क्या हो रहा है देश में? — सुप्रिया श्रीनेत का सवाल और जनता की चुप्पी पर करारा प्रहार

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kmSudha

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क्या हो रहा है देश में? — सुप्रिया श्रीनेत का सवाल और जनता की चुप्पी पर करारा प्रहार

जनता से सवाल — आप कब तक मूकदर्शक बने रहिएगा?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,7 अक्टूबर 2025 — देश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर कांग्रेस की वरिष्ठ प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तीखा प्रहार किया है उन्होंने अपने आधिकारिक X (Twitter) अकाउंट पर एक पोस्ट करते हुए पूछा — क्या हो रहा है देश में?
इस एक सवाल के जरिये उन्होंने भारतीय समाज, शासन और मीडिया की मौजूदा स्थिति पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा किया। दलितों पर अत्याचार से लेकर न्यायपालिका पर हमले और बच्चों की मौतों तक, श्रीनेत ने उन मुद्दों को उठाया है जिन पर सरकारें और मीडिया दोनों ही मौन प्रतीत होता हैं.

दलितों पर हिंसा — अब भी जारी एक पुराना जख्म

सुप्रिया श्रीनेत ने अपने पोस्ट की शुरुआत देशभर में बढ़ती दलित हिंसा से की. और उन्होंने लिखा है कि —

कहीं दलित की पीट पीट कर हत्या की जा रही है और हत्या करने वाले अपने आपको मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षित बता रहा हैं.

यह बयान केवल एक घटना नहीं, बल्कि उन तमाम मामलों की ओर इशारा करता है जहां सामाजिक न्याय और समानता के नाम पर देश अब भी पिछड़ रहा है.
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में दलित उत्पीड़न की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन राजनीतिक सत्ता पर बैठे लोगों की चुप्पी सवाल खड़े करती है.

सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकना — लोकतंत्र की मर्यादा पर हमला

कल जिस तरह से एक चौंकाने वाली घटना में, सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई पर एक व्यक्ति ने जूता फेंकने की कोशिश की.
सुप्रिया श्रीनेत ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि,

सुप्रीम कोर्ट में खड़ा हो कर एक सिरफिरा ‘सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ कह कर चीफ जस्टिस पर जूता फेंक रहा है — सिर्फ इसलिए कि CJI दलित समाज से आते हैं.

यह बयान न केवल न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है, बल्कि समाज में फैल रहे असहिष्णुता और जातिगत पूर्वाग्रहों की पोल खोलता है.
CJI गवई स्वयं दलित समाज से आते हैं, और उन पर यह हमला न्यायिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक समानता के लिए भी खतरा माना जा रहा है.

कफ सिरप से बच्चों की मौत — सरकारी लापरवाही या तंत्र की विफलता?

श्रीनेत ने अपने ट्वीट में बच्चों की दर्दनाक मौतों का भी ज़िक्र किया है.

दूसरी तरफ़ कफ सिरप से बच्चों की दर्दनाक मौत हो रही है.

पिछले कुछ महीनों में कई राज्यों में खराब दवाओं के कारण बच्चों की जानें गई हैं.यह केवल एक स्वास्थ्य विभाग की नाकामी नहीं बल्कि उस सिस्टम की संवेदनहीनता है जो जनता की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी निभाने में विफल साबित हो रहा है.

राजस्थान अस्पताल में आग — मानव जीवन की कीमत कितनी सस्ती?

श्रीनेत ने राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में लगी आग का भी ज़िक्र किया जिसमें 8 से अधिक मरीज़ों की मौत हो गई.
उन्होंने सवाल किया कि —

कहाँ हैं सरकारें? क्या हो रहा है देश में?

यह प्रश्न उन सभी व्यवस्थाओं पर है जो हर हादसे के बाद जांच के आदेश देकर खुद को जिम्मेदारी से मुक्त कर लेती हैं.

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मीडिया की भूमिका पर करारा तंज

सुप्रिया श्रीनेत का अगला निशाना भारतीय मीडिया था.
उन्होंने पूछा —

कहाँ है देश का मीडिया? कोई सवाल पूछे जायेंगे? किसी की जवाबदेही तय होगी? या सत्ता के चरणवंदन में ही अभी भी लिप्त रहा जाएगा?

बीते कुछ वर्षों में मीडिया पर पक्षपात और सत्ता के प्रति नरमी के आरोप लगातार लगते रहा हैं.
मुख्यधारा का मीडिया जहाँ बड़े घोटालों, हिंसा या भ्रष्टाचार पर मौन रहता है, वहीं TRP के लिए तुच्छ विषयों को प्रमुखता देता है. श्रीनेत ने इसी मूक मीडिया संस्कृति पर प्रहार किया है.

जनता से सवाल — आप कब तक मूकदर्शक बने रहिएगा?

श्रीनेत ने अपने संदेश के अंत में देश की जनता से सीधा सवाल किया किया है,

और इस के लोग, आप कब तक मूकदर्शक बने रहिएगा? कब तक अपनी आँखों के सामने इस देश में ये सब होने दीजिएगा?

यह केवल एक राजनीतिक बयान नहीं बल्कि एक चेतावनी है.
लोकतंत्र में सत्ता जनता से बनती है — और जब जनता सवाल पूछना बंद कर देती है, तो अन्याय सामान्य बन जाता है.

निष्कर्ष — जवाबदेही की माँग, राजनीति से परे एक पुकार

सुप्रिया श्रीनेत का यह पोस्ट किसी दल या विचारधारा के लिए नहीं, बल्कि जवाबदेही और संवेदनशीलता की माँग के लिए है.
दलितों की हत्या, बच्चों की मौत, अस्पताल की आग या न्यायपालिका पर हमला — ये घटनाएँ किसी एक राज्य या पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के विवेक पर प्रश्न हैं.

जब देश का नागरिक चुप रहता है, तब अन्याय और अत्याचार को बल मिलता है.
श्रीनेत का यह सवाल — क्या हो रहा है देश में?” — आज हर जिम्मेदार नागरिक के दिल में गूंजना चाहिए.

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