बेरोजगारी से बेहाल युवा और सरकार पर विपक्ष का वार
तीसरा पक्ष ब्यूरो,3 सितंबर– उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा लगातार सुर्खियों में है.लाखों युवा सरकारी नौकरियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. लेकिन भर्ती प्रक्रिया की देरी और बार-बार होने वाले पेपर लीक ने उनका भरोसा तोड़ दिया है.इसी पृष्ठभूमि में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला है.
अखिलेश यादव का ट्वीट जिसने मचा दिया सियासी तूफान
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा है की, बेरोज़गारी के मारे उप्र के युवा बेचारे इतने हल्के हो गये हैं कि पुलिस उन्हें गोदी में उठाकर ले जा रही है. लेकिन भाजपा याद रखे युवाओं का आक्रोश बहुत भारी पड़ेगा.
उनके इस बयान ने न सिर्फ युवाओं की नाराज़गी को आवाज़ दी, बल्कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था और रोजगार व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए.
क्यों बढ़ रहा है युवाओं का गुस्सा?
भर्ती परीक्षाओं में देरी – कई महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाएँ सालों से लटकी पड़ी हैं.
पेपर लीक का सिलसिला – यूपी में बार-बार पेपर लीक की घटनाएँ सामने आ रही हैं, जिससे छात्रों की मेहनत बेकार हो रही है.
नौकरी का संकट – लाखों पद खाली होने के बावजूद भर्ती की गति बेहद धीमी है.
पुलिस का रवैया – आंदोलन कर रहे छात्रों और युवाओं पर बल प्रयोग की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं.
इन्हीं कारणों से युवाओं का गुस्सा सड़कों पर दिखाई दे रहा है, जिसे अखिलेश यादव लगातार हवा दे रहे हैं.
विपक्ष के निशाने पर भाजपा सरकार
सपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी भाजपा सरकार को बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर घेर रहे हैं.अखिलेश यादव का बयान एक तरह से युवाओं की आवाज़ को राजनीतिक मंच देने जैसा है.वह लगातार यह कहते रहे हैं कि भाजपा ने डबल इंजन सरकार का वादा तो किया, लेकिन युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रही.
प्रशासनिक कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
युवाओं के आंदोलनों को दबाने के लिए पुलिस और प्रशासनिक सख्ती की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं.हाल ही में जिस तरह से पुलिस ने प्रदर्शनकारी युवाओं को जबरन हटाया और कई जगह तो उन्हें गोदी में उठाकर ले जाने की तस्वीरें सामने आईं, उसने सरकार की छवि पर सवालिया निशान लगा दिया है.
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युवाओं का आक्रोश – आने वाले चुनावों पर असर?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर बेरोजगारी का समाधान नहीं किया गया तो यह मुद्दा भाजपा सरकार के लिए आने वाले चुनावों में बड़ी चुनौती बन सकता है.
बेरोजगार युवाओं की संख्या करोड़ों में है.
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाला वर्ग अब राजनीतिक रूप से भी सक्रिय हो रहा है.
सोशल मीडिया पर हर दिन #बेरोजगारीहटाओ और #पेपरलीकरोको जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं.
यानी युवाओं का आक्रोश अब सिर्फ गुस्से तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
भाजपा की चुप्पी और युवाओं का सवाल
अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार युवाओं की समस्याओं को लेकर गंभीर है या सिर्फ बयानबाज़ी में व्यस्त?
युवाओं का मानना है कि अगर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ तो आने वाले चुनावों में वे भाजपा को सबक सिखाने से पीछे नहीं हटेंगे.
निष्कर्ष
अखिलेश यादव का यह बयान उत्तर प्रदेश के युवाओं के गुस्से को राजनीतिक रंग देता है. बेरोजगारी और भर्ती प्रक्रिया की अव्यवस्था आज सबसे बड़ा मुद्दा बन चुकी है.सरकार भले ही अपनी उपलब्धियों का गुणगान करे, लेकिन जमीन पर हकीकत यही है कि बेरोजगार युवा सड़कों पर हैं और प्रशासन उन्हें बलपूर्वक हटाने में लगा है.
अगर हालात नहीं बदले, तो अखिलेश यादव का यह चेतावनी भरा बयान भाजपा के लिए आने वाले समय में बड़ी मुसीबत बन सकता है.

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