मंत्री जी का जवाब: बोलिए जय श्रीराम… और निकल लिए!
तीसरा पक्ष ब्यूरो लखनऊ,10 जुलाई :उत्तर प्रदेश में जहां भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं वहीं बिजली संकट ने आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दिया है. राज्य के कई हिस्सों से बिजली कटौती की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर सरकार के एक मंत्री का जवाब सोशल मीडिया पर बवाल मचा रहा है.
एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि जब कुछ स्थानीय लोग बिजली की भारी कमी को लेकर जब मंत्री से अपनी परेशानी साझा करते हैं तो मंत्री जी समाधान देने के बजाय कहते हैं कि –
“बोलिए… शंकर भगवान की जय, जय श्रीराम, जय-जय बजरंग बली”
यह कहकर मंत्री वहां से रवाना हो जाते हैं, और पीछे रह जाती है जनता की उम्मीदें – और गुस्सा.
क्या यही है जनसेवा?
बिजली की मांग जब धार्मिक नारों में बदल दी जाए तो सवाल उठता है कि क्या जनता की समस्याओं को सुनना भी अब “दूसरी प्राथमिकता” बन गया है?
गाँव के एक निवासी ने कहा,
“हमने सोचा था कि मंत्री जी कुछ समाधान बताएंगे, लेकिन उन्होंने हमें भक्ति में लगा दिया.हमारे बच्चे गर्मी में रात भर नहीं सो पाते और सरकार नारा लगाने को कहती है.”
वायरल वीडियो पर कांग्रेस का हमला
यह वीडियो सामने आते ही कांग्रेस पार्टी ने इसे अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एक्स हैंडल @INCIndia पर शेयर किया और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.पोस्ट में कहा गया कि :
यूपी की जनता मंत्री से: सर, हम बहुत परेशान हैं. सिर्फ 3 घंटे बिजली आती है. कुछ कीजिए… BJP सरकार के मंत्री: बोलिए.. शंकर भगवान की जय, जय श्रीराम, जय-जय बजरंग बली. और मंत्री जी निकल लिए
“जब जनता बिजली मांगती है, तो मंत्री जी भगवान का नाम लेने की सलाह देकर चले जाते हैं. यही है ‘डबल इंजन’ सरकार का असली चेहरा!
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी यूज़र्स ने मंत्री की आलोचना करते हुए बिजलीदोभक्ति_नहीं ट्रेंड करवाना शुरू कर दिया है
बिजली संकट: आंकड़ों की ज़ुबानी
राज्य सरकार के दावों के उलट ग्रामीण इलाकों में दिन में केवल 3–4 घंटे बिजली आ रहा है. कई जगहों पर तो रात भर अंधेरा पसरा रहता है. गर्मी में बिजली की कमी से न केवल घरेलू जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा हैबल्कि किसानों और छोटे व्यवसायियों को भी भारी नुकसान हो रहा है.
राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष ने साधा निशाना
कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी ने इस घटनाक्रम को लेकर बीजेपी सरकार की आलोचना किया है. विपक्ष का कहना है कि जब जनता परेशान होती है, तब सरकार उसे जवाब देने के बजाय धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर मूल समस्याओं से ध्यान भटकाती है.
एक वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा,
“जनता सड़क पर है और सरकार मंदिर-मस्जिद में उलझी है.अगर यही चलता रहा, तो लोग चुनाव में जवाब जरूर देंगे.”
जनता का सवाल – कब मिलेगा समाधान?
बिजली जैसी बुनियादी सुविधा के लिए आवाज़ उठाने पर अगर जवाब नारों में मिले, तो ये न सिर्फ सरकार की विफलता है बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर भी सवाल है.
उत्तर प्रदेश की जनता का यही सवाल है-
“हमें बिजली चाहिए, नारे नहीं!”
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में बिजली संकट कोई नया मुद्दा नहीं है लेकिन जनता की आवाज़ पर सरकार की प्रतिक्रिया जरूर हैरान करने वाली है. अगर समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो जनता का गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहेगा – वह चुनावी फैसलों में भी झलकेगा.

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