तेजस्वी यादव का औचक निरीक्षण: पूर्णिया मेडिकल कॉलेज की बदहाली पर उठे सवाल

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Ajit Kumar

बिहार
तेजस्वी यादव का औचक निरीक्षण: पूर्णिया मेडिकल कॉलेज की बदहाली पर उठे सवाल

तेजस्वी यादव ने खोली स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल, निरीक्षण में सामने आई भयावह तस्वीर

तीसरा पक्ष ब्यूरो पूर्णिया, बिहार 14 सितंबर 2025 – बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सुर्खियों में है.विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पूर्णिया स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) का देर रात औचक निरीक्षण कर जो तस्वीर सामने रखी. उसने पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है.

तेजस्वी यादव ने खोली स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल, निरीक्षण में सामने आई भयावह तस्वीर

तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर अस्पताल की हालत का एक विस्तृत वीडियो साझा किया है.वीडियो और उनके बयान ने यह साफ कर दिया कि बिहार की जनता के लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर लाचार और बदहाल स्थिति में हैं.

बुनियादी सुविधाओं का कमी

यादव ने निरीक्षण के दौरान पाया कि अस्पताल में सबसे अहम बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हैं.गहन चिकित्सा इकाई (ICU) का अभाव, ट्रॉमा सेंटर का बंद होना और कार्डियोलॉजी विभाग का न होना – ये सब सीधे तौर पर गंभीर मरीजों की जान जोखिम में डालने वाले हालात हैं.

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अस्पताल में मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि एक ही बेड पर दो से तीन मरीजों को ठहरना पड़ रहा है.यही नहीं, साफ-सफाई की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है. तेजस्वी यादव के अनुसार, 15 से 20 दिनों तक बेडशीट नहीं बदली जाती है. शौचालयों की स्थिति तो और भी खराब है—खासतौर पर हड्डी रोग और दिव्यांग मरीजों के लिए. क्योंकि वहां दो फीट ऊंचे शौचालय बने हुए हैं जिन्हें इस्तेमाल करना उनके लिए लगभग नामुमकिन है.

नर्स और डॉक्टरों की भारी कमी

तेजस्वी यादव ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ की कमी स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमराने की बड़ी वजह है. 255 स्वीकृत नर्सिंग पदों में से केवल 55 नर्स काम कर रही हैं.तीन शिफ्टों में ड्यूटी लगाने के बाद किसी भी समय अस्पताल में मुश्किल से 18 नर्स उपलब्ध रहती हैं.छुट्टियों या अचानक अनुपस्थिति की स्थिति में यह संख्या और भी घट जाती है.

80% डॉक्टरों के पद खाली हैं. स्थायी ड्रेसर की नियुक्ति नहीं है और पूरे अस्पताल में केवल चार ऑपरेशन थिएटर सहायक कार्यरत हैं. स्थिति यह है कि 23 विभागों में से कई बंद पड़े हैं, जबकि प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसरों की मौजूदगी महज औपचारिकता भर है.इतना ही नहीं, मेडिकल इंटर्न को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिला है.

मरीजों की मजबूरी और निजी अस्पतालों की चांदी

मरीजों की मजबूरी और निजी अस्पतालों की चांदी

इन सारी खामियों का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.हर दिन लगभग 10,000 मरीज निजी अस्पतालों की ओर रुख करने को मजबूर होते हैं.क्योंकि GMCH में उन्हें जरूरी इलाज और सुविधाएं नहीं मिल पातीं है. इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है.

सरकार पर गंभीर आरोप

तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला है.उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री और अधिकारी सिर्फ भवन निर्माण और उपकरण खरीद में कमीशनखोरी पर ध्यान देते हैं. लेकिन चिकित्सक, लैब तकनीशियन और अन्य जरूरी कर्मियों की बहाली की तरफ कोई कदम नहीं उठाते

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील किया है कि वे स्वयं पूर्णिया मेडिकल कॉलेज का दौरा करें और साथ ही 2005 के बाद से मुख्यमंत्री रहे नेताओं को भी साथ लेकर जाएं ताकि उन्हें भी जमीनी हकीकत का अहसास हो.

तेजस्वी ने कहा कि बिहार में बीते 20 साल और केंद्र में 11 साल की ,डबल इंजन सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर पूरी तरह विफलता दिखाई है.

सरकार पर गंभीर आरोप

सोशल मीडिया पर गरमाई बहस

तेजस्वी यादव द्वारा साझा किया गया वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. आम जनता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ पूर्णिया मेडिकल कॉलेज की नहीं, बल्कि बिहार के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों की वास्तविक तस्वीर है.

निष्कर्ष

पूर्णिया मेडिकल कॉलेज की हालत बताती है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं किस स्तर पर खड़ी हैं. तेजस्वी यादव का औचक निरीक्षण केवल एक अस्पताल की बदहाली को उजागर नहीं करता, बल्कि यह पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता है. यह सवाल उठता है कि आखिर 20 सालों की ,विकास गाथा, और डबल इंजन सरकार के बावजूद जनता को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं क्यों नहीं मिल पा रही हैं.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस खुलासे पर क्या कदम उठाती है.और क्या वास्तव में बिहार की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कोई ठोस पहल की जाती है या नहीं.

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