नीतीश-भाजपा सरकार पर दलित विरोधी नीतियों का आरोप
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,28 सितंबर 2025 राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आज नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ दलित एंड आदिवासी एसोसिएशन (NACDAOR) द्वारा आयोजित पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन में शिरकत किये . इस दौरान उन्होंने नीतीश-भाजपा की 20 वर्षों की सरकार पर सीधा हमला बोला और कहा कि “डबल इंजन सरकार ने दलितों को उनके हक और अधिकारों से वंचित कर दिया है.

बिहार में दलितों की आबादी बनाम भागीदारी
तेजस्वी यादव ने दलित समाज की स्थिति को आँकड़ों के जरिए सामने रखा.
बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी 21.3% से अधिक है.
इसके बावजूद सरकारी और पेशेवर क्षेत्रों में दलितों की भागीदारी सिर्फ 1.13% है.
अनुसूचित जाति समुदाय से केवल 0.015% लोग डॉक्टर बने हैं.
इंजीनियरिंग क्षेत्र में दलितों की संख्या महज 0.1% है.
ये आँकड़े बताते हैं कि बिहार में दलितों की हकमारी लगातार जारी है और उन्हें शिक्षा व रोजगार में उचित अवसर नहीं मिल पा रहे.

शिक्षा और रोजगार में भारी असमानता
तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश-भाजपा सरकार SCSP (अनुसूचित जाति उपयोजना) और TSP (अनुसूचित जनजाति उपयोजना) के तहत मिलने वाले बजट का इस्तेमाल वास्तविक विकास पर न करके अन्य कार्यों में करती है.
प्रमुख समस्याएँ
दलित छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति समय पर नहीं मिलती.
उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल कोर्स में फंड की कमी का बहाना बनाया जाता है.
भूमि, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में अब भी भारी भेदभाव है.

दलित नेताओं पर तेजस्वी यादव का वार
तेजस्वी यादव ने दलित राजनीति करने वाले नेताओं को भी घेरा.
चिराग पासवान – सत्ता में हिस्सेदारी लेने के बावजूद दलितों के मुद्दों पर चुप.
जीतनराम मांझी – कभी खुद को दलित समाज का बड़ा नेता बताने वाले, अब केवल सत्ता सुख में व्यस्त.
तेजस्वी ने कहा कि “सत्ता का हिस्सा बनने वाले दलित नेता, दलितों की हकमारी पर पूरी तरह चुप्पी साधे रहते हैं.
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बिहार में दलितों की दयनीय स्थिति क्यों?
विश्लेषण के अनुसार दलित समाज की खराब स्थिति के पीछे ये मुख्य कारण हैं:
नीतियों का गलत क्रियान्वयन – योजनाएँ कागजों में ही रह जाती हैं.
शिक्षा तक सीमित पहुँच – तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा में पिछड़ापन.
नौकरियों में भेदभाव – आरक्षण होने के बावजूद सच्ची भागीदारी नहीं.
राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी – सत्ता में रहकर भी दलित हित की आवाज़ न उठाना.
तेजस्वी यादव का विजन: दलित अधिकारों की गारंटी
तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि बिहार में दलित समाज को सम्मान दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.
छात्रवृत्ति और शिक्षा योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू करना.
सरकारी और पेशेवर क्षेत्रों में दलितों की भागीदारी बढ़ाना.
भूमि और संसाधनों पर दलित समाज का वैधानिक अधिकार सुनिश्चित करना.
निष्कर्ष
पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन में तेजस्वी यादव का बयान बिहार की राजनीति में नया विमर्श खड़ा करता है.उन्होंने साफ कहा कि 20 वर्षों की नीतीश-भाजपा सरकार दलित विरोधी नीतियाँ अपनाकर इस समाज को लगातार कमजोर कर रही है.
यह वक्तव्य न केवल नीतीश कुमार और भाजपा पर हमला है, बल्कि दलित नेताओं चिराग पासवान और जीतनराम मांझी पर भी सवाल उठाता है. दलित समाज की वास्तविक तरक्की तभी संभव है जब शिक्षा, रोजगार और भूमि अधिकार के क्षेत्र में उन्हें बराबरी का मौका मिले.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















