नेताओं को पुरानी पेंशन और कर्मचारियों को क्यों धोखा?’ – सवालों के कटघरे में सरकार
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 01 अगस्त:बिहार की राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में आज पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन देखने को मिला.नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के आह्वान पर 1 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में एक साथ रोष मार्च आयोजित किया गया.जिसमें हजारों की संख्या में सरकारी कर्मचारी सड़कों पर उतर आये .
पटना में यह प्रदर्शन ऐतिहासिक गर्दनीबाग धरना स्थल से शुरू हुआ. जहां सचिवालय, समाहरणालय और विभिन्न विभागों से जुड़े कर्मियों ने बड़ी संख्या में शिरकत किया .एनपीएस-यूपीएस रद्द करो, ओपीएस बहाल करो, “बुढ़ापे का सहारा, पुरानी पेंशन हमारा अधिकार, “नेता लें पुरानी पेंशन, कर्मचारियों को क्यों नई पेंशन?” जैसे नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
नेतृत्व और भागीदारी
इस राज्यव्यापी आंदोलन का नेतृत्व NMOPS बिहार के प्रदेश अध्यक्ष वरुण पाण्डेय कर रहे थे. उनके साथ महासचिव शशि भूषण कुमार, मुख्य संरक्षक प्रेमचंद कुमार सिन्हा (महासचिव, महासंघ गोप गुट), सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद, रेलवे के वरिष्ठ नेता उदय कुमार महतो, वरीय उपाध्यक्ष संजीव तिवारी, मनोज कुमार यादव, कोषाध्यक्ष राजेश भगत, पटना जिला अध्यक्ष जीतेंद्र कुमार, जिला सचिव अविनाश कुमार पवन और जिला कोषाध्यक्ष अनुपानंद समेत कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे.
इस आंदोलन में डॉक्टर, इंजीनियर, अंचल अधिकारी, प्रशाखा पदाधिकारी, शिक्षक, प्रिंसिपल, प्रोफेसर, पुलिसकर्मी, बिजलीकर्मी, न्यायिक कर्मचारी, लिपिक, नर्स, कार्यालय सहायक आदि तमाम संवर्गों के कर्मचारी शामिल थे.जो मौजूदा नई पेंशन प्रणाली (NPS/UPS) से असंतुष्ट दिखे.
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सरकार के प्रति दोहरा रवैया?
प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी सेविकाओं, विद्यालय रसोइयों और पत्रकारों के लिए मानदेय व पेंशन में की गई वृद्धि का स्वागत तो किया.लेकिन सवाल भी उठाये – जब इन वर्गों के लिए सरकार पेंशन की व्यवस्था कर सकती है. तो फिर राज्यकर्मियों के साथ यह भेदभाव क्यों?
अगला कदम: कन्वेंशन और “वोट फॉर ओपीएस” अभियान
NMOPS ने चेतावनी दिया कि अगर शीघ्र ही पुरानी पेंशन योजना की बहाली की घोषणा नहीं किया गया. तो अगस्त महीने में राज्यभर के जिलों में कन्वेंशन आयोजित कर सरकार कें “कर्मचारी विरोधी” नीतियों का खुलासा किया जायेगा. साथ ही यह भी ऐलान किया गया कि 7 सितंबर 2025 को पटना में OPS महारैली का आयोजन किया जायेगा.जिसमें Vote For OPS जैसे अभियान की भी औपचारिक शुरुआत हो सकता है.
निष्कर्ष
बिहार में ओपीएस की मांग अब केवल एक कर्मचारी आंदोलन नहीं रहा. बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा अब बन चुका है. NMOPS के नेतृत्व में यह संघर्ष धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्वरूप लेता जा रहा है. और अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया. तो आने वाले चुनावों में यह मुद्दा निर्णायक साबित हो सकता है.

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