SC के निर्देश के बावजूद वोटर रिवीजन में आधार-राशन कार्ड की अनदेखी: तेजस्वी यादव
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 13 जुलाई :नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव ने आज अपने आवास 01 पोलो रोड, पटना में इंडिया महागठबंधन के नेताओं के साथ मिलकर एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने जो प्रेस विज्ञप्ति 12 जुलाई को जारी किया था उसमें जो आँकड़े और दावे दिए गए हैं, उनमें कई महत्वपूर्ण खामियाँ, विरोधाभास और लोकतांत्रिक दृष्टि से गंभीर सवाल उठता है. यह खामियाँ न सिर्फ चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करता हैं बल्कि आम जनता के विश्वास और संविधान के संतुलन पर भी सवाल खड़ा करता है.

इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजेश राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान, वीआईपी पार्टी के श्री मुकेश सहनी, भाकपा-माले के कॉ. धीरेन्द्र कुमार झा, कॉ. के.डी यादव, सीपीआईएम के राज्य सचिव कॉ. ललन चौधरी, सीपीआई के कॉ. रामबाबू, राज्यसभा सांसद श्री संजय यादव, राजद प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद और प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री राजेश राठौर पत्रकार सम्मेलन में मौजूद थे.
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तेजस्वी ने चुनाव आयोग के आंकड़ों को बताया भ्रामक
नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने बिंदुवार मुख्य कमियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि चुनाव आयोग द्वारा 12 जुलाई को जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति के दावों पर कड़ी आपत्ति जताया है उन्होंने दावा किया कि आयोग ने जो आंकड़े जारी किया है वह जमीनी हकीकत से मेल नहीं खता है और इन आंकड़ों में कई महत्वपूर्ण खामियाँ और विरोधाभास मौजूद हैं.जो इस प्रकार है :
- गणना प्रपत्रों की असलियत पर सवाल
चुनाव आयोग का दावा है कि 80.11 प्रतिशत मतदाताओं ने गणना प्रपत्र भरे हैं. लेकिन इस आंकड़े के पीछे की असलियत से आयोग ने कोई ठोस जानकारी नहीं दिया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि आयोग ने यह नहीं बताया कि कितने प्रपत्र सत्यापित, स्वेच्छिक और वैध तरीके से भरे गये हैं.जमीनी स्तर से लगातार यह खबरें आ रही हैं कि बी.एल.ओ. बिना मतदाता के जानकारी और उनकी सहमति के फर्जी अंगूठा या हस्ताक्षर लगा कर प्रपत्र अपलोड कर रहा है. - अधिसूचना का अभाव
चुनाव आयोग के प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि दस्तावेज बाद में भी दिए जा सकते हैं. लेकिन इसके बारे में कोई स्पष्ट आदेश या अधिसूचना अब तक जारी नहीं किया गया है. यह स्थिति मतदाता और बी.एल.ओ. दोनों के लिए भ्रम का कारण बन रहा है.तेजस्वी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद निर्वाचन आयोग ने कोई औपचारिक अधिसूचना नहीं जारी किया है. जिससे प्रक्रिया और अधिक अस्पष्ट हो गई है. - फर्जी अपलोडिंग की संभावना
- चुनाव आयोग ने अब तक यह नहीं बताया है कि कितने वोटर फॉर्म बिना किसी दस्तावेज़ या बिना खुद वोटर के मौजूदगी में अपलोड किए गए हैं. यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि 4.66 करोड़ डिजिटाइज किए गए फॉर्म में से कितनों की वेरिफिकेशन आधार कार्ड से किया गया है.मतलब साफ है फर्जी फॉर्म अपलोड होने की जो आशंका है, उस पर आयोग चुप है.आज एक अखबार की रिपोर्ट में सामने आया कि झारखंड के देवघर में एक जलेबी बेचने वाले के पास हजारों वोटर फॉर्म मिले हैं.सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं जिनमें सड़कों पर हजारों-लाखों फॉर्म बिखरे दिख रहे हैं. पत्रकारों को इनकी विडियो फुटेज भी दिखाई गई है.
