तेजस्वी यादव का NDA पर हमला: 20 साल के शासन पर 12 सवाल

| BY

Ajit Kumar

बिहार
तेजस्वी यादव का NDA पर हमला: 20 साल के शासन पर 12 सवाल

खाली वादे या असली विकास? तेजस्वी ने खोला 20 साल का लेखा-जोखा

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 8 सितंबर 2025—बिहार की सियासत में रोजगार और पलायन का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है.विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया है.उन्होंने एनडीए के 20 साल के शासन को पूरी तरह विफल बताते हुए कहा कि इस लंबे कार्यकाल में बिहार को विकास नहीं, बल्कि बेरोजगारी, गरीबी और पलायन की पहचान मिली है.

तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक एक्स (Twitter) हैंडल से पोस्ट कर 12 ज्वलंत सवाल सरकार से पूछे हैं.उनका कहना है कि यह सवाल सिर्फ विपक्ष के नहीं बल्कि बिहार के 8 करोड़ युवाओं का भी हैं, जिनके सब्र का अब और इम्तिहान नहीं लिया जा सकता है.

प्रति व्यक्ति आय पर तंज

तेजस्वी यादव ने सबसे पहले बिहार की आर्थिक स्थिति पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि आज भी बिहार की प्रति व्यक्ति आय अफ्रीका के गरीब देशों युगांडा और रवांडा से भी कम है.उन्होंने सवाल किया कि जब दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रही है, तब बिहार क्यों पिछड़ता जा रहा है?

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर सवाल

तेजस्वी ने पूछा कि बिहार केला, मखाना, गन्ना, आलू, लीची और आम जैसे विश्व प्रसिद्ध उत्पादों का बड़ा केंद्र है. इसके बावजूद फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री क्यों नहीं लगाई गई? उन्होंने कहा कि अगर ऐसे उद्योग लगाए जाते तो लाखों युवाओं को रोजगार मिलता और किसानों की आमदनी भी दोगुनी होती.

आईटी सेक्टर में उपेक्षा

उन्होंने बेरोजगारी को लेकर सीधा सवाल उठाया कि बिहार को आज भी आईटी कंपनियों के लिए उपयुक्त क्यों नहीं बनाया गया? न आईटी पार्क बने और न ही स्पेशल इकॉनॉमिक ज़ोन. जबकि देश के कई पिछड़े राज्यों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए और रोजगार सृजन किया है.

मछली और डेयरी उद्योग की अनदेखी

तेजस्वी ने कहा कि बिहार के पास पर्याप्त जल संसाधन होने के बावजूद राज्य को दूसरे राज्यों से मछली खरीदनी पड़ती है. सरकार चाहती तो मछुआरों को संगठित कर जिलावार मछली बाजार स्थापित कर सकती थी.
इसी तरह, डेयरी सेक्टर में भी उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उनका कहना है कि बिहार दूध उत्पादन में सक्षम है. लेकिन यहां बड़े डेयरी प्रॉडक्ट उद्योग नहीं हैं. दूध, घी, मक्खन और पनीर दूसरे प्रदेशों में भेजे जाने के बजाय यहीं उद्योग क्यों नहीं खड़े किए गए?

ये भी पढ़े :प्रियंका गांधी ने ग्रेट निकोबार परियोजना पर उठाए गंभीर सवाल
ये भी पढ़े :अखिलेश यादव का तंज: गुटबाजी में बंटी सरकार !

उद्योग और पर्यटन का संकट

तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछले 20 साल में न तो इंडस्ट्री क्लस्टर बने, न ही बुनकर और हथकरघा उद्योग को बढ़ावा मिला है यहां तक कि जो चीनी मिलें और पेपर मिल पहले से चल रही थीं. वे भी बंद हो गईं. उन्होंने पूछा कि इन बंद मिलों से बिहार को कितना राजस्व और रोजगार का नुकसान हुआ?
पर्यटन को लेकर भी उन्होंने सवाल किया कि बिहार के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को अब तक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित क्यों नहीं किया गया?

शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन

तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि बिहार से लाखों करोड़ रुपये हर साल शिक्षा और चिकित्सा के नाम पर बाहर चले जाते हैं. यहां बेहतर विश्वविद्यालय और अस्पताल होते तो यह पैसा बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता था.
उन्होंने पूछा कि पिछले 20 साल में राज्य से कितने लोग रोज़गार के लिए बाहर गए और पलायन की यह समस्या लगातार क्यों बढ़ रही है?

भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग

तेजस्वी ने यह भी कहा कि युवाओं के लिए नियमित और पारदर्शी भर्ती परीक्षाओं का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. यही वजह है कि पढ़े-लिखे युवा भी हताश होकर राज्य छोड़ने को मजबूर हैं.

युवा देंगे करारा जवाब

तेजस्वी यादव ने स्पष्ट चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन सवालों का जवाब देना होगा. अगर जवाब देने से बचते हैं तो आने वाले चुनाव में बिहार के युवा ही करारा जवाब देंगे.

चुनावी रणनीति का संकेत

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि तेजस्वी का यह हमला सिर्फ आलोचना नहीं बल्कि युवाओं को साधने की चुनावी रणनीति है. बेरोजगारी और पलायन बिहार के सबसे बड़े मुद्दे हैं और इन्हीं पर चुनावी बहस तेज हो सकती है.

Trending news

Leave a Comment