विश्व आदिवासी दिवस 2025 पर आदिवासी नेता का ऐतिहासिक संदेश
तीसरा पक्ष ब्यूरो रांची, 9 अगस्त : विश्व आदिवासी दिवस 2025 के अवसर पर झारखंड से कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने एक खास संदेश साझा करते हुए आदिवासी समाज के ऐतिहासिक योगदान, सांस्कृतिक धरोहर और लोकतांत्रिक मूल्यों की सराहना किया है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों ने न केवल गुलामी के खिलाफ कई विद्रोह किए बल्कि मानव और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
X (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए अपने संदेश में उन्होंने लिखा, आदिवासियों ने देश-दुनिया को जीना सिखाया है.उन्होंने सामुदायिक शक्ति और लोकतंत्र के महत्व को स्थापित किया है.आज हमें उनके योगदान को याद करते हुए सम्मान देने की जरूरत है.
इस अवसर पर उन्होंने सभी देशवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दिये और आदिवासी समाज की एकजुटता और सशक्तिकरण की कामना किया.
क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस?
हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है.जिसका उद्देश्य दुनियाभर के आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत. उनके अधिकारों और संघर्षों के प्रति जागरूकता फैलाना है. संयुक्त राष्ट्र ने 1994 में इस दिन को आधिकारिक रूप से मान्यता दिया था .
आदिवासी समाज का ऐतिहासिक योगदान
भारत में आदिवासी समुदायों ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक कई क्षेत्रों में अहम योगदान दिया है..बिरसा मुंडा जैसे वीरों की गाथाएं आज भी जन-जन में प्रेरणा का स्रोत हैं.
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राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका
शिल्पी नेहा तिर्की जैसी युवा आदिवासी नेत्री इस बात का उदाहरण हैं कि आज का आदिवासी समाज न केवल अपनी पहचान बनाये हुये है. बल्कि लोकतंत्र की मुख्यधारा में मजबूती से भागीदारी भी कर रहा है.
निष्कर्ष:
अब समय आ गया है कि सरकार, प्रशासन और समाज आदिवासियों को केवल ‘पिछड़ा वर्ग’ समझना बंद करे.
वे भारत की जड़ें हैं, आत्मा हैं, और भविष्य के संरक्षक भी.
विश्व आदिवासी दिवस 2025 एक संदेश है — अगर अब भी नहीं जागे, तो इतिहास तुम्हें माफ नहीं करेगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.