- राजनीतिक दलों की निष्क्रियता
चुनाव आयोग ने तो यह ज़रूर बताया है कि राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव प्रक्रिया में शामिल हैं लेकिन यह साफ नहीं किया कि उन्हें असल में कुछ देखने-समझने और टोकने का हक भी मिला है या बस मौजूद रहने की खानापूरी हो रही है. कई जगह तो विपक्षी पार्टियों के बी.एल.ए. को ठीक से जानकारी तक नहीं दी गई और उन्हें प्रक्रिया में शामिल होने से भी दूर रखा गया. इस बारे में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई या ध्यान नहीं दिया गया है. - अपलोडिंग प्रक्रिया में तेजी पर सवाल
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने जल्दी-जल्दी में वोटर के प्रपत्र अपलोड करने का लक्ष्य तय किया है जिससे प्रक्रिया की गुणवत्ता और वैधता पर सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया केवल आंकड़ों की गति और संख्या पर आधारित है न कि सच्चाई और पारदर्शिता पर तेजस्वी ने आरोप लगाया है. - तकनीकी समस्याओं की अनदेखी
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सफलता के दावे किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर तकनीकी समस्याएं लगातार सामने आ रही हैं जैसे कि सर्वर डाउन, OTP की समस्याएं, लॉगिन एरर, दस्तावेज अपलोड फेल जैसी कई गंभीर समस्याएँ सामने आ रही हैं.लेकिन आयोग ने इन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.इन शिकायतों के लिए बी.एल.ओ या मतदाता को कोई सपोर्ट सिस्टम, टिकटिंग पोर्टल या हेल्पलाइन उपलब्ध नहीं कराई गई है. - बिहार से पलायन करने वालों का अपलोडिंग
चुनाव आयोग द्वारा 25 जुलाई की समय सीमा के पहले ही अपलोडिंग पूरा करने की बात कहा जा रहा है. जिससे गुणवत्ता और वैधता की जगह संख्या और गति पर जोर है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव आयोग की यह एस.आई.आर प्रक्रिया एक आई वाॅस है.चुनाव आयोग ने बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर बूथ के आंकड़ों के हिसाब से पहले ही जोड़-तोड़ कर रखा है. लेकिन हम भी कम नहीं है एक एक वोटर पर हमारी नजर है और सबका आंकड़ा हमारे पास है.केस सुप्रीम कोर्ट में है. अबकी बार बिहार से आर-पार होगा सत्ताधारी बिहार को गुजरात समझने की गलती ना करें.यह लोकतंत्र की जननी है. सबक सिखा देंगे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजेार नहीं होने देंगे.यहाँ 90 फीसदी मतदाता वंचित उपेक्षित वर्ग से है. उनकी रोटी छीन सकते हो लेकिन वोट का अधिकार नहीं. इसके लिए महागठबंधन पूरी तरह से सजग है. बिहार से जो लोग पलायन कर गये है उनका अपलोडींग कैसे हो गया. जबकि वो अपने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के कार्य में बिहार ही नहीं आये.और इनकी संख्या करीब 4 करोड़ के लगभग है. इन लोगों को सूची में कैसे शामिल किया जा रहा है चुनाव आयोग स्पष्ट करें. - पारदर्शिता की कमी
नेता प्रतिपक्ष ने चुनाव आयोग से बार-बार पारदर्शिता की मांग किया था. उन्होंने कहा की हमने आयोग से विधानसभा वार लाइव डैशबोर्ड की मांग किया था ताकि आंकड़ों में पारदर्शिता बनी रहे लेकिन आयोग ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.हमने निरंतर मांग की है कि गणना प्रपत्र भरने पर मतदाता को उसकी पावती दी जाए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. - पावती न देने की समस्या
तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकांश मतदाताओं को एक भी पावती नहीं दी गई है.जिससे यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा कि उनका प्रपत्र स्वीकार हुआ है या नहीं.”यह पूरी प्रक्रिया मतदाता के सूचित सहमति के अधिकार का उल्लंघन है. - बी.एल.ओ द्वारा संपर्क न करना
चुनाव आयोग का दावा है कि बी.एल.ओ. ने तीन बार मतदाताओं से संपर्क किया है.लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. तेजस्वी ने कहा कि अधिकांश मतदाता ऐसे हैं.जिनसे बी.एल.ओ. ने अब तक संपर्क नहीं किया है. यह पारदर्शिता और जिम्मेदारी की भावना के खिलाफ है. - बिना दस्तावेज के फॉर्म अपलोड करने का आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि बी.एल.ओ को उच्चाधिकारियों द्वारा मौखिक आदेश दिया गया हैं कि किसी भी हाल में 25 जुलाई तक लक्ष्य को पूरा करें. चाहे मतदाता मिलें या न मिलें.परिणामस्वरूप बिना दस्तावेज के ही फॉर्म जल्दबाजी में भरे जा रहे हैं. सादे ई.एफ (बिना हस्ताक्षर, बिना अंगूठा, बिना दस्तावेज अटैचमेंट) को ही डिजिटली अपलोड किया जा रहा है. यह प्रक्रिया विधिक और नैतिक दोनों स्तरों पर आपत्तिजनक है.
समाप्ति में तेजस्वी का कड़ा बयान
तेजस्वी यादव ने अंत में कहा कि चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़े और दावे उनकी आत्मसंतुष्टि के लिए हो सकते हैं. लेकिन यह जनता के असली सवालों, न्यायालय की टिप्पणियों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाताओं के अधिकारों के हनन पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं देता है उन्होंने चेतावनी दिया है की चुनाव आयोग द्वारा नजरअंदाज किए गए सवालों की अनदेखी लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव ने साफ किया कि महागठबंधन इस मुद्दे पर पूरी तरह सजग है और चुनाव आयोग से पारदर्शिता की पूरी उम्मीद करता है.हम बिहार से जुड़े हर मतदाता का आंकड़ा रखने वाले हैं और इस मुद्दे को कोर्ट में उठाने की प्रक्रिया जारी है.

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