15 जून 2025 को होने वाली नीट पीजी परीक्षा की तैयारी कर रहे लाखों उम्मीदवारों बड़ी राहत, कोर्ट ने क्या कहा ?
तीसरा पक्ष डेस्क,नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 30 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (NEET PG) 2025 को दो पालियों के बजाय एक ही पाली में आयोजित किया जाए. यह निर्णय नीट पीजी 2025 की परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि दो पालियों में परीक्षा आयोजित करने से असमानता और मनमानी की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे छात्रों को समान अवसर नहीं मिल पाते.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला एवं कोर्ट का तर्क
जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया शामिल थे, ने 15 जून 2025 को होने वाली नीट पीजी परीक्षा के लिए एक पाली की व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट करते हुए कहा कि दो पालियों में परीक्षा आयोजित करने से प्रश्न पत्रों के स्तर में अंतर हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है. कोर्ट ने आगे कहा कि यह प्रक्रिया छात्रों के बीच असमानता पैदा कर सकती है. कोर्ट ने एनबीई(NBE) को स्पष्ट निर्देश दिया कि वह एक ही शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करे ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले और परिणामों की पारदर्शिता सुनिश्चित हो.
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा ?

लाइव लॉ के अनुसार कोर्ट ने आदेश में कहा कि “दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने से मनमानी होती है. इससे समान अवसर नहीं मिल पाते. दो शिफ्ट में प्रश्नपत्र कभी भी एक ही कठिनाई स्तर के नहीं हो सकते. पिछले साल उस चरण के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार यह दो शिफ्ट में आयोजित की गई होगी. लेकिन परीक्षा निकाय को एक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था करने पर विचार करना चाहिए था.”
दो पालियों के खिलाफ याचिका
यह फैसला एक याचिका की सुनवाई के बाद आया, जिसमें दो पालियों में नीट पीजी 2025 आयोजित करने के एनबीई के फैसले को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने से प्रश्न पत्रों की कठिनाई के स्तर में भिन्नता हो सकती है, जिससे नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के माध्यम से परिणामों में अनुचित प्रभाव पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि एक ही शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करना निष्पक्षता और समानता के लिए आवश्यक है.
एनबीई का दो पालियों में परीक्षा का तर्क
नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने पहले दो पालियों में परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था, जिसका कुछ उम्मीदवारों और संगठनों ने विरोध किया था. एनबीई का तर्क था कि दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करना तकनीकी और लॉजिस्टिक कारणों से आवश्यक है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यह व्यवस्था मनमानी को बढ़ावा देती है और छात्रों के हितों के खिलाफ है.
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उम्मीदवारों पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नीट पीजी 2025 की तैयारी कर रहे लाखों उम्मीदवारों को राहत मिली है. एक ही शिफ्ट में परीक्षा आयोजित होने से नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिससे परिणामों में पारदर्शिता बढ़ेगी. उम्मीदवारों का मानना है कि यह निर्णय उनके लिए एक समान और निष्पक्ष मंच प्रदान करेगा.
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट ने एनबीई को निर्देश दिया है कि वह एक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे. इसके साथ ही, कोर्ट ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बरकरार रहे. नीट पीजी 2025 का आयोजन देश भर के विभिन्न केंद्रों पर 15 जून को होगा, और उम्मीदवारों को जल्द ही नई शेड्यूल और दिशानिर्देशों की जानकारी दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नीट पीजी 2025 की परीक्षा प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा. एक पाली में परीक्षा आयोजित करने का निर्णय न केवल निष्पक्षता को बढ़ावा देगा, बल्कि छात्रों के बीच विश्वास भी स्थापित करेगा. यह कदम मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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