बाढ़ और प्रशासनिक अराजकता के बीच SIR प्रक्रिया पर उठे सवाल

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Ajit Kumar

बिहार
बाढ़ और प्रशासनिक अराजकता के बीच SIR प्रक्रिया पर उठे सवाल

भाकपा (माले) ने जताई गंभीर आपत्ति, राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,19 जुलाई :बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गया है.भाकपा (माले) ने आज एक तीखा बयान जारी करते हुए इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़ा किया हैं.पार्टी के राज्य सचिव कॉ. कुणाल ने इसे ‘सुनियोजित साजिश’ बताते हुए दावा किया है कि लाखों मतदाताओं को सूचियों से हटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है.

बिना सूचना के भरे जा रहे फॉर्म, पारदर्शिता पर सवाल

कॉ. कुणाल ने आरोप लगाया कि राज्य भर में मतदाताओं से जुड़े फॉर्म उनके संज्ञान के बिना भरा जा रहा है.मतदाता यह भी नहीं जान पा रहे कि उनके नाम, पते या दस्तावेज़ों में क्या बदलाव किए गया है.कई क्षेत्रों में यह काम भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) के साथ मिलकर किया जा रहा है. जिसकी कोई निगरानी या पारदर्शिता नहीं है.

अधूरी सूचियाँ और अव्यवस्था

हालांकि 26 जुलाई अंतिम तिथि के रूप में घोषित किया गया है.परंतु पहले से ही अपूर्ण और त्रुटिपूर्ण मतदाता सूचियाँ जारी कर दिया गया है. भोजपुर जैसे जिलों से प्राप्त प्रशासनिक आँकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 19.5 लाख फॉर्म प्राप्त हुआ है जिनमें से 61,000 मतदाताओं को मृत घोषित किया गया है. 71,000 को पलायित और 40,000 को ‘ट्रेसलेस’ की श्रेणी में डाल दिया गया है. वहीं, 2.7 लाख मतदाताओं के फॉर्म अभी तक अधूरे हैं. अरवल जिले में भी 33,000 नामों पर संदेह जताया गया है.

बाढ़ और दस्तावेज़ की चुनौती

कॉ. कुणाल ने सवाल उठाया कि जब राज्य के अधिकांश हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं और आमजन अपने जीवन की रक्षा में जुटे हैं. तब उनसे दस्तावेज़ों के साथ उपस्थित होने की अपेक्षा करना अमानवीय है.गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और महिलाएं इस संकट में कैसे जरूरी कागजात जुटा पाएंगी? यह पूरी प्रक्रिया उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने की ओर एक खतरनाक कदम है.

चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप

भाकपा (माले) ने चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि इतनी हड़बड़ी क्यों की जा रही है? क्या मतदाताओं को पर्याप्त समय और जानकारी देकर एक निष्पक्ष प्रक्रिया नहीं चलाई जा सकती थी? पार्टी ने यह भी दावा किया है कि BLO कर्मियों पर भी आंकड़े जुटाने का दबाव डाला जा रहा है, जिससे वे खुद असहज हैं.

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तत्काल SIR पर रोक और आंदोलन की चेतावनी

कॉ. कुणाल ने साफ किया कि यदि इस प्रक्रिया को तुरंत नहीं रोका गया तो भाकपा (माले) राज्यभर में जन आंदोलन छेड़ेगी.पार्टी की मांग है कि दलितों, वंचितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मतदाता अधिकारों की पूर्ण रक्षा हो और किसी को भी दस्तावेज़ के नाम पर मतदाता सूची से वंचित न किया जाये

लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई

भाकपा (माले) ने इस मसले को लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा से जोड़ते हुए स्पष्ट किया है कि यह केवल एक चुनावी तकनीकी प्रक्रिया नहीं है बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है. पार्टी ने आम जनता, सामाजिक संगठनों और सभी लोकतंत्रप्रिय नागरिकों से इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाने की अपील किया है.

निष्कर्ष

जिस समय बिहार प्राकृतिक आपदा और सामाजिक असमानताओं से जूझ रहा है. उस समय मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और प्रशासनिक हड़बड़ी ने कई सवाल खड़े कर दिया है. क्या लोकतंत्र की बुनियाद को सुरक्षित रखने के लिए SIR प्रक्रिया पर फिर से विचार किया जाएगा.या यह विवाद और अविश्वास की ओर बढ़ता रहेगा. इसका जवाब आने वाले दिनों की राजनीति तय करेगी.

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