फतेहपुर की आग से पहले चेत जाए सरकार: मायावती का सख़्त संदेश

| BY

kmSudha

भारत
फतेहपुर की आग से पहले चेत जाए सरकार: मायावती का सख़्त संदेश

मकबरा-मंदिर विवाद को साम्प्रदायिक रंग देने से रोके प्रशासन, नहीं तो हालात बेकाबू हो सकते हैं

तीसरा पक्ष ब्यूरो फतेहपुर,12 अगस्त:उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले में मंदिर और मक़बरे को लेकर पैदा हुआ विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है. धार्मिक भावना और ऐतिहासिक दावों के बीच जहां ज़मीनी हालात तनावपूर्ण होते जा रहे हैं.वहीं देश की राजनीति भी इस आग में घी डालने और बुझाने—दोनों कामों में जुटा हुआ है.

ऐसे नाज़ुक वक़्त में BSP सुप्रीमो मायावती ने आज अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) के ज़रिए एक कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है.उन्होंने सरकार को आगाह किया है कि कोई भी ऐसा कदम न उठाया जाए जिससे साम्प्रदायिक तनाव और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचे. उनका कहना है कि —जरूरत पड़े तो सरकार सख़्त क़दम उठाने से पीछे न हटे.

तो चलिए, आइए आगे जानते हैं विस्तार से कि आख़िर क्या है पूरा मामला मायावती ने क्या कहा और क्यों यह बयान यूपी सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी की तरह देखा जा रहा है…

फतेहपुर, उत्तर प्रदेश

फतेहपुर, उत्तर प्रदेश:उत्तर प्रदेश के ज़िला फतेहपुर में हाल ही में एक धार्मिक स्थल को लेकर उपजा विवाद अब राज्य की राजनीति और प्रशासन दोनों के लिए एक परीक्षा बन चुका है. एक ओर जहां मक़बरे और मंदिर को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज़ है.वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने इस पूरे मामले पर सरकार को जमकर घेरा है.

सरकार अब भी नहीं जागी, तो नफ़रत की आग भड़क सकती है

मायावती ने साफ़ कहा कि सरकार को किसी भी समुदाय को ऐसा कोई क़दम नहीं उठाने देना चाहिए जिससे साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि,यदि प्रशासन ने समय रहते सख़्ती नहीं दिखाया तो उत्तर प्रदेश फिर से साम्प्रदायिक आग में झुलस सकता है.

सांप्रदायिक सद्भाव की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा

बीएसपी प्रमुख मायावती ने ज़ोर देकर कहा कि यूपी जैसे संवेदनशील राज्य में हर मामले को धर्म की चश्मे से देखना घातक हो सकता है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि प्रशासन निष्पक्षता से काम करे और हालात को बेकाबू न होने दे.

ये भी पढ़े:मानसून सत्र: मायावती ने खोली सरकार और विपक्ष की पोल
ये भी पढ़े:तानाशाही बनाम लोकतंत्र:विपक्ष का सरकार पर सबसे बड़ा हमला

राजनीतिक रोटियाँ सेंकने वालों को लगाम दो

मायावती ने इशारों में उन राजनीतिक दलों को भी आड़े हाथों लिया जो इस विवाद को हवा देकर अपने राजनीतिक हित साधने में लगा हुआ है. उन्होंने सरकार से मांग किया है कि जरूरत पड़ने पर सख़्त कार्रवाई किया जायें ताकि किसी भी समुदाय का विश्वास न टूटे और कानून का राज स्थापित रहे.

समाधान की राह: संवाद और संयम

इस पूरे विवाद में जिस तरह से जनता के बीच भ्रम और तनाव फैलाया जा रहा है.वह काफी चिंताजनक है.मायावती का यह बयान एक राजनीतिक दल के ज़िम्मेदार विपक्ष की भूमिका को दर्शाता है—जहां नफरत की राजनीति को चुनौती दिया जा रहा है. और भाईचारे की आवाज़ बुलंद किया जा रहा है.

निष्कर्ष

फतेहपुर का यह विवाद सिर्फ एक धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं है बल्कि यह इस बात का भी परीक्षा है कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून, व्यवस्था और सामाजिक एकता को प्राथमिकता देता है या नहीं. मायावती के बातों को नज़रअंदाज़ करना इस बार भारी पड़ सकता है—सरकार के पास अभी भी समय है. फैसला लेना होगा या अंजाम भुगतना होगा.

Trending news

Leave a Comment