जनता को क्या संदेश देना चाहती है कांग्रेस और INDIA गठबंधन?
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 24 जुलाई: देश की राजधानी दिल्ली में आज केंद्र सरकार की नीतियों और कार्यशैली के खिलाफ विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के खास बात यह रहा कि कांग्रेस संसदीय दल (CPP) के चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने भी इसमें भाग लिया. सोनिया गांधी की इस सक्रिय भागीदारी को विपक्ष की एकता और गंभीरता का प्रतीक माना जा रहा है.
इस जानकारी की पुष्टि कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल @INCIndia द्वारा किया गया है.इस पोस्ट में बताया गया कि श्रीमती सोनिया गांधी स्वयं ‘ SIR के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में शामिल हुईं.
क्या है मामला?
NDIA गठबंधन का ये विरोध प्रदर्शन संसद सत्र के दौरान इसलिए किया गया क्योंकि उनका कहना है कि मोदी सरकार लोकतंत्र को दबा रहा है.न लोगों को खुलकर बोलने दिया जा रहा है. न ही बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई पर कोई ध्यान दिया जा रहा है. साथ ही विपक्ष का आरोप है कि सरकार संवैधानिक संस्थाओं का गलत इस्तेमाल कर रहा है ताकि जो सवाल उठाए उसे चुप कराया जा सके.
प्रदर्शन में कांग्रेस के साथ-साथ कई अन्य विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुये और उन्होंने केंद्र सरकार पर जनहित की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाये.
सोनिया गांधी की मौज़ूदगी का क्या मतलब?
सोनिया गांधी लम्बे समय से स्वास्थ्य कारणों से सार्वजनिक रूप से सक्रिय भूमिका में कम दिखती हैं.लेकिन इस विरोध प्रदर्शन में उनकी मौजूदगी विपक्ष की एकजुटता और संकल्प को दर्शाता है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकेत है कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस अब रक्षात्मक नहीं. बल्कि आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतरने को तैयार है.
विरोध प्रदर्शन में उठाए गए मुख्य मुद्दे:
- महंगाई और बेरोज़गारी पर केंद्र सरकार की चुप्पी
- संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर खतरा
- विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग
- किसानों और मज़दूरों की अनदेखी
- लोकतांत्रिक मूल्यों की गिरती स्थिति
INDIA गठबंधन की एकता को बल
सोनिया गांधी के अलावा प्रदर्शन में कई प्रमुख नेता शामिल रहे. जिन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा. INDIA गठबंधन का कहना है कि वे आने वाले चुनावों में जनता की आवाज़ बनकर एकजुट होकर लड़ेंगे और लोकतंत्र को बचाएंगे.
निष्कर्ष:
सोनिया गांधी की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल अब किसी भी सियासी दबाव के सामने झुकने वाले नहीं हैं.यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है.

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