मंगल पांडे के इस्तीफे और स्पीडी ट्रायल की मांग
भाजपा-जदयू राज के दिन गिनती के, बिहार को बदलाव चाहिए!
तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना:मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के जगन्नाथपुर गांव में 10 साल की दलित बच्ची के साथ हुई क्रूर यौन हिंसा और इलाज में लापरवाही के चलते उसकी मौत के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को जिम्मेदार ठहराते हुए, माले और ऐपवा ने पूरे बिहार में विरोध प्रदर्शन किया.प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि मंगल पांडे इस्तीफा दें और अपराधी को जल्द से जल्द कड़ी सजा देने के लिए स्पीडी ट्रायल हो.

पटना के साथ-साथ बिहारशरीफ, सिवान, बक्सर के डुमरांव, दरभंगा, गोपालगंज, आरा और गया जैसे कई जिलों में ये प्रदर्शन हुए. पटना में जीपीओ गोलंबर से आक्रोश मार्च निकाला गया, जिसमें आइसा और RYA के कार्यकर्ता भी शामिल रहे.प्रदर्शन में एमएलसी शशि यादव, विधायक गोपाल रविदास, सरोज चौबे, रणविजय कुमार, प्रीति कुमारी और माधुरी गुप्ता ने लोगों को संबोधित किया.इस दौरान के.डी. यादव, प्रकाश कुमार, उमेश सिंह, रामबली प्रसाद, जितेंद्र कुमार, सबीर कुमार, जयप्रकाश पासवान, कमलेश कुमार, अनिल अंशुमन, मुर्तजा अली, राखी मेहता, गुरुदेव दास, मिथिलेश कुमार, मीरा दत्त, अनुराधा सिंह, विनय कुमार, पुनीत पाठक, नीतीश कुमार, महेश चंद्रवंशी, विभा गुप्ता, मुजफ्फर आलम, देवीलाल, प्रमोद यादव, वंदना प्रभा, कुमार दिव्यम, गुलशन और आशा देवी जैसे कई कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अनीता सिन्हा ने किया.प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा-जदयू सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और बिहार में अब बदलाव की जरूरत है.
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सरकार की दोहरी नाकामी, मंगल पांडे दें इस्तीफा – गोपाल रविदास

कॉमरेड गोपाल रविदास ने कहा कि मुजफ्फरपुर की घटना बिहार सरकार की दोहरी नाकामी को उजागर करता है. पहले , एक मासूम नाबालिग बच्ची के साथ जघन्य बलात्कार और दूसरा , उसके इलाज में की गई घोर लापरवाही. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से तुरंत इस्तीफे की मांग की और कहा कि इस विफलता की जिम्मेदारी उन्हें लेनी होगी. रविदास ने बताया कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में बलात्कार पीड़िता के इलाज में जो लापरवाही हुई, वह निंदनीय होने के साथ-साथ आपराधिक भी है. यह साफ दिखाता है कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था गरीबों, दलितों और पीड़ितों के प्रति न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि पूरी तरह अमानवीय हो चुकी है.
प्रशासन की लापरवाही ,आंदोलन तेज करने की चेतावनी
कॉमरेड गोपाल रविदास ने बताया कि उनकी अगुवाई में जांच दल के दौरे के बाद प्रशासन हरकत में आया. बीडीओ भागते हुए पहुंचे और पीड़िता की मां को 4 लाख रुपये का चेक दिया.साथ ही, उन्हें हर महीने 7750 रुपये की पेंशन, इंदिरा आवास और बच्चों को आंबेडकर स्कूल में पढ़ाने का आश्वासन दिया गया.

हालांकि, आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन प्रशासन की बेरुखी साफ दिखाई दिया है. आमतौर पर ऐसे मामलों में मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जाता है, मगर पीएमसीएच तक प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहीं दिखा.मुजफ्फरपुर से रेफर करने में देरी हुई और पीएमसीएच में भी घंटों तक इलाज शुरू नहीं हुआ. यह प्रशासन की लापरवाही की हद है.
बच्चियों में डर!
पीड़िता बेहद गरीब और भूमिहीन परिवार से थी. उसके पिता का दो साल पहले निधन हो चुका है और मां मजदूरी करके दो छोटे बेटों का पालन-पोषण कर रही है. स्थानीय भाजपा विधायक की पूरी तरह निष्क्रियता पर भी लोगों में भारी गुस्सा है.इस घटना के बाद गांव की बच्चियां डर के मारे स्कूल जाने से कतरा रही हैं.उन्हें डर है कि कहीं उनके साथ भी ऐसा कोई जघन्य हादसा न हो जाए. यह तथाकथित “सुशासन” के मुंह पर जोरदार तमाचा है.

उन्होंने सभी लोकतांत्रिक संगठनों, नागरिक समाज और आम लोगों से इस जन आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और तेज होगा.
निष्कर्ष:
मुजफ्फरपुर की इस दर्दनाक घटना ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है. माले और ऐपवा का यह आंदोलन न सिर्फ पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग है, बल्कि बिहार में व्यापक बदलाव की पुकार भी है. प्रदर्शनकारियों की चेतावनी साफ है—अगर सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो यह जन आंदोलन और तेज होगा

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