दो गुजराती लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं? लालू प्रसाद यादव का तीखा हमला

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Ajit Kumar

बिहार
दो गुजराती लोकतंत्र पर हमला कर रहे हैं? लालू प्रसाद यादव का तीखा हमला

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए राजद प्रमुख !

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 7 जुलाई: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. सोमवार सुबह किए गए एक ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि “दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छिनने का प्रयास कर रहे हैं.”

लालू प्रसाद यादव का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर इशारा करता माना जा रहा है. दोनों नेता गुजरात से आते हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्रीय सत्ता के केंद्र में हैं.

लालू यादव ने अपने सोशल मीडिया के आधिकारिक हेंडल एक्स पर ट्वीट में कहा की :

“दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छिनने का प्रयास कर रहे है. इन दो गुजरातियों को बिहार, संविधान और लोकतंत्र से सख़्त नफ़रत है.
जागो और आवाज़ उठाओ!
लोकतंत्र और संविधान बचाओ!!”

बिहार में मतदाता अधिकारों को लेकर नाराजगी

यह ट्वीट ऐसे समय में आया है कि जब केंद्र सरकार की ओर से एक राष्ट्र, एक चुनाव और चुनावी प्रक्रिया में संभावित बदलावों पर चर्चा चल रही है. विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व कमजोर हो सकता है और राज्यों के मतदाताओं की भागीदारी सीमित हो सकती है.

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राजद और अन्य विपक्षी दलों को आशंका है कि चुनाव प्रणाली में बदलाव से बिहार जैसे राज्यों के राजनीतिक प्रभाव को कम किया जा सकता है.

राजनीतिक प्रतिक्रिया

लालू यादव का बयान आते ही सियासी हलकों में हलचल मच गई है. भाजपा के प्रवक्ताओं ने इसको भ्रामक और उत्तेजक करार दिया है. वहीं, विपक्षी नेताओं ने लालू यादव के समर्थन में सुर मिलाते हुए इसे संविधान बचाने की लड़ाई बताया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हाल ही में संविधान संशोधनों और संघीय ढांचे को कमजोर करने के आरोपों पर केंद्र सरकार की आलोचना भी किये थे.

जनता में क्या असर?

बिहार की सियासत में जातीय समीकरण और क्षेत्रीय अस्मिता हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहे हैं. लालू प्रसाद यादव का यह बयान सीधे तौर पर बिहार के सम्मान और वोट के अधिकार से जुड़ा हुआ है. जिससे यह मुद्दा आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है.

निष्कर्ष

लालू प्रसाद यादव का यह ट्वीट केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि आने वाले चुनावों की रणनीति का संकेत भी माना जा रहा है. लोकतंत्र, संविधान और संघीय ढांचे को लेकर बहस अब और तेज़ होने की संभावना है.देखना होगा कि बिहार की जनता इस बयान पर कैसी प्रतिक्रिया देती है और अन्य विपक्षी दल इस बयान को कैसे आगे बढ़ाते हैं.

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