उत्तर प्रदेश में स्कूल बंदी पर गरमाई सियासत

| BY

Ajit Kumar

भारत
उत्तर प्रदेश में स्कूल बंदी पर गरमाई सियासत

चंद्रशेखर आज़ाद ने पीएम से की हस्तक्षेप की मांग

तीसरा पक्ष ब्यूरो लखनऊ, 30 जुलाई :उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में कई स्कूलों को बंद करने के फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में गर्माहट तेज़ हो गया हो गया है.इस फैसले के खिलाफ अब भीम आर्मी प्रमुख और आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने खुलकर विरोध जताया है.उन्होंने इस मुद्दे को सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंचाते हुए अपील किया है कि बच्चों की शिक्षा से किसी भी कीमत पर समझौता न किया जायेगा.

क्या है पूरा मामला?

पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में कई सरकारी और निजी स्कूलों को प्रशासनिक कारणों से बंद किया जा रहा है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन स्कूलों पर नियमों के उल्लंघन, बुनियादी सुविधाओं की कमी, या लाइसेंस संबंधित मामलों को लेकर कार्रवाईया की जा रही है. हालांकि इसका सबसे बड़ा असर उन गरीब और वंचित वर्गों के बच्चों पर पड़ रहा है. जिनके लिए यह स्कूल ही शिक्षा का एकमात्र सहारा हैं.

चंद्रशेखर आज़ाद की भावुक अपील

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल @BhimArmyChief पर एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा है कि,

“सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री से विनम्र अनुरोध करता हूँ कि वे स्कूलों को बंद होने से बचाएं क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय गरीबों के हितों को गंभीर क्षति पहुँचा रहा है. कृपया गरीबों को बचाइए उनके बच्चों को शिक्षा से वंचित होने से बचाइए, और यदि यूपी सरकार इसके बावजूद भी नहीं मानती.तो मैं आपके माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार को कहना चाह.ता हूँ कि हम बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए सड़कों पर उतरकर लोकतांत्रिक संघर्ष करेंगे.धन्यवाद.”

गरीबों की शिक्षा पर संकट

भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ शिक्षा को समानता और सशक्तिकरण का आधार माना जाता है.वहाँ स्कूलों का बंद होना एक गहरी चिंता का विषय है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी स्लम इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए ये स्कूल सिर्फ पढ़ाई का केंद्र ही नहीं है बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी एक माध्यम हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार स्कूलों को बंद करने जैसे कठोर फैसले लेता है. तो सबसे ज्यादा नुकसान समाज के उस वर्ग को होता है जो पहले ही आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है.

यह भी पढ़े :मोदी सरकार ट्रंप के झूठ पर चुप क्यों? मल्लिकार्जुन खड़गे का तीखा हमला
यह भी पढ़े :चार आतंकी कैसे घुसे?ओवैसी का BJP पर वार, कश्मीर में सुरक्षा चूक या इंटेलिजेंस फेलियर?

राजनीतिक दबाव बढ़ने के आसार

चंद्रशेखर आज़ाद की इस प्रतिक्रिया के बाद यह साफ हो गया है कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया. तो यह मुद्दा जल्द ही एक बड़ा जनांदोलन का रूप ले सकता है.इससे पहले भी भीम आर्मी शिक्षा, सामाजिक न्याय और दलित अधिकारों को लेकर कई बड़े आंदोलनों की अगुवाई कर चुका है.

सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में

वर्तमान समय में जब नई शिक्षा नीति को लागू करने की बात हो रहा है और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है.तब जमीनी स्तर पर स्कूलों को बंद करना सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करता है.

अब देखना यह होगा कि क्या प्रधानमंत्री इस अपील पर कोई प्रतिक्रिया देते हैं या उत्तर प्रदेश सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करता है.

निष्कर्ष

बच्चों की शिक्षा को लेकर कोई भी फैसला बेहद संवेदनशील होता है. खासकर तब जब उसका प्रभाव सीधे तौर पर गरीब और वंचित समुदायों पर पड़ता हो. चंद्रशेखर आज़ाद की यह अपील न सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है. बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है कि अगर शिक्षा व्यवस्था से छेड़छाड़ किया गया तो जनता सड़कों पर उतर सकता है.

Trending news

Leave a Comment