आदिवासी अस्मिता को नमन,समता के संकल्प के साथ एकजुटता का उत्सव
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 9 अगस्त, यानी वह दिन जब पूरी दुनिया विश्व आदिवासी दिवस के माध्यम से आदिवासी समुदायों के इतिहास, संस्कृति, परंपराओं और उनके अधिकारों की बात करता है.इस महत्वपूर्ण अवसर पर समतामूलक संग्राम दल देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता है. और साथ ही यह संदेश भी देता है कि आदिवासी समाज केवल अतीत की विरासत नहीं है बल्कि आज के समाज का मजबूत, सशक्त और जागरूक स्तंभ है.
संस्कृति की धरोहर, प्रकृति के रक्षक
आदिवासी समाज ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने जीवन में प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग को न केवल अपनाया बल्कि उसे एक जीवनशैली का रूप दिया है.उनकी परंपराएँ आज भी पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण हैं — वे जंगलों के साथ रहते हैं.जल-स्रोतों का आदर करते हैं और धरती को माँ मानते हैं. जब पूरी दुनिया सतत विकास की बात कर रहा है. तब आदिवासी समाज हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व कैसे संभव है.
अधिकारों का सम्मान, साझे विकास की दिशा
आज के दिन का महत्व केवल सांस्कृतिक गौरवगान तक सीमित नहीं है. बल्कि यह एक संकल्प का दिन भी है — समानता, न्याय और सम्मान के मूल्यों को हर व्यक्ति तक पहुँचाने का संकल्प. समतामूलक संग्राम दल मानता है कि आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा, उनकी पहचान की अस्मिता और उनके विकास की भागीदारी, एक न्यायसंगत समाज के निर्माण की नींव है.
एकजुटता का संदेश, साझा भविष्य का निर्माण
इस विश्व आदिवासी दिवस पर आइए हम सब मिलकर यह प्रण लें.
कि हम आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करेंगे.
उनके सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास के रास्तों को मजबूत करेंगे.
और एक ऐसे समतामूलक भारत की दिशा में कदम बढ़ाएँगे जहाँ हर समाज, हर समुदाय को बराबरी का अधिकार मिले.
समतामूलक संग्राम दल इस दिन को न केवल एक उत्सव के रूप में देखता है. बल्कि इसे संवेदनशीलता, संघर्ष और सहयोग के प्रतीक दिवस के रूप में मनाता है.
आदिवासी समाज की चेतना को नमन!
समतामूलक समाज की ओर एक और कदम!

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