेकर भी सवाल उठाया गया है.सवाल यह है कि क्या एसआईआर प्रक्रिया सचमुच पारदर्शिता से रहित है और क्या इससे नागरिक अधिकारों का हनन हो सकता है?
यह तो आने वाले दिनों की राजनीतिक गतिविधियाँ और निर्वाचन आयोग की भूमिका तय करेगा.लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में यह मुद्दा विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा बिंदु बनने जा रहा है.
एसआईआर जैसे तकनीकी और संवेदनशील विषय पर खुली बहस जरूरी है. ताकि मतदाता अधिकार सुरक्षित रहें और लोकतंत्र की नींव मजबूत बना रहे.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.