मरे नहीं, जिंदा हैं — फिर भी वोटर लिस्ट से गायब क्यों?

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Kumar Ranjit

बिहार
मरे नहीं, जिंदा हैं — फिर भी वोटर लिस्ट से गायब क्यों?

65 लाख मतदाता हवा में गायब?भाकपा-माले ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 2 अगस्त :बिहार में मतदाता सूची में भारी अनियमितताओं को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है. भाकपा-माले ने चुनाव आयोग के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए दो जीवित व्यक्तियों को मृतकों की सूची में डाले जाने पर गंभीर आपत्ति जताई है. राज्य सचिव कुणाल ने इस संबंध में सभी आवश्यक प्रमाणों के साथ एक विस्तृत आपत्ति पत्र चुनाव आयोग को भेजा है.

कुणाल ने दिल्ली और पटना स्थित चुनाव आयोग कार्यालयों को ईमेल के जरिये यह पत्र भेजा है. जिसमें यह सवाल उठाया गया है कि एसआईआर (स्पेशल समरी रिवीजन) के तहत हटाए गए लाखों मतदाताओं की सूची आयोग अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहा है.

मृतक सूची में ज़िंदा लोग: दो बूथों का मामला सामने आया

103 भोरे (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र के दो अलग-अलग बूथों पर ऐसे लोगों के नाम सामने आये हैं जिन्हें मृत घोषित कर सूची से हटा दिया गया है जबकि वे पूरी तरह जीवित हैं.

बूथ संख्या 317 (ग्राम – लच्छीचक, पंचायत – भोरे):

  • विशुन कुमार सिंह (EPIC: YTH1095967)
  • शांति देवी (EPIC: YTH1096254)
  • मुन्नी देवी (EPIC: YTH0528096)
  • चंद्रिका सिंह (EPIC: BR04/022/35438)
  • नादानी सिंह उर्फ नंद जी सिंह (EPIC: YTH0527895)
  • बूथ संख्या 339 (ग्राम व पंचायत – सिसई):
  • कुशनुमा खातून (EPIC: YTH0839555)
  • शैलेश प्रसाद (EPIC: YTH0839654)
  • लालाबाबू गोड (EPIC: YTH1528066)
  • कुदरत ख़ां (EPIC: YTH2297927)
  • रामाशीष भगत (EPIC: YTH0840595)

जहां बूथ संख्या 317 के सभी पांचों व्यक्तियों के नाम हालिया मतदाता सूची में पुनः जोड़ा जा चुका हैं. वहीं बूथ संख्या 339 के दो नाम अभी भी वंचित हैं.क्रमांक 127 पर शैलेश प्रसाद और क्रमांक 1393 पर कुदरत मियां.

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भाकपा-माले ने उठाया बड़ा सवाल: 65 लाख से अधिक मतदाता आखिर कहां गए?

कुणाल ने मांग किया है कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत पहले चरण में हटाए गए 65,64,075 मतदाताओं की पूरी सूची विधानसभा और बूथवार सार्वजनिक किया जाये.उनका कहना है कि बिना पूर्ण विवरण के यह पता लगाना असंभव है कि किन आधारों पर इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाया गया है.और यह संदेह को जन्म देता है कि कहीं यह प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण या दुर्भावनापूर्ण तो नहीं था.

आगे क्या?

अब सभी की निगाहें चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं. क्या आयोग पारदर्शिता के रास्ते पर चलेगा या फिर यह विवाद और गहराएगा.यह आने वाले दिनों में साफ़ होगा.

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