बिहार में लोकतंत्र की हत्या LIVE चल रही है! – दीपंकर का वार
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 10 अगस्त 2025 – बिहार में संवर्धित मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विवाद और गहराता जा रहा है.आज पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान माले महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग को खुली चुनौती देते हुए कहा कि बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया लोकतंत्र पर दिन-दहाड़े डकैती जैसा है.

दीपंकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने SIR के आखिरी चरणों में आंकड़ों में ऐसी उछाल और बदलाव किया हैं जो न केवल चौंकाने वाले हैं.बल्कि बड़े पैमाने पर मतदाता अधिकारों की सुनियोजित हत्या की ओर इशारा करता हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में माले महासचिव ने जुलाई और अगस्त के चुनाव आयोग के आंकड़ों में विरोधाभासों की विस्तार से चर्चा किया.
मृत मतदाताओं की संख्या 19 जुलाई को 14.29 लाख था जो अचानक 21 जुलाई को 16.55 लाख, फिर 22 जुलाई को 18.66 लाख और अंततः 22 लाख तक पहुंच गया है.
स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता जो 19 जुलाई तक 19.74 लाख थे. वह केवल एक हफ्ते में दोगुना होकर 36 लाख पहुंच गया .
अपने पते पर नहीं मिलने वाले मतदाता भी 19 जुलाई को 41.6 लाख से बढ़कर 22 जुलाई को 52.3 लाख हो गया.
जिनका पता नहीं चला उनकी संख्या एक हफ्ते में 11 हजार से बढ़कर सीधे 1 लाख पहुंच गया.
एक से ज्यादा स्थानों पर दर्ज मतदाता जो पहले 7.5 लाख थे, वे उल्टा घटकर 7 लाख रह गया.
दीपंकर ने सवाल उठाया कि – आखिर इन आंकड़ों की यह अचानक उछाल कैसे और क्यों?
चुनाव आयोग अब चुनौती आयोग बन चुका है
माले महासचिव ने सीधा आरोप लगाया कि आयोग सुप्रीम कोर्ट के सलाहों का भी अवहेलना कर रहा है.
उन्होंने कहा कि.जब उपमुख्यमंत्री के आवेदन पर आयोग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा?
उन्होंने मांग किया कि SIR की डिलीशन लिस्ट पंचायत स्तर पर सार्वजनिक किया जाये ताकि आम नागरिकों को भी पता चल सके कि उनका नाम क्यों हटाया गया है.
2024 में चोरी छुपे, अब खुलेआम वोट की डकैती
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि जहां 2024 में कुछ हिस्सों में चुनिंदा चुनावी चोरी हुई थी, वहीं अब बिहार में यह सार्वजनिक लूट का रूप ले चुका है.
उन्होंने राहुल गांधी के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने एक विधानसभा में एक लाख फर्जी वोटर की बात कहा थी.
राहुल गांधी से एफिडेविट मांगा जा रहा है. लेकिन चुनाव आयोग उस विधानसभा की जांच करने से बच रहा है.
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Natural Justice और Rule of Law की अनदेखी
दीपंकर का कहना था कि SIR के नाम पर 66 लाख वोटरों को बिना किसी सूचना के मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया. उनका तर्क था कि,
वोट काटे गए लोगों को कोई सूचना नहीं दिया गया है.
जिन्हें लिस्ट से हटाया गया उनसे Form-6 भरवाने की उम्मीद किया जा रहा है – यह न्याय नहीं, अन्याय है.
जिन बीएलओ पर सवाल उठा हैं. उन्हें हटाया जा रहा है. न कि प्रक्रियाओं की जांच किया जा रहा है.
वोट चोर, गद्दी छोड़! – देशव्यापी अभियान का ऐलान
माले ने 9 से 11 अगस्त तक देशव्यापी अभियान का एलान किया है. जिसमें हर गली, मोहल्ले और गांव-कस्बे में, वोट चोर, गद्दी छोड़, का नारा बुलंद किया जायेगा.
इसके साथ ही 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर “आजादी बचाओ, संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ” के नारों के साथ पूरे देश में विकेन्द्रित मार्च निकाला जायेगा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे ये चेहरे
इस संवाददाता सम्मेलन में माले के राज्य सचिव कुणाल, वरिष्ठ नेता धीरेंद्र झा, महिला नेत्री शशि यादव और विधायक गोपाल रविदास भी मौजूद थे.सभी ने एक स्वर में मताधिकार पर हो रहे इस हमले के खिलाफ संगठित प्रतिरोध का अपील किया है.
निष्कर्ष
बिहार में SIR प्रक्रिया अब एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं रह गई है — यह लोकतंत्र और मताधिकार के मूल प्रश्न पर सीधा हमला बन गया है. माले और अन्य विपक्षी दल इसे अब एक राष्ट्रीय जनांदोलन के रूप में लेने को तैयार दिख रहा हैं.
बिहार की जमीन अब सिर्फ़ चुनावी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक संघर्ष के जमीन बनते जा रहा है.

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