अंबेडकर रत्न मंडल संघ ने पटना में बाबूजी को दिया श्रद्धांजलि !

तीसरा पक्ष ब्यूरो, पटना :बाबू जगजीवन राम की जयंती 5 अप्रैल, 2025 को पुरे देश में धूम धाम से मनाई गई। उनके जयंती के अवसर पर देश के तमाम राजनितिक पार्टियों के साथ साथ विभिन्नय सामाजिक संघठनो ने भी उन्हें याद किया और उनके तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। पटना के आंबेडकर शोध संस्थान में भी अंबेडकर रत्न मंडल संघ से जुड़े अनेक बुद्धिजीवियों ने श्रद्धांजलि दिए तथा उनके कार्यो और आदर्शों को याद कर समाज को एक सूत्र में बांधने के संकल्प लिया। आपको बता दे कि अंबेडकर रत्न मंडल संघ बिहार के सभी अनुसूचित जातियों का एक संघ है जो सामूहिक नेतृत्व और सामूहिक प्रतिनिधित्व की बात करती है। इस कार्यकर्म में ई. केदार पासवान,राम प्रवेश दस,प्रह्लाद कुमार(प्रदेश अध्यक्ष धोभी महा संघ ),अर्जुन प्रियदर्शी,केदारनाथ राम,सुरेश कुमार,दुर्गा परसाद,अरुण मुसहर,हरिश्चन्दर पासवान,गजेंद्र मांझी,विश्वनाथ पासवान बाबूलाल मांझी,मित्रांजन पासवान,राम प्यारे प्रसाद,अर्जुन राजवंशी,प्रभु दयाल,कृष्णा प्रसाद, पूर्व मुखिया प्रेम कुमार,गीता बहन,चन्द्रमा प्रसाद,अभय कुमार चौधरी,लक्ष्मी नारायण पासवान,रमेश पासवान और संघ जुड़े अनेक कार्यकर्ता एवं बुद्धिजीवि गण आदि शामिल हुए।
बाबू जगजीवन राम : एक जीवन परिचय
बाबू जगजीवन राम, जिन्हें प्यार से “बाबूजी” कहा जाता था, भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे। उनका जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार के भोजपुर जिले के चंदवा गांव में एक दलित परिवार में हुआ था। आज, 5 अप्रैल, 2025 को उनकी जयंती के अवसर पर, हम उनके जीवन और योगदान को याद करते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जगजीवन राम का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता, शोभा राम, एक साधारण किसान और धार्मिक व्यक्ति थे। बचपन से ही जगजीवन राम ने जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता को करीब से देखा, जिसने उनके मन में समाज सुधार की भावना जागृत की। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में पूरी की। जगजीवन राम ने प्रथम श्रेणी में मैट्रिक पास की और 1927 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शामिल हो गए, जहाँ उन्हें बिड़ला छात्रवृत्ति प्रदान की गई और उन्होंने इंटर साइंस की परीक्षा उत्तीर्ण की। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से विज्ञान में इंटर की पढ़ाई के दौरान वे छात्र आंदोलनों में सक्रिय रहे और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए। लेकिन वे सामाजिक एवं जातीय भेदभाव कारण वे विश्वविद्यालय छोड़ दिए और उन्होंने 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. की डिग्री प्राप्त की।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
जगजीवन राम ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े और अछूतों (दलितों) के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। 1930 के दशक में वे हरिजन सेवक संघ से जुड़े, जिसे गांधीजी ने स्थापित किया था। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान चलाया और दलित समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास किए। उनकी निष्ठा और नेतृत्व ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
सामाजिक सुधार और विरासत
पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने भारतीय दलित साहित्य अकादमी की स्थापना कर वंचित वर्ग को अपनी इतिहास एवं कार्यों को समाज के सामने रखने का अवसर प्रदान किया। जगजीवन राम ने अपने पूरे जीवन में दलितों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए काम किया। वे समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक थे। उनकी बेटी, मीरा कुमार, भी एक प्रमुख राजनीतिज्ञ बनीं और लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं, जो उनकी प्रेरणादायक विरासत को दर्शाता है।
निधन
बाबू जगजीवन राम का निधन 6 जुलाई, 1986 को दिल्ली में हुआ। उनके निधन के बाद भी उनके विचार और कार्य आज भी प्रासंगिक हैं। बाबू जगजीवन राम जयंती हमें उनके संघर्ष, समर्पण और देश के प्रति उनकी सेवा को याद करने का अवसर देती है। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने न केवल राजनीति में, बल्कि समाज सुधार में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी। आज उनकी जयंती पर, हम उनके आदर्शों को अपनाने और एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रेरणा ले सकते हैं।
उपरोक्त आलेख तीसरा पक्ष टीम द्वारा प्रेस विज्ञप्ति और विभिन्नय समाचार माध्यमों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।

I am a blogger and social media influencer. I am engaging to write unbiased real content across topics like politics, technology, and culture. My main motto is to provide thought-provoking news, current affairs, science, technology, and political events from around the world.