बिहार में शिक्षक बहाली पर सियासी घमासान:आरजेडी ने मुख्यमंत्री की घोषणा को बताया ‘चुनावी जुमला’
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,16 जुलाई:जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है. राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी और वादों की होड़ तेज़ होते जा रहा है.इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से हाल ही में शिक्षक बहाली के लिए TRE-4 (टीआरई-4) की घोषणा ने सियासी हलचल मचा दिया है. लेकिन राजद (राष्ट्रीय जनता दल) इसे एक “चुनावी जुमला” बता रहा है.
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने साफ शब्दों में कहा है कि सरकार ने अभी तक न तो शिक्षक बहाली की अधिसूचना जारी किया है और न ही डोमिसाइल नीति को लेकर कोई स्पष्टता दिया है. उनके मुताबिक सरकार केवल शिक्षा विभाग से रिक्त पदों का ब्योरा माँग रहा है. जबकि यह आंकड़ा सरकार के पास पहले से मौजूद है. अनुमान के मुताबिक बिहार में तीन लाख से अधिक शिक्षक पद खाली हैं.
टीआरई-3 का हाल और टीआरई-4 की घोषणा
राजद का आरोप है कि जब टीआरई-3 की प्रक्रिया 20 महीने बाद भी अधूरा है.तो नई बहाली की घोषणा का कोई मतलब नहीं बनता.गगन कहते हैं कि सरकार केवल चुनावों को ध्यान में रखते हुए ऐसी घोषणाएँ कर रहा है. उनका दावा है कि यदि सरकार की मंशा साफ होती तो डोमिसाइल नीति के साथ तुरंत अधिसूचना जारी कर दिया जाता और बहाली प्रक्रिया शुरू हो जाता.जैसा कि महागठबंधन सरकार के दौरान हुआ करता था.
अधूरी बातें और अधूरी नीतियाँ?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर डोमिसाइल लागू करने की बात कही गई है. लेकिन राजद इसे “अधूरी घोषणा” मानता है. प्रवक्ता गगन का तर्क है कि बिहार के सभी अभ्यर्थियों को बराबरी का हक मिलना चाहिए और बहाली में 100 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू की जानी चाहिए ताकि दूसरे राज्यों से आने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता न दी जाए.
एसटीईटी और कंप्यूटर शिक्षक बहाली पर चुप्पी क्यों?
राजद ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है कि पिछले कई वर्षों से एसटीईटी परीक्षा आयोजित नहीं की गई है. साथ ही, 26,000 से अधिक कंप्यूटर शिक्षकों की बहाली को लेकर भी सरकार पूरी तरह चुप है. प्रवक्ता का कहना है कि सरकार की यह चुप्पी उसकी नीयत पर सवाल खड़े करता है.
निष्कर्ष: सिर्फ घोषणा से नहीं चलेगा काम
बिहार में युवाओं की एक बड़ी आबादी शिक्षक बहाली की बाट जोह रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा तब तक भरोसेमंद नहीं मानी जा सकती है जब तक कि कोई ठोस नीति, डोमिसाइल स्पष्टता और समयबद्ध बहाली प्रक्रिया सामने न आ जाये. राजद के मुताबिक यह घोषणा सिर्फ एक चुनावी रणनीति है. जिसका असली उद्देश्य बेरोजगार युवाओं को भ्रमित करना है.न कि उन्हें रोजगार देना.
अब देखना होगा कि क्या सरकार अपने वादों को ज़मीन पर उतार पाती है या यह भी एक और अधूरी घोषणा बनकर रह जाएगी.

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