बिहार को टेक्सटाइल पार्क से वंचित क्यों किया गया? – एजाज अहमद

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Ajit Kumar

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बिहार को टेक्सटाइल पार्क से वंचित क्यों किया गया? - एजाज अहमद

केंद्र के विकास नीति पर उठे सवाल, आरजेडी ने गिरिराज सिंह से मांगा जवाब

तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना:13 जून को राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एजाज अहमद ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने बिहार को जानबूझकर टेक्सटाइल पार्क योजना से वंचित रखा, जबकि देश के अन्य राज्यों में नौ टेक्सटाइल पार्क स्वीकृत किए गए.

बिहार को क्यों नहीं मिला हक?

एजाज अहमद ने सवाल उठाया कि जब देशभर में टेक्सटाइल पार्क की सौगात दी जा रही है, तब बिहार को उससे क्यों बाहर रखा गया? उन्होंने इसे बिहार के साथ केंद्र का “न्यायहीन और पक्षपाती व्यवहार” करार दिया. अहमद ने कहा, “यह सिर्फ एक टेक्निकल अस्वीकृति नहीं, बल्कि बिहार की अनदेखी का स्पष्ट प्रमाण है.

डबल इंजन सरकार बनी डबल धोखा

राजद प्रवक्ता ने डबल इंजन सरकार की अवधारणा पर भी सवाल उठाया.उन्होंने कहा कि भाजपा के 11 साल के शासनकाल में बिहार को अपेक्षित विकास नहीं मिला. “जहां वादा था 22 करोड़ नौकरियों का, वहां वास्तविकता में सिर्फ आठ लाख रोजगार दिए गए.” यह आंकड़ा, अहमद के अनुसार, सरकार की विफलता का सबसे बड़ा प्रतीक है.

फिसड्डी क्यों बना बिहार?

राज्य के पिछड़ेपन के लिए भी उन्होंने केंद्र को जिम्मेदार ठहराया। शिक्षा, चिकित्सा और मानव विकास सूचकांक—तीनों ही प्रमुख क्षेत्रों में बिहार का प्रदर्शन देश में सबसे नीचे है.अहमद ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बिहार को मिलने वाली आर्थिक सहायता में कटौती की, जिससे योजनाओं का क्रियान्वयन बाधित हुआ.

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गुजरात बनाम बिहार: एक असंतुलन?

राजद प्रवक्ता ने दावा किया कि “जब गुजरात को परियोजना दर परियोजना और पैकेज पर पैकेज दिए जाते हैं, वहीं बिहार को उसका वाजिब हक भी नहीं मिलता.उनका कहना है कि यह भेदभावपूर्ण रवैया बिहार के विकास को जानबूझकर बाधित कर रहा है.

विशेष राज्य का दर्जा तो दूर, विशेष पैकेज भी नहीं

एजाज अहमद ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को दोहराया और कहा कि जब तक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और समुचित वित्तीय सहायता नहीं दी जाती, तब तक समग्र विकास की बात बेमानी है.

निष्कर्ष:एजाज अहमद की प्रतिक्रिया न केवल एक राजनीतिक टिप्पणी है, बल्कि बिहार के विकास की वास्तविक पीड़ा का प्रतिबिंब भी है. केंद्र और राज्य के बीच सहयोग की कमी तथा बिहार की उपेक्षा जैसे आरोप भाजपा सरकार के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि गिरिराज सिंह और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

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