क्या चुनाव आयोग BJP के सेल की तरह काम कर रहा है?
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,10 जुलाई : बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाती दिख रही है.राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को लेकर बड़ा और गंभीर आरोप लगाया है.तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किया और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी की तरह व्यवहार कर रहा है.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में लिखा:
“बिहार के गरीबों को जानबूझकर क्यों परेशान किया जा रहा है? चुनाव आयोग को इतना EGO क्यों है? चुनाव आयोग BJP के सेल की तरह काम क्यों कर रहा है?”
तेजस्वी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दिया है. उनका यह आरोप सीधे तौर पर आयोग की साख और लोकतंत्र की निष्पक्ष प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है.
क्या है मामला?
हालांकि तेजस्वी ने अपने बयान में किसी विशेष घटना का जिक्र नहीं किया, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह टिप्पणी हाल ही में बिहार के कई जिलों में गरीब और दलित तबकों के खिलाफ कथित प्रशासनिक कार्रवाइयों और बिहार वोटर रिवीजन से जुड़ी हो सकता है. इसके अलावा, चुनावी नियमों और आचार संहिता के क्रियान्वयन को लेकर भी विपक्षी दलों में असंतोष है.
तेजस्वी के इस बयान को आगामी उपचुनावों और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीतिक तैयारी से भी जोड़कर देखा जा रहा है. आरजेडी लगातार आरोप लगाता रहा है कि प्रशासन और आयोग का रुख बीजेपी के पक्ष में झुका हुआ है.
राजनीतिक प्रतिक्रिया और संभावित असर
तेजस्वी यादव के इस तीखे बयान के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया है.सोशल मीडिया पर RJD समर्थकों ने चुनाव आयोग के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया है. ट्विटर पर भी चुनाव आयोग BJP ट्रेंड करने लगा है.
हालांकि, बीजेपी की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में बीजेपी इस बयान का करारा जवाब दे सकता है.
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चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस
तेजस्वी यादव का यह बयान केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की भूमिका पर बहस को जन्म देता है. भारत में लोकतंत्र की नींव निष्पक्ष चुनावों पर टिका है और जब कोई बड़ा नेता आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है तो यह केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप नहीं बल्कि संस्थागत भरोसे का मसला भी बन जाता है.
निष्कर्ष: क्या आने वाला है और गरम सियासी मौसम?
तेजस्वी यादव के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की राजनीति अब केवल चुनावी रणनीति तक सीमित नहीं रहा बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका और निष्पक्षता भी बहस का हिस्सा बन गई है. आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं, बहसें और मीडिया कवरेज देखने को मिल सकती हैं.
यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या तेजस्वी यादव अपने आरोपों के समर्थन में और तथ्य प्रस्तुत करते हैं.

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