130वां संशोधन: संविधान का संकटकाल?लोकतंत्र पर गहराता संकट!

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Ajit Kumar

बिहार
130वां संशोधन: संविधान का संकटकाल?लोकतंत्र पर गहराता संकट!

वोट पर वार और लोकतंत्र पर संकट: भाकपा-माले की चेतावनी

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 20 अगस्त 2025 – जब लोकतंत्र की बुनियाद हिलती है और संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं. तब सवाल सिर्फ कानून का नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व का होता है. 130वां संविधान संशोधन विधेयक और एसआईआर (सस्पेक्टेड इनएलिजिबल रजिस्ट्री) – ये दो घटनाएँ भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर एक साथ हमला करती प्रतीत होती हैं.भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में इन दोनों मसलों पर जो चिंता जाहिर किया है. वह सिर्फ एक विपक्षी नेता की आलोचना नहीं बल्कि लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक चेतावनी है.

वोट पर वार और लोकतंत्र पर संकट: भाकपा-माले की चेतावनी

देश में मतदाता सूची से लाखों नाम गायब किया जा रहा है. संविधान की आत्मा को दबाया जा रहा है. और सत्ता का दुरुपयोग संस्थाओं को बंधक बनाने तक पहुँच चुका है. क्या यह सब संयोग है या एक सोची-समझी साजिश?

आइये, आगे जानते हैं विस्तार से कि आखिर भाकपा-माले ने क्या कहा, क्यों 130वें संशोधन को बताया गया,मौत की घंटी, और मतदाता अधिकारों को लेकर कैसे उठ रहा है देशभर में आवाज…

संविधान, लोकतंत्र और मतदाता अधिकार पर गहराता संकट:भाकपा-माले का तीखा हमला

130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर देश की सियासत गरमा गया है.भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस विधेयक को संविधान, संघीय ढांचे और संसदीय लोकतंत्र के लिये,मौत की घंटी करार दिया है.उन्होंने कहा कि यह विधेयक सत्ता के दुरुपयोग और विपक्ष को कुचलने की साजिश का हिस्सा है.

5 साल की सजा और 30 दिन जेल = पद से बर्खास्तगी!

दीपंकर ने विधेयक के उस प्रावधान पर सवाल उठाए जिसमें किसी मंत्री को पांच साल की सजा होने और 30 दिन जेल में रहने की स्थिति में पद छोड़ना अनिवार्य होगा. उन्होंने आशंका जताया कि यह कानून खासकर गैर-भाजपा सरकारों को गिराने और उन्हें काम न करने देने की रणनीति के तहत लाया गया है.उन्होंने कहा कि,
भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों पर कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन विपक्ष शासित राज्यों को अस्थिर करने के लिए यह कानून एक औजार बन जाएगा.

ईडी, सीबीआई और अब यह नया हथियार

भट्टाचार्य ने कहा कि पहले ईडी, सीबीआई, एनआईए और राज्यपाल पद का दुरुपयोग किया गया और अब इस विधेयक के जरिए लोकतंत्र की बची-खुची आत्मा पर भी हमला किया जा रहा है. उन्होंने देश के हर नागरिक से इस विधेयक का विरोध करने की अपील किया है.

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जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति बनाने का स्वागत

इंडिया गठबंधन द्वारा जस्टिस वी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर चुने जाने को उन्होंने एक सकारात्मक पहल बताया है. उन्होंने रेड्डी को संविधान और मानवाधिकारों के रक्षक के रूप में बताया है. जिनकी छवि सलवा जुडूम जैसे विवादास्पद अभियानों के खिलाफ खड़े होने से बनी है.

उन्होंने कहा कि “इस पद पर आरएसएस की विचारधारा से जुड़े किसी व्यक्ति की नहीं.बल्कि संविधान में आस्था रखने वाले व्यक्ति की जरूरत है.

वोटर अधिकार यात्रा’ बन रही है जन-आंदोलन

17 अगस्त से शुरू हुई ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को भट्टाचार्य ने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की दिशा में एक मजबूत जन-आंदोलन बताया है.13 दिनों की यह यात्रा सासाराम से शुरू होकर बरबीघा तक पहुंची है. जिसमें आम जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.

यात्रा का प्रमुख संदेश है – वोट के अधिकार की रक्षा और सत्ता में बदलाव.”यह यात्रा सिर्फ एक विरोध नहीं, बदलाव की दिशा में एक स्पष्ट जन-संकल्प है.बीस वर्षों से बिहार पर बोझ बनी सरकार को हटाने का समय आ गया है.

एसआईआर: मतदाता अधिकारों पर सीधा हमला

संविधान और लोकतंत्र के साथ-साथ भाकपा-माले ने एसआईआर (सस्पेक्टेड इनएलिजिबल रजिस्ट्री) को लेकर भी गहरी चिंता जताई है. पार्टी का आरोप है कि इसमें 65 लाख लोगों के नाम बिना ठोस आधार के मतदाता सूची से हटाए जा रहा हैं.

दीपंकर ने कहा कि:

बांग्लादेशी घुसपैठ के नाम पर प्रवासी मजदूरों के नाम काटा जा रहा हैं.

बिहार के गरीब और मेहनतकश प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया जा रहा है. जबकि अन्य राज्यों से आकर रहने वाले नेताओं के नाम सुरक्षित हैं.

एनआरआई के लिए फॉर्म 6A है. लेकिन प्रवासी मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.

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चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप

माले महासचिव ने चुनाव आयोग पर निष्पक्षता की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि:

लाखों लोगों का पता ‘शून्य’ दिखाकर उन्हें ‘बेघर मतदाता’ घोषित किया गया है.

माले व बीएलए द्वारा दायर आपत्तियों को दर्ज ही नहीं किया गया.

यहां तक कि एक मिंटू पासवान को चुनाव अधिकारी के दफ्तर ले जाकर शिकायत दर्ज करवाया गया. लेकिन सिस्टम में शून्य दिखाया जा रहा है.

उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग मतदाता अधिकार छीनने के अभियान में शामिल हो चुका है.

अंतिम सूची आने तक सतर्क रहना जरूरी

दीपंकर ने कहा कि फिलहाल जो सूची सामने आई है वह ड्राफ्ट है. लेकिन इसमें हो रही अनियमितताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आम जनता से अपील किया है कि वे सजग रहें और अपने वोटर अधिकार के लिए संघर्ष करें.

सम्मेलन में अन्य नेताओं की भी भागीदारी

इस संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, एमएलसी शशि यादव, पूर्व विधायक मनोज मंजिल, लोकयुद्ध संपादक संतोष सहर और विधायक दल के नेता सत्यदेव राम ने भी विचार रखे.

निष्कर्ष: देश के लोकतंत्र की अग्नि परीक्षा

130वें संशोधन विधेयक और एसआईआर जैसे प्रयासों को लेकर भाकपा-माले ने लोकतंत्र के समक्ष गंभीर संकट की चेतावनी दी है.सवाल सिर्फ एक विधेयक का नहीं, बल्कि उस सोच का है जो असहमति और विपक्ष को खत्म कर देना चाहती है. ऐसे समय में जन-जागरण और जन-संगठन ही लोकतंत्र की रक्षा की सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं.

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