सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लोकतंत्र की जीत: तेजस्वी यादव का बयान

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Ajit Kumar

बिहार
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लोकतंत्र की जीत: तेजस्वी यादव का बयान

कहा– संविधान और न्याय प्रणाली पर जनता का भरोसा मजबूत हुआ

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 14 अगस्त 2025:बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले एसआईआर (सस्पेक्टेड इलिजिबल रजिस्ट्रेशन) मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को लेकर नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज पटना स्थित अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करता है, बल्कि यह बिहार की जनता की एकता, विपक्षी दलों के संघर्ष और सच्चाई की निर्णायक जीत है.

SC ने हमारी मांगों पर लगाई मुहर

SC ने हमारी मांगों पर लगाई मुहर

तेजस्वी यादव ने कहा कि, जो बात हम सदन से सड़क और संसद से सुप्रीम कोर्ट तक कह रहे थे.आज उस पर सर्वोच्च न्यायालय ने मुहर लगा दिया है.यह निर्णय लोकतंत्र और संविधान को और अधिक सशक्त बनाएगा. उन्होंने बताया कि जिन 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए थे.उनकी पूरी जानकारी बूथवार तरीके से अब चुनाव आयोग को सार्वजनिक करना होगा.

आधार को जोड़ा जाएगा, नाम वेबसाइट पर होंगे अपलोड

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, अब चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाताओं की सूची में किए गए परिवर्तनों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड हो और इसके लिए व्यापक प्रचार भी किया जाये. इसके अलावा मृतकों, स्थानांतरित व्यक्तियों और गलत ढंग से डाले गए नामों की जानकारी भी स्पष्ट रूप से दिया जायेगा.मतदाता पहचान की प्रक्रिया में आधार कार्ड को भी शामिल करने की बात कही गई है.

चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल

तेजस्वी ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सीधा हमला करते हुए कहा कि,सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश ने यह साफ कर दिया है कि चुनाव आयोग सच्चाई छुपा रहा था.

उन्होंने कहा कि जब बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, भाजपा सांसद बीना देवी, जदयू एमएलसी दिनेश सिंह और अन्य नेताओं के दो-दो वोटर कार्ड की बात सामने आई, तब भी चुनाव आयोग चुप रहा.

बिहार की जनता और विपक्षी एकता की जीत

तेजस्वी यादव ने इस लोकतांत्रिक संघर्ष में साथ खड़े सभी विपक्षी दलों और नेताओं का आभार जताया है उन्होंने श्री राहुल गांधी, श्रीमती सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, शरद पवार, अखिलेश यादव, एम के स्टालिन, दीपांकर भट्टाचार्य, हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे और अन्य नेताओं का नाम लेकर उन्हें धन्यवाद दिया है. साथ ही योगेंद्र यादव और उनके अधिवक्ताओं की टीम को भी विशेष धन्यवाद दिया है.

उन्होंने कहा कि यह लड़ाई तब शुरू हुई जब 27 जून को उन्होंने एसआईआर को लेकर सभी विपक्षी दलों को पत्र लिखा था (भाजपा को छोड़कर). तेजस्वी ने जोर देते हुए कहा कि, भाजपा को कभी लोकतंत्र पर भरोसा नहीं रहा है.

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पत्रकारों और सोशल मीडिया की सराहना

तेजस्वी यादव ने निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का भी सराहना किया है. उन्होंने अजीत अंजुम और सोशल मीडिया पत्रकारों का नाम लेते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहा है. बिहार लोकतंत्र की जननी है और जब यहां लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश हुई. तो जनता ने एकजुट होकर इसका जवाब दिया है.

मृतकों ने भी दिया सुप्रीम कोर्ट में जीवित होने का प्रमाण

तेजस्वी यादव ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में कुछ लोगों ने यह साबित किया कि उन्हें मृतकों की सूची में डाल दिया गया था. तो सच्चाई देश और दुनिया के सामने उजागर हुई. राघोपुर से जीवित लोग स्वयं कोर्ट और राहुल गांधी के सामने पहुंचे और अपने नाम कटने की शिकायत किया.

घुसपैठ की अफवाहें और भाजपा का दोहरा चरित्र

तेजस्वी ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि, घुसपैठियों की अफवाहें फैलाई गईं. मीडिया ट्रायल चलाए गए, लेकिन चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में एक भी घुसपैठिए का जिक्र नहीं किया है, उन्होंने भाजपा के प्रभारी भीखू भाई दिलसानिया के नाम को पटना की वोटर लिस्ट में दर्ज पाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि, जब उन्होंने 2024 में गांधीनगर में वोट दिया था.तो फिर उनका नाम बिहार की सूची में कैसे आया?

वोटर अधिकार यात्रा का ऐलान

तेजस्वी यादव ने जानकारी दिया कि 17 अगस्त से रोहतास से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत किया जायेगा.जिसमें राहुल गांधी और INDIA गठबंधन के सभी प्रमुख नेता शामिल होंगे. इस यात्रा का उद्देश्य मतदाताओं को सच्चाई से अवगत कराना और लोकतंत्र को बचाने की दिशा में जनता को जागरूक करना है.

बिहार ने फिर साबित किया – एक बिहारी सब पर भारी

तेजस्वी यादव ने अंत में कहा कि बिहार की जनता ने यह दिखा दिया है कि वे लोकतंत्र को कमजोर नहीं होने देंगे. इस बार एनडीए की करारी हार तय है.

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव द्वारा दिए गए बयान और सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश से यह स्पष्ट होता है कि बिहार में मतदाता सूची में भारी गड़बड़ियों को लेकर विपक्ष की चिंता वाजिब था. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश लोकतंत्र, संविधान और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया की मजबूती की दिशा में एक बड़ा कदम है.

इस पूरे मामले में बिहार की जनता की जागरूकता, विपक्षी दलों की एकजुटता और स्वतंत्र पत्रकारिता ने लोकतंत्र की रक्षा में अहम भूमिका निभाई है. चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठे सवाल अब न्यायालय की निगरानी में जांच और खुलासे की ओर बढ़ रहा हैं.

तेजस्वी यादव का यह विश्वास कि,एक बिहारी सब पर भारी—अब केवल नारा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक चेतना का प्रतीक बन गया है. आने वाले दिनों में यह मामला न केवल बिहार बल्कि पूरे देश की चुनावी पारदर्शिता को नई दिशा दे सकता है.

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