स्वदेशी बनाम चीन पर निर्भरता: खड़गे का मोदी सरकार पर बड़ा सवाल

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Kumar Ranjit

बिहार
स्वदेशी बनाम चीन पर निर्भरता: खड़गे का मोदी सरकार पर बड़ा सवाल

खड़गे ने मोदी सरकार को चीन पर निर्भरता का सवाल उठाया

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 24 सितंबर 2025 – भारतीय राजनीति में आर्थिक मुद्दे हमेशा चर्चा का केंद्र में रहा है. आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर चीन को लेकर बड़ा हमला बोला है.खड़गे ने अपने X (Twitter) पोस्ट में महात्मा गांधी के 100 साल पुराने “स्वदेशी मंत्र” की याद दिलाते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार दिखावे में आत्मनिर्भर भारत की बात करती है, लेकिन असलियत में चीन के लिए रेड कार्पेट बिछा रही है.

यह बयान न सिर्फ़ कांग्रेस बनाम बीजेपी की राजनीतिक बहस को दर्शाता है, बल्कि भारत की आर्थिक नीति, आयात-निर्यात संतुलन और आत्मनिर्भरता के मुद्दे को भी केंद्र में ले आता है.आइए समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है, और क्यों “स्वदेशी बनाम चीन पर निर्भरता” आज की राजनीति का अहम मुद्दा बन गया है.

खड़गे का ट्वीट और उसका राजनीतिक संदेश

महात्मा गांधी का स्वदेशी मंत्र भारत की आज़ादी की लड़ाई का हथियार बना.

कांग्रेस ने इसी मंत्र के बल पर अंग्रेज़ों को चुनौती दी और भारतीय उद्योगों को खड़ा किया.

लेकिन आज, मोदी सरकार आत्मनिर्भरता का नारा देती है, वहीं चीन के उत्पादों के लिए रेड कार्पेट बिछाती है.

खड़गे ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले 5 वर्षों में चीन से आयात दोगुना हो गया है.

उनका यह ट्वीट साफ़ तौर पर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना है.

महात्मा गांधी का स्वदेशी मंत्र: आज भी प्रासंगिक

गांधी जी का मानना था कि “स्वदेशी केवल आर्थिक विचार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का प्रतीक है.

आजादी की लड़ाई के समय चरखा और खादी इसी स्वदेशी आंदोलन के प्रतीक बने.

गांधी जी का उद्देश्य भारतीय उद्योगों को मज़बूत करना और विदेशी निर्भरता कम करना था.

यह सिर्फ़ ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ संघर्ष नहीं था, बल्कि भारतीय आत्मनिर्भरता की नींव रखने का प्रयास भी था.

आज जब खड़गे गांधी के स्वदेशी मंत्र का उल्लेख करते हैं, तो उनका संदेश यह है कि आधुनिक भारत को भी यही रास्ता अपनाना चाहिए, लेकिन मौजूदा सरकार उलटा रास्ता अपना रही है.

चीन पर बढ़ती निर्भरता: आंकड़े क्या कहते हैं?

पिछले एक दशक में भारत-चीन व्यापार में भारी उछाल देखा गया है.

खड़गे के मुताबिक, पिछले 5 सालों में चीन से आयात दोगुना हुआ है.

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स के कच्चे माल और खिलौनों तक में चीन पर निर्भर है.

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान के बावजूद यह निर्भरता कम होने के बजाय बढ़ी है.

यह स्थिति न सिर्फ़ भारत के व्यापार घाटे को बढ़ाती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की नीति पर भी सवाल उठाती है.

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मोदी सरकार का दावा बनाम विपक्ष की आलोचना

मोदी सरकार का दावा

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.

रक्षा, तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्रों में विदेशी निर्भरता घटाने की कोशिश हो रही है.

सरकार ने चीन से कुछ उत्पादों पर प्रतिबंध और शुल्क भी बढ़ाया है.

विपक्ष की आलोचना

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि ये नीतियां कागज़ पर हैं, ज़मीन पर असर नहीं दिख रहा.

चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा इसका सबूत है.

सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में जनता को गुमराह कर रही है.

बिहार से खड़गे का संदेश: क्यों अहम है?

मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह बयान पटना, बिहार से दिया.

बिहार ऐतिहासिक रूप से स्वदेशी और आज़ादी के आंदोलनों की धरती रही है.

यहां गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह से स्वदेशी और स्वराज का संदेश दिया था.

खड़गे का यह बयान बिहार की ऐतिहासिक विरासत को जोड़कर दिया गया राजनीतिक संदेश है.

राजनीति से आगे: भारत के लिए असली चुनौती

इस बहस को सिर्फ़ कांग्रेस-बीजेपी की राजनीति तक सीमित नहीं देखा जा सकता. असली सवाल यह है कि,

क्या भारत चीन पर अपनी निर्भरता कम कर पाएगा?

क्या, आत्मनिर्भर भारत केवल एक चुनावी नारा बनकर रह जाएगा?

क्या भारत की युवा पीढ़ी और उद्योगपति “स्वदेशी” मंत्र को व्यवहार में उतार पाएंगे?

निष्कर्ष

मल्लिकार्जुन खड़गे का ट्वीट केवल एक राजनीतिक हमला नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता की दिशा पर गंभीर सवाल भी उठाता है. महात्मा गांधी के स्वदेशी मंत्र को यदि आज की अर्थव्यवस्था में उतारा जाए, तो भारत न सिर्फ़ चीन पर निर्भरता घटा सकता है, बल्कि रोजगार और उद्योग के नए अवसर भी पैदा कर सकता है.

मोदी सरकार और विपक्ष – दोनों के लिए यह समय है कि वे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ठोस कदम उठाएं.

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