जमाई आयोग से RSS कोटा तक: तेजस्वी का तीखा वार!

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kmSudha

बिहार
जमाई आयोग से RSS कोटा तक: तेजस्वी का तीखा वार!

“बिहार में सत्ता बनाम ससुराल: नीतीश सरकार पर रिश्तेदारी राज का आरोप”

तीसरा पक्ष डेस्क,पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर आरोपों और तंजों के तूफान में घिर गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर ज़बरदस्त हमला बोलते हुए राज्य में “जमाई आयोग”, “जीजा आयोग” और “मेहरारू आयोग” जैसे विवादित शब्दों का इस्तेमाल कर सियासी पारा चढ़ा दिया है.

RJD ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट साझा करते हुए सीधे तौर पर भाजपा-जदयू गठबंधन पर हमला बोला और कहा कि अब बिहार में शासन के केंद्र में ‘रिश्तेदारी और वफादारी’ आ चुकी है, योग्यता और जनप्रतिनिधित्व को दरकिनार कर दिया गया है.

दामादों और बहनोई की ताजपोशी

जमाई आयोग से RSS कोटा तक: तेजस्वी का तीखा वार!

हाल ही में राज्य सरकार द्वारा किए गए आयोगों और परिषदों में नियुक्तियों ने विपक्ष को हमलावर होने का नया मौका दे दिया है. आयोगों में जिन चेहरों को जगह दी गई है, उनमें से अधिकांश का सत्ताधारी नेताओं से पारिवारिक रिश्ता है.

ताजा घटनाक्रम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संस्थापक रहे स्वर्गीय रामविलास पासवान के दामाद मृणाल पासवान को राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. मृणाल पासवान, वर्तमान में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बहनोई हैं. इसके अलावा जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को अनुसूचित जाति आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है.

इसी कड़ी में प्रदेश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल को धार्मिक न्यास परिषद में सदस्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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आरोपों का बवंडर: “रिश्तेदारवाद” का बोलबाला

RJD का आरोप है कि नीतीश सरकार में भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों को प्रमोट करने का एक पूरा “सिस्टम” काम कर रहा है. पार्टी ने चुटकी लेते हुए कहा कि सरकार को अलग-अलग आयोग बनाकर रसूखदारों को सेटल करने के बजाय सीधा “जमाई आयोग”, “जीजा आयोग” और “मेहरारू आयोग” का गठन कर देना चाहिए — ताकि बिना बहस के सबका काम आसानी से हो सके.
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और आम जनता के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं.

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“जनप्रतिनिधि किनारे, रिश्तेदारों की चांदी”

RJD ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार में चुने हुए विधायक और सांसदों की भूमिका गौण होती जा रही है. फैसले अब वे लोग ले रहे हैं जो न तो चुनाव लड़कर आए हैं और न ही जनता का समर्थन रखते हैं, बल्कि सत्ता के गलियारों में पीछे के दरवाज़े से आए हुए नामांकित सांसद और MLC सत्ता की चाभी थामे बैठे हैं.

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“RSS कोटा” पर सीधा हमला

सबसे गंभीर आरोप यह है कि बिहार सरकार में अब “RSS कोटा” के आधार पर सत्ता का बंटवारा हो रहा है। RJD का दावा है कि मंत्री पद, सांसदों और MLC की सीटें अब इस ‘कोटे’ के तहत बांटी जा रही हैं, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे घटनाक्रम में मौन साधे बैठे हैं। RJD ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “मुख्यमंत्री तो जैसे बेहोशी की हालत में हैं.”

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NDA की तरफ से पलटवार!

तेजस्वी यादव के आरोप के बाद NDA की तरफ से भी पलटवार शुरू हो गया है. जदयू और भाजपा के प्रवक्ताओं ने तंज कसते हुए कहा है कि जिन लोगों ने बिहार में अपराध, अपहरण और जातीय नरसंहारों का दौर चलाया, वही आज सत्ता की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं। यह “राजनीतिक हास्य से ज्यादा कुछ नहीं” है.

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“रिश्तेदारी राज की असली जननी खुद RJD रही है”

NDA नेताओं ने कहा कि RJD को “रिश्तेदारों को पद बाँटने” का आरोप लगाने से पहले अपने इतिहास की ओर देखना चाहिए — जब सत्ता में रहते हुए लालू-राबड़ी सरकार ने परिवारवाद को संस्थागत बना दिया था.

निष्कर्ष:

बिहार की राजनीति में आरएसएस कोटा, जमाई आयोग, और सत्ताधारी दल की आंतरिक खींचतान’ जैसे मुद्दे आने वाले समय में अहम भूमिका निभा सकते हैं.अब देखना यह है कि सत्ताधारी दल इन आरोपों का क्या जवाब देता है, और क्या जनता इन मुद्दों को गंभीरता से लेती है.

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