अर्धसैनिक बलों को भी मिले सेना जैसा सम्मान
तीसरा पक्ष ब्यूरो :पटना,आज 20 को राजद के राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज कुमार झा ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने भारत सरकार के गृह मंत्री को एक पत्र लिखा है। यह पत्र ऐसे समय में लिखा गया है, जब पूरे देश में लोग गुस्से और बेचैनी के स्थिति में हैं. प्रो. झा ने कहा कि यह पत्र मौजूदा हालात को देखते हुए बेहद अहम है और इसे एक ऐतिहासिक संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
मनोज झा ने कहा कि पहलगाम में हमला सिर्फ आतंकवादी घटना नहीं है बल्कि देश में नफरत फैलाने की एक साजिश था आगे कहा कि इस देश की मिट्टी ने दुश्मनों के मंसूबों को विफल कर दिया। इस मिट्टी में व्योमिका सिंह और सोफिया कुरैशी जैसे लोग हैं, जो इस देश को जोड़ते हैं और इसको कोई बांट नहीं सकता.

प्रो. झा ने कहा कि किसी घर का जब चिराग बुझता है, युद्ध हो या आतंकवादी घटना में तो मुआवजे और पेंशन की घोषणा तो हो जाता है. लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि भारतीय सेना के जवानों के जो सम्मान और सुविधाएं मिलता है वही अर्धसैनिक बलों को भी मिलना चाहिये. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गृह मंत्री से अपील किया है कि अर्धसैनिक बलों को भी मुआवजा, सुरक्षा और शहीद का दर्जा उसी तरह से मिलना चाहिये जैसे भारतीय सेना को मिलता है. इससे हमारे जवानों का मनोबल और भी बढ़ेगा.
उन्होंने आगे कहा कि सरहद पर खड़ा सैनिक हो चाहे वो भारतीय सेना के हों या फिर अर्धसैनिक हो वह हमें सुरक्षित रखता है.ऑपरेशन सिंदूर में भी यह बात साफ दिखाई दिया.प्रो. झा ने कहा कि हर सैनिक को बराबर सम्मान मिलना चाहिये.
मनोज झा ने तेजस्वी यादव के द्वारा गृह मंत्री को लिखे पत्र का हवाला देते हुए एक अहम मुद्दा उठाया है उन्होंने कहा कि पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि युद्ध के दौरान जख्मी होने से कई बार तुरंत मौत नहीं होता है बल्कि बाद में इसका असर दिखाई देता है. ऐसे मामलों में भी सैनिकों को शहीद का दर्जा मिलना चाहिये प्रो. झा ने मांग किया की अर्धसैनिक बलों के शहीदों को भी ‘बैटल कैजुअल्टी’ घोषित किया जाना चाहिये ताकि उनके परिवारों को सेना के शहीदों के समान सम्मान, मुआवजा, सरकारी नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधाएं मिल सकें.उन्होंने सेना और अर्धसैनिक बलों के शहीदों के परिजनों के लिए समान अधिकारों की वकालत किया .
नेशनल वॉर मेमोरियल जो इस बात की तस्दीक करता है कि यह मेमोरियल किनका किनका है? इसकी महत्ता क्या है? उसमें भी अर्ध सैनिक शहीदों के नाम दर्ज किया जाना चाहिये. एक्स ग्रेनेशिया हो और राज्य सरकार के ओर से दिया जाने वाला प्रतिपूर्ति में समानता हो. हम केवल आतंकवाद से ही नहीं जूझ रहे हैं .युद्ध जैसे हालात से भी नक्सलवाद, आतंकवाद विरोधी कारवाई, युद्ध या युद्ध जैसी परिस्थितियां अगर होती है तो दिव्यांगता के बाद सैनिक सैनिक बल के जवानों को सेवानिवृत्ति दिया जाता है .फिर जब कालांतर में छ महीने, आठ महीने, साल भर, दो साल, चार साल बाद उनकी मौत होती है . हम इस बात को भुला देते हैं कि उनकी मौत के पीछे वो प्रभारी कारक हैं जिसको एड्रेस करना जरूरी है और उसको भी शामिल किया जाये .
प्रो0 झा ने कहा कि तेजस्वी यादव ने पूरी संजीदगी और संवेदना के साथ हमारा और आपके मनोभावना को गृह मंत्री तक पहुंचाने का काम किया है .मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि आज के समय में अगर पहलगाम के बाद हमारे सैनिकों ने अर्धसैनिक बलों ने जो आतंक विरोधी कारवाई किया उसका दुनिया भर में एक बात के लिए सराहना हो रहा है की हमने सिविलियन को टारगेट नहीं किया हमने मिलिट्री इस्टैब्लिशमेंट को नहीं छुआ . हमने सिर्फ आतंक के प्रयोगशालाओं को प्रसीजन के साथ टारगेट किया .आतंक की प्रयोगशाला उन्हें मात्र और वो भारत की एक रणनीति कई वर्षों से रही है क्योंकि हमने अपने लोग खोए हैं .पुलवामा में अपने प्यारे जवान खो दिए हमने .
प्रो. मनोज झा ने कहा कि तेजस्वी यादव ने गृह मंत्री को पत्र लिखकर अर्धसैनिक बलों के सम्मान में संवेदना जताया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि देश की एकजुट सोच गृह मंत्री और प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर फैसला लेने के लिए प्रेरित करेगा राजद के संवाददाता सम्मेलन में अजय कुमार सिंह, सारिका पासवान, जयंत जिज्ञासु,अरुण कुमार यादव,और प्रमोद कुमार सिन्हा मौजूद थे.

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