कागज मिटाओ,अधिकार चुराओ,राहुल गांधी का भाजपा पर हमला

| BY

Kumar Ranjit

भारत
कागज मिटाओ,अधिकार चुराओ,राहुल गांधी का भाजपा पर हमला

छत्तीसगढ़ में गायब हो रहे वन अधिकार पट्टे राहुल गांधी ने लगाया आरोप

तीसरा पक्ष ब्यूरो रायपुर, 14 अगस्त :सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर आदिवासियों और बहुजन समाज के अधिकारों को साज़िश के तहत खत्म करने का गंभीर आरोप लगाया है.उन्होंने कहा कि भाजपा अब काग़ज़ मिटाओ, अधिकार चुराओ की नीति के तहत वन अधिकार पट्टों को रिकॉर्ड से गायब करवा रहा है. जिससे हज़ारों आदिवासी परिवारों का हक छिन रहा है.

राहुल गांधी के इस बयान ने छत्तीसगढ़ की सियासत में हलचल मचा दिया है.और वन अधिकारों को लेकर एक बार फिर बहस तेज़ हो गया है.

आइये, आगे जानते हैं इस पूरे मामले को विस्तार से…

X (पूर्व में ट्विटर) पर राहुल गांधी का तीखा वार

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिये भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है.उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अब कागज़ी कार्रवाई के जरिये बहुजन समाज और आदिवासियों के अधिकारों को योजनाबद्ध तरीके से खत्म कर रहा है. उनके शब्दों में – काग़ज़ मिटाओ, अधिकार चुराओ अब भाजपा का नया हथियार बन गया है.

वन अधिकार पट्टों का रिकॉर्ड कैसे हुआ ‘गायब’?

राहुल गांधी ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 2,788 वन अधिकार पट्टे, और राजनांदगांव में आधे से अधिक पट्टों का रिकॉर्ड अचानक गायब हो गया है. यह केवल दस्तावेज़ों का मामला नहीं है – इन पट्टों के माध्यम से आदिवासी समुदाय को उनके पुश्तैनी जंगल, ज़मीन और संसाधनों पर अधिकार मिलता है. ऐसे में इनका लापता हो जाना गंभीर चिंता का विषय बन गया है.

वोटर लिस्ट से भी दलितों-पिछड़ों के नाम काटे जा रहे हैं

राहुल गांधी ने केवल वन पट्टों का ही नहीं बल्कि दलितों और पिछड़े वर्गों के खिलाफ भी सुनियोजित प्रयासों का आरोप लगाया है.उन्होंने कहा कि कई जगहों पर वोटर लिस्ट से इन वर्गों के नाम जानबूझकर हटाया जा रहा हैं. जिससे उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को भी खतरा है.

यह भी पढ़े :27 से पहले ही खींच लेंगी तलवारें — बीजेपी में बगावत की गूंज?
यह भी पढ़े :भाजपा के पूर्व विधायक देवनारायण रजक ने थामा राजद का हाथ

कांग्रेस की नीति बनाम भाजपा की रणनीति

राहुल गांधी ने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार ने 2006 में वन अधिकार अधिनियम लाकर आदिवासियों को उनके पारंपरिक संसाधनों पर अधिकार दिया था.उनका कहना है कि भाजपा इस कानून को कमजोर करने और आदिवासियों का पहला हक छीनने की कोशिश कर रहा है.
उनके अनुसार, आदिवासी इस देश के पहले मालिक हैं. और हम हर हाल में उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे”

क्या यह केवल राजनीतिक बयानबाज़ी है या सचमुच बड़ा खतरा?

फिलहाल भाजपा की ओर से राहुल गांधी के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आया है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि वन अधिकार पट्टों का रिकॉर्ड सच में गायब किया गया है.तो यह न केवल प्रशासनिक विफलता है.बल्कि सामाजिक न्याय की अवधारणा पर भी गहरा चोट है.

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां आदिवासी समुदाय की आबादी बड़ी संख्या में है.वहां इस मुद्दे पर चुप्पी किसी आने वाले राजनीतिक भूचाल का संकेत भी हो सकता है.

निष्कर्ष

राहुल गांधी का यह बयान केवल एक राजनीतिक हमला नहीं है बल्कि देश के मूल निवासियों के हक और सम्मान से जुड़ा हुआ मामला है.वन अधिकारों की रक्षा का मुद्दा आज केवल जंगलों तक सीमित नहीं है.बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक नींव और सामाजिक न्याय की सच्ची परीक्षा बन गया है.

Trending news

Leave a Comment