राहुल गांधी की पदयात्रा: बिहार में पलायन रोको, नौकरी दो,अभियान कितना प्रभावशाली

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kmSudha

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बिहार में राहुल गांधी की पदयात्रा: पलायन रोको, नौकरी दो, एक प्रभावशाली पहल

राहुल गांधी का ,पलायन रोको, नौकरी दो, पदयात्रा बिहार की सियासत में एक नया अध्याय शुरू

तीसरा पक्ष ब्यूरो :आज 7 अप्रैल 2025 को बिहार के बेगूसराय के सड़कों पर एक नया नजारा देखने को मिला है.कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार के नेतृत्व में चल रहे बिहार में “पलायन रोको, नौकरी दो” पदयात्रा में भाग लिए है.यह यात्रा न केवल एक राजनीतिक अभियान था,बल्कि बिहार के युवाओं के भावनाओं,उनके संघर्ष और उनकी उम्मीदों को आवाज देने का एक सशक्त मंच भी बना. राहुल गांधी का चार महीनों में यह तीसरा बिहार दौरा था, जो कांग्रेस की 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों और राज्य में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की रणनीति है उसको यह यात्रा को स्पष्ट करता है.

यात्रा का उद्देश्य और संदेश

“पलायन रोको, नौकरी दो” पदयात्रा यात्रा का उद्देश्य और संदेश है बिहार के सबसे गंभीर समस्या ,बेरोजगारी और पलायन है उसको संबोधित करना है. एक समय जब बिहार,अपने समृद्ध इतिहास और संस्कृति के लिए जाना जाता था लेकिन आज एक ऐसी धरती बन चुका है जहां से लाखों युवा रोजगार की तलाश में अपने घर-परिवार को छोड़कर दूसरे राज्यों जाने के लिए मजबूर हैं.राहुल गांधी ने इस यात्रा के जरिए न केवल इस समस्या को राष्ट्रीय पटल पर लाने का प्रयाश किया बल्कि यह भी संदेश दिया कि कांग्रेस पार्टी इस संकट का समाधान करने के लिए  पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया संदेश में कहा कि बिहार के युवाओं में जोश है, कुछ कर दिखाने का,और सरकार के खिलाफ आक्रोश भी है, उन्हें अवसर और समर्थन नहीं दिलाने का,इसलिए उन्होंने सफेद टी-शर्ट पहनकर यात्रा में शामिल होने के लिए अपील किया ताकि पूरी दुनिया को बिहार के युवाओं का संघर्ष और उनकी भावनाएं दिखाई दें.यह यात्रा एक प्रतीकात्मक कदम था, जो एकजुटता और जागरूकता का संदेश दिया है. 

बेगूसराय में राहुल गांधी का स्वागत 

कन्हैया कुमार बेगूसराय जिला का रहने वाले है.और बेगूसराय जिला इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना.सुबह पटना हवाई अड्डे पर उतरने के बाद राहुल गांधी सीधे बेगूसराय पहुंच गये  जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनको भव्य तरिके से स्वागत किया. सफेद टी-शर्ट पहने हजारों युवाओं की भीड़ ने सड़कों पर उतरकर इस अभियान को एक जनांदोलन का रूप दे दिया है करीब एक किलोमीटर का यह पदयात्रा भले ही समय के हिसाब से छोटा रहा केवल 24 मिनट का लेकिन इसका प्रभाव गहरा और दूरगामी रहा है.कन्हैया कुमार इस यात्रा का सूत्रधार रहे उन्होंने  राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए बिहार के युवाओं के आवाज को बुलंद किया. कन्हैया, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं और बेगूसराय से लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं, इस यात्रा के जरिए युवाओं के बीच अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं.उसके द्वारा किया गया यह प्रयास कांग्रेस की नई पीढ़ी को आगे लाने और बिहार में पार्टी को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.

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बिहार की सियासत पर प्रभाव

2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह पदयात्रा कांग्रेस के लिए एक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है. बिहार में कांग्रेस पिछले कुछ दशकों से अपना प्रभाव खोता जा रहा है  और महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ उसकी साझेदारी में भी सीटों के बंटवारे को लेकर भी कुछ तनाव रहा है.लेकिन राहुल गांधी की यह सक्रियता और कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता को आगे बढ़ाना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस इस बार न केवल अपनी सौदेबाजी की स्थिति मजबूत करना चाहता है, बल्कि बिहार के मतदाताओं के बीच अपनी स्वतंत्र पहचान भी स्थापित करना चाहते है.पदयात्रा के बाद राहुल गांधी पटना लौटे और श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित “संविधान सुरक्षा सम्मेलन” में हिस्सा लिये  इस सम्मेलन में संविधान की रक्षा, सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करने पर जोर दिया गया. यह कदम भी कांग्रेस के उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है.

युवाओं के उम्मीदों का प्रतीक

बिहार में राहुल गाँधी का “पलायन रोको, नौकरी दो” पद यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं के उम्मीदों और आकांक्षाओं का भी प्रतीक बन गई है. बेरोजगारी, महंगाई और सरकारी नौकरियों में कटौती जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों ने राज्य के युवाओं में गहरा असंतोष पैदा कर दिया है. राहुल गांधी ने इस मौके को भुनाते हुए न केवल इन मुद्दों को उठाया, बल्कि यह भी दिखाने का प्रयास किया कि कांग्रेस उनके आवाज बनने को तैयार है. बेगूसराय के  सड़कों पर उमड़ी भीड़ और युवाओं का जोश इस बात का सबूत था कि यह अभियान लोगों के दिलों तक पहुंचने में कामियाब रहा. 

चुनौतियां और भविष्य

हलांकि  इस यात्रा का असली प्रभाव तब देखने को मिलेगा जब यह बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में तब्दील होगा. कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा चुनौती नीतीश कुमार के जेडीयू और बीजेपी के मजबूत गठबंधन को टक्कर देना है. साथ ही, महागठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के साथ तालमेल भी एक बड़ा सवाल है. फिर भी, राहुल गांधी की यह सक्रियता और कन्हैया कुमार की युवा ऊर्जा कांग्रेस को नई दिशा दे सकता है.

निष्कर्ष के रूप में 

राहुल गांधी का ,पलायन रोको, नौकरी दो, पदयात्रा बिहार की सियासत में एक नया अध्याय शुरू करने का एक कोशिश है. यह न केवल बिहार के युवाओं के दर्द को आवाज देता है, बल्कि कांग्रेस के  उस महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता है जो राज्य में अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए वो कितना बेताब है. बेगूसराय के सड़कों पर गूंजी यह हुंकार अब पूरे बिहार में बदलाव का बयारभी बन सकता है, बशर्ते इसे सही रणनीति और जनता के भरोसे के साथ आगे बढ़ाया जाए तो. यह यात्रा एक संदेश है – बिहार के युवा अब चुप नहीं रहेंगे, और उनके आवाज अब अनसुना नहीं रहेगा.

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