वायनाड त्रासदी और केंद्र की उपेक्षा: प्रियंका गांधी वाड्रा ने उठाया सवाल

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Ajit Kumar

भारत
वायनाड त्रासदी और केंद्र की उपेक्षा: प्रियंका गांधी वाड्रा ने उठाया सवाल

वायनाड की त्रासदी: करुणा और न्याय की पुकार

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,4 अक्टूबर 2025 – केरल के वायनाड जिले ने हाल ही में एक विनाशकारी भूस्खलन का सामना किया, जिसने हजारों परिवारों की ज़िंदगियों को झकझोर कर रख दिया है. इस त्रासदी में न सिर्फ लोगों ने अपने घर और संपत्ति खोई, बल्कि कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को भी हमेशा के लिए खो दिया.ऐसे कठिन समय में पीड़ितों को केवल आर्थिक मदद ही नहीं, बल्कि भावनात्मक सहारा और संवेदनशील शासन की भी ज़रूरत होती है.

लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज अपने X (Twitter) पोस्ट में जो बात उठाई, उसने केंद्र सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ₹2221 करोड़ की राहत राशि की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने केवल ₹260 करोड़ की स्वीकृति दी, जो आवश्यकता का एक अंश मात्र है.

केंद्र सरकार की मदद क्यों अपर्याप्त बताई जा रही है?

त्रासदी से उबरने के लिए ज़रूरी राहत राशि का अनुमान विशेषज्ञों द्वारा स्थिति का आकलन करने के बाद लगाया गया था.

राहत शिविरों की व्यवस्था

विस्थापित लोगों के पुनर्वास

घर और बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण

कृषि और आजीविका को फिर से खड़ा करना

इन सभी कार्यों के लिए हजारों करोड़ की आवश्यकता है. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जारी ₹260 करोड़ राशि न तो पर्याप्त है और न ही इससे वास्तविक नुकसान की भरपाई संभव है.

प्रियंका गांधी का हमला: राजनीति से ऊपर उठकर मानवीयता

प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वायनाड के लोग प्रधानमंत्री के दौरे के बाद यह उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें सार्थक और पर्याप्त मदद मिलेगी. लेकिन जब केंद्र की राहत राशि सामने आई, तो यह पीड़ित परिवारों के लिए निराशाजनक साबित हुआ.

उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि –
“राहत और पुनर्वास को राजनीति से ऊपर उठना होगा. मानवीय पीड़ा को राजनीतिक अवसर नहीं माना जा सकता, और वायनाड के लोग न्याय, समर्थन और सम्मान से कम किसी चीज़ के हकदार नहीं हैं.

यह बयान न केवल केंद्र की नीतियों पर सवाल उठाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि त्रासदी को राजनीतिक चश्मे से देखना कितना अमानवीय है.

आपदा राहत को लेकर कांग्रेस बनाम भाजपा

आपदा राहत को लेकर कांग्रेस बनाम भाजपा

इस मामले में कांग्रेस और भाजपा के बीच एक नई बहस छिड़ गई है.

कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रभावित होकर अपर्याप्त राशि स्वीकृत की है.

वहीं भाजपा समर्थक यह दलील देते हैं कि राज्य सरकार को भी राहत कार्यों के लिए पर्याप्त संसाधनों का प्रबंधन करना चाहिए.

लेकिन तथ्य यह है कि त्रासदी से जूझ रहे लोगों को राजनीति नहीं, बल्कि वास्तविक मदद की ज़रूरत है.

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वायनाड की जनता की उम्मीदें

वायनाड के लोगों ने इस कठिन समय में एकजुट होकर एक-दूसरे का साथ दिया है. राहत शिविरों में हजारों लोग रह रहे हैं और उन्हें भोजन, पानी और दवाइयों की आवश्यकता है.

पीड़ित किसान चाहते हैं कि उनकी फसलों का उचित मुआवज़ा मिले.

बच्चे चाहते हैं कि उनकी पढ़ाई फिर से शुरू हो सके.

विस्थापित परिवार चाहते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द स्थायी घर मिलें.

यह सब तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर संवेदनशील और ईमानदार प्रयास करें.

निष्कर्ष: मानवीय त्रासदी को राजनीति से ऊपर रखें

प्रियंका गांधी वाड्रा का बयान केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह एक सच्चाई को सामने लाता है कि त्रासदी की घड़ी में राहत और पुनर्वास को राजनीतिक बहस से ऊपर रखना चाहिए.

वायनाड की त्रासदी यह सवाल खड़ा करता है कि क्या हमारी व्यवस्था इतनी संवेदनशील है कि वह पीड़ितों के दर्द को समझ सके और उन्हें न्यायसंगत मदद दे सके?

आज समय की सबसे बड़ी मांग यही है कि –

पीड़ितों की ज़रूरतों को प्राथमिकता दी जाये

वास्तविक राहत और पुनर्वास पैकेज दिया जाये

राजनीति से ऊपर उठकर इंसानियत को सबसे पहले रखा जाये

क्योंकि वायनाड के लोग न्याय, समर्थन और सम्मान से कम किसी भी चीज़ के हकदार नहीं हैं.

